नाहन: देवभूमि हिमाचल की किन्नौरी टोपी की शान सफेद फूल के बिना अधूरी मानी जाती है. ईटीवी भारत हिमाचल आज आपके बताने जा रहा है कि यह फूल कहां और किस वक्त पाए जाते हैं. किन्नौरी टोपी पर सजने वाले फूल के पीछे कई रोचक पहलू छिपे हुए हैं.
देश-विदेश में पहचान पाने वाली किन्नौरी टोपी पर सफेद फूल किन्नौर में न होकर जिला सिरमौर के मैदानी क्षेत्रों में पाए जाते हैं. इस फूल को किन्नौर में ख्वार और सिरमौर में टाट पटनगा के नाम से जाना जाता है. इस सफेद फूल के बिना किन्नौरी टोपी की शान अधूरी मानी जाती है.
यह फूल पटनगा के पेड़ों पर होते हैं और पटनगा के पेड़ सिरमौर के मैदानी इलाकों के जंगलों में भी पाए जाते हैं. कई जगहों पर लोगों ने टाट पटनगा के पेड़ों को अपने खेतों में भी लगाया हुआ है. वहीं, पशु भी बड़े चाव से पटनगा के पत्तों को खाते हैं. यह फूल टाट पटनगा के पेड़ पर एक म्यान रूपी आवरण में होते हैं और म्यान के सूखने पर फटने के बाद बाहर निकलते हैं.
बता दें कि सर्दियों के दिनों में किन्नौर में अधिक बर्फबारी के चलते गद्दी समुदाय के लोग अपनी भेड़-बकरियों को लेकर सिरमौर की आते हैं. गर्मियों में किन्नौर वापसी के वक्त पटनगा के फूलों को साथ लेकर जाते हैं. वहीं, सिरमौर के कई जंगलों और गांव के खेतों में भी टाट पटनगा के पेड़ मिलते हैं. इस तरह पूरे प्रदेश में यह फूल किनौरी टोपी की शोभा बढ़ाता है.
नाहन विकासखंड के तालों गांव के ग्रामीण कन्हैयालाल ने बताया कि उनके खेतों में टाट पटनगा के कई पेड़ लगे हुए हैं. उन्होंने बताया कि इसके फूल किन्नौर की टोपियों में प्रयोग होते हैं. कन्हैयालाल ने कहा कि उन्होंने अपने खेतों में यह पेड़ पशु चारे के लिए लगाए हैं. सह पेड़ पशुओं के लिए काफी लाभदायक होते हैं. वहीं, सिरमौर आने वाले गद्दी समुदाय और किन्नौरी लोग फूलों को यहां से लेकर भी जाते हैं.
टाट पटनगा एक ओर पशु चारा उपलब्ध करवा रहा है. वहीं दूसरी ओर सफेद फूल दूर-दराज इलाकों में टोपियों की शोभा भी बढ़ा रहे हैं.
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