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पतझड़ का मौसम आते ही खेतों में काम करना छोड़ देते हैं किन्नौरवासी, ये है वजह - पतझड़ का मौसम

पतझड़ के दौरान जब तक पेड़ों से पूरे पत्ते झड़ नहीं जाते तब तक कोई भी किसान और बागवान अब खेतों में काम नहीं करते. जब पेड़ों से पीले पत्ते पूरी तरह गिर जाएंगे उसके बाद किसान व बागवान खेतों में जाकर सभी पत्तियों को उठाकर एकत्रित करते हैं और स्थानीय देवी देवताओं या लामाओं से खेतों के अनाज बीजाई के लिए आशीर्वाद लेकर अपने नई खेती की शुरुआत करते हैं.

पतझड़ का मौसम आते ही खेतों में काम करना छोड़ देते हैं किन्नौरवासी
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Published : Nov 17, 2019, 2:59 AM IST

किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर में बढ़ती ठंड से पतझड़ शुरू हो गया है और इस साल बर्फबारी जल्दी होने से किन्नौर में पतझड़ काफी जल्दी आया है. ऐसे में किन्नौर में अब पतझड़ होने से लोग अब खेतों में काम करना छोड़ देंगे.

पतझड़ के मौसम में पत्तियां पूरी पीली हो जाती हैं और पेड़ों से पत्तियां पूरे खेतों में फैल जाती हैं जिसके बाद जब तक पेड़ों से पूरे पत्ते झड़ नहीं जाते तब तक कोई भी किसान और बागवान अब खेतों में काम नहीं करेंगे. जब पेड़ों से पीले पत्ते पूरी तरह गिर जाएंगे उसके बाद किसान व बागवान खेतों में जाकर सभी पत्तियों को उठाकर एकत्रित करते हैं और स्थानीय देवी देवताओं या लामाओं से खेतों के अनाज बीजाई के लिए आशीर्वाद लेकर अपने नई खेती की शुरुआत करते हैं.

वीडियो.

पतझड़ के दौरान खेतों में किये जाने वाले काम को अगले वर्ष का काम माना जाता है, क्योंकि किन्नौर में जब पेड़ों में हरी पत्तियां आती हैं तब नववर्ष और पेड़ों पर पीले पत्ते होने पर उस वक्त को अंतिम वर्ष माना जाता है.

ये भी पढ़ें- पानी री शुद्धता च शिमले जो मिल्या छठा स्थान, 21 शहरां री रैंकिंग रिपोर्ट जारी

किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर में बढ़ती ठंड से पतझड़ शुरू हो गया है और इस साल बर्फबारी जल्दी होने से किन्नौर में पतझड़ काफी जल्दी आया है. ऐसे में किन्नौर में अब पतझड़ होने से लोग अब खेतों में काम करना छोड़ देंगे.

पतझड़ के मौसम में पत्तियां पूरी पीली हो जाती हैं और पेड़ों से पत्तियां पूरे खेतों में फैल जाती हैं जिसके बाद जब तक पेड़ों से पूरे पत्ते झड़ नहीं जाते तब तक कोई भी किसान और बागवान अब खेतों में काम नहीं करेंगे. जब पेड़ों से पीले पत्ते पूरी तरह गिर जाएंगे उसके बाद किसान व बागवान खेतों में जाकर सभी पत्तियों को उठाकर एकत्रित करते हैं और स्थानीय देवी देवताओं या लामाओं से खेतों के अनाज बीजाई के लिए आशीर्वाद लेकर अपने नई खेती की शुरुआत करते हैं.

वीडियो.

पतझड़ के दौरान खेतों में किये जाने वाले काम को अगले वर्ष का काम माना जाता है, क्योंकि किन्नौर में जब पेड़ों में हरी पत्तियां आती हैं तब नववर्ष और पेड़ों पर पीले पत्ते होने पर उस वक्त को अंतिम वर्ष माना जाता है.

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Intro:किन्नौर में पतझड़ आने से भारी बर्फबारी के बड़े आसार,ठंड से जल्दी हुआ पतझड़,जिला में पतझड़ के बाद नही किये जाते खेतो में काम,पत्तियों के पूरे झड़ने के बाद शुरू होगा खेतों में काम।





Body:जनजातीय जिला किंन्नौर में बढ़ते ठंड से पतझड़ शुरू हो गया है और इस वर्ष बर्फबारी जल्दी होने से किन्नौर में पतझड़ काफी जल्दी आया है ऐसे में किंन्नौर में अब पतझड़ होने से लोग अब खेतो में काम करना छोड़ देंगे क्यों कि पतझड़ के मौसम में पत्तियां पूरी पीली हो जाती है और पेड़ो से पत्तियां पूरे खेतो में फैल जाती है जिसके बाद जब तक पेड़ो से पूरे पत्ते झड़ नही जाते तब तक कोई भी किसान और बागवान अब खेतो में काम नही करेंगे जब पेड़ो से पीले पत्ते पूरी तरह गिर जाएंगे उसके बाद खेतो में किसान व बागवान खेतो में जाकर सभी पत्तियों को उठाकर एकत्रित करते है और स्थानिय देवी देवताओं या लामाओं से खेतों के अनाज बिजाई के लिए आशीर्वाद प्राप्त कर अपने नई खेती की शुरुआत करते है।



Conclusion:पतझड़ के बाद खेतो में किये जाने वाले काम को अगले वर्ष का कार्य माना जाता है क्यों कि किंन्नौर में जब पेड़ो में हरी पत्तियां आती है तब नववर्ष व पेड़ो पर पीले पत्ते होने पर उस वक्त को अंतिम वर्ष माना जाता है।
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