किन्नौर: हिमाचल की आर्थिकी में कृषि एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है. प्रदेश की कुल जीडीपी में कृषि का लगभग दस प्रतिशत से अधिक योगदान है. प्रदेश की जनता को रोजगार मुहैया करवाने में बागवानी एक बड़ी भूमिका निभाती है. अगर बात जिला किन्नौर की करे तो यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि और बागवानी ही है.
किन्नौर जिला की कुछ पंचायतों को छोड़कर पूरे जिले में सेब के बगीचे हैं. किन्नौर का सेब देश और विदेश में प्रसिद्ध है. जिले में बारिश कम होने के कारण कृषि और बागवानी सिंचाई पर ही निर्भर है. केंद्र और प्रदेश सरकार की कई सिंचाई योजनाएं यहां के लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है.
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना कल्पा के तेलंगी गांव के 20 परिवारों के लिए वरदान से कम नहीं है. इस गांव के लोगों की अधिकतर जमीन गांव से लगभग 8 किलोमीटर दूर लगभग 3200 मीटर ऊंचाई पर चांगे, पानवा गलाती नामक स्थान पर स्थित है. यहां पर गांव के लोग मई से नवंबर महीने के बीच पारंपरिक खेती करते हैं. कुछ किसानों ने सेब के बगीचे भी लगाए हैं, पर समय पर बारिश न होने के चलते कई बार फसल उगाने पर जितनी खर्च होता था, बागवानों की उतनी आमदानी नहीं होती थी.
तेलंगी गांव के स्थानीय निवासी समद भादर का कहना है कि उन्होंने कृषि विभाग के भू संरक्षण विंग के रिकांगपिओ स्थित कार्यालय से सम्पर्क कर विभाग के अधिकारियों के समक्ष अपनी समस्या रखी. कृषि विभाग के अधिकारियों ने समद भादर को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना रूबरू करवाया.
कृषि विभाग के अधिकारियों के मार्गदर्शन में योजना का जमीनी स्तर पर उतारा गया. विभाग के भू-संरक्षण विंग के अधिकारियों ने चांगे, पानवा और गलाती से 7 किलोमीटर दूर शोलंग खड्ड से 20 लाख 80 हजार की एक सिंचाई योजना बनाई. जिसके बाद एचडीपीई पाईप के द्वारा बागीचों तक पानी पहुंचाया गया.
उपनिदेशक कृषि विभाग किन्नौर सोम नेगी का कहना है कि जिला किन्नौर में भू-संरक्षण विंग द्वारा लगभग 90 लाख रुपये की सिंचाई योजनाओं को शुरू किया गया है. जिससे किन्नौर के लगभग 135 किसान परिवार लाभान्वित हुए हैं.
पानी की एक-एक बूंद की कीमत समझते हुए बागवानों ने हर सेब के पेड़ के नजदीक स्प्रिंकल लगाए हैं. सेब की फसल के साथ-साथ अन्य पारंपरिक फसलें भी उगाई जा रही है. गांव की स्थानीय महिलओं का कहना है कि जब से यह सिंचाई योजना शुरू हुई है, तब से उनकी आर्थिक और सुदृढ़ हुई है.
सिंचाई के लिए सामूहिक स्तर पर जल भंडारण टैंकों का भी निर्माण किया जा रहा है. जिससे किसानों को सिंचाई के लिए किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े.
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