किन्नौर: केंद्र सरकार ने वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत जिला के पूह व कल्पा खण्ड के 129 गांव में इंफ्रास्ट्रक्चर, कृषि, पर्यटन सहित रोजगार को बढ़ावा देने पर कार्य करेगी. उपायुक्त किन्नौर आबिद हुसैन सादिक ने आज जिला परिषद सदस्यों की त्रैमासिक बैठक के दौरान सभी सदस्यों को जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश के किन्नौर के सीमावर्ती गांव (Border Villages of Kinnaur) के विकास को लेकर वेबिनार के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पावर प्वांइट प्रेजेंटेशन के माध्यम से सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास कार्यों में तीव्रता लाने के लिए सुझाव व विचार प्रस्तुत किए थे.
उपायुक्त ने कहा कि जिले के सीमांत गांव में सीमांत क्षेत्र विकास योजना सितंबर 2022 को समाप्त हो रही है. केंद्र सरकार अब बीएडीपी के स्थान वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम शुरू कर रही है. इससे सीमांत गांव को सशक्त व सड़क, इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाना है. इस कार्यक्रम में जिला के कल्पा व पूह खण्ड के सभी गांव को लिया गया है. उपायुक्त ने कहा कि प्रदेश के किन्नौर व लाहौल-स्पीति जिले के लगभग कुल 158 गांव सीमा क्षेत्र से लगते हैं, जिनमें किन्नौर जिले के 129 गांव व 69 गांव लाहौल-स्पीति जिले के हैं.
उन्होंने सुझाव दिया कि वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम (Vibrant Village Program in Himachal) के तहत सीमावर्ती क्षेत्रों के युवा उद्यमियों को 15 फीसदी अतिरिक्त उपदान दिया जाए. ताकि ये युवा स्थानीय स्तर पर उद्यम स्थापति कर स्वरोजगार व रोजगार सृजित कर सकें. डीसी ने कहा कि जिले के सीमावर्ती गांव में प्रत्येक घर में चरणबद्ध तरीके से 250 वाट रूफटाॅप सोलर ऊर्जा संयंत्र (Rooftop Solar Power Plant in Kinnaur) लगाने की आवश्यकता है, जिस पर भी लगभग 50 लाख रुपये व्यय होंगे.
आबिद हुसैन सादिक ने कहा कि जिला परिषद सदस्यों ने भी चीन सीमांत क्षेत्रों के विकास कार्यों में वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत आगामी दिनों में होने वाले कार्यों पर नजर रखने के साथ सहयोग की उम्मीद जताई है. इसके साथ ही और चुने हुए जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक सामंजस्य से चीन सीमांत क्षेत्रों को विकास की गति देने में मिलकर काम करने का आग्रह किया है. उन्होंने वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत किए जा रहे कार्यों के लिए एफ.सी.ए. में छूट, आवासीय योजना के तहत राशि को डेढ़ लाख रुपये से 3 लाख रुपये करने का भी सुझाव दिया. उपायुक्त ने जिले में राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय जनजातीय उत्सव आयोजित करने का भी सुझाव दिया.
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