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किन्नौर के अकपा में जान जोखिम में डाल सफर कर रहे लोग, एक साल पहले निर्मित पुल बना शो पिस - अकपा के समीप बना पुल

ऊपरी किन्नौर के 24 पंचायतों को जोड़ने वाला पुल इन पंचायतों के अलावा स्पीति को भी जोड़ता है, लेकिन एक वर्ष से पुल केवल शोपीस बनकर रह गया है. इस पुल से केवल छोटे वाहनों की आवाजाही ही हो रही है.

अकपा के समीप बना पुल एक वर्ष से नहीं हुआ शुरू, लोग जानजोखिम में डाल अस्थाई पुल से करते सफर
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Published : Nov 9, 2019, 4:34 PM IST

किन्नौर: जिला के अकपा के समीप बने पुल को करीब एक वर्ष का समय हो गया है, लेकिन अभी तक इस पुल का न तो उद्धघाटन हुआ है और न ही इस पुल से वाहनों को गुजारा जा रहा है. ऊपरी किन्नौर के 24 पंचायतों को जोड़ने वाला यह पुल इन पंचायतो के अलावा स्पीति को भी जोड़ता है, लेकिन एक वर्ष से पुल केवल शोपीस बनकर रह गया है.

बता दें कि अकपा के साथ पुराना लकड़ी का पुल भी बना है जिसमें बड़े वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित है. लकड़ी के पुल में अब बड़े वाहनों को उठाने की क्षमता नही है. इसलिए इसमें केवल छोटे वाहन चलाए जाते हैं और बड़े वाहनों के लिए सतलुज से होते हुए एक वैकल्पिक अस्थाई रूप से पुल बनाया गया है, जो कच्ची सड़को से होते हुए गुजरती है जिसमें बड़े वाहन चालक जान हथेली में रखकर सफर तय करते है.

वीडियो

28 करोड़ की लागत से तैयार हुए इस पुल की हालत भी खस्ता हो गई है. यहां तक की पुल बीचों बीच से टेड़ा भी हो गया है जो पुल निर्माता की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़ा करता है. स्थानीय लोग आकपा के समीप सतलुज नदी के साथ बने अस्थाई पुल से सफर करने पर मजबूर है. जबकि इस पुल पर रंगरोगन व अन्य कार्य भी खत्म हो चुका है, लेकिन अब तक इस पुल पर दोनों ओर से सीमा सड़क संगठन ने बेरियर लगाया है.

इस पुल के बंद होने से इन दिनों सेब से लदे बड़े वाहनों को अस्थाई रूप से बने कंपनी के पुल से जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ता है. वाहन चालकों को कभी भी बड़ा हादसा होने का खतरा बना हुआ है.

किन्नौर: जिला के अकपा के समीप बने पुल को करीब एक वर्ष का समय हो गया है, लेकिन अभी तक इस पुल का न तो उद्धघाटन हुआ है और न ही इस पुल से वाहनों को गुजारा जा रहा है. ऊपरी किन्नौर के 24 पंचायतों को जोड़ने वाला यह पुल इन पंचायतो के अलावा स्पीति को भी जोड़ता है, लेकिन एक वर्ष से पुल केवल शोपीस बनकर रह गया है.

बता दें कि अकपा के साथ पुराना लकड़ी का पुल भी बना है जिसमें बड़े वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित है. लकड़ी के पुल में अब बड़े वाहनों को उठाने की क्षमता नही है. इसलिए इसमें केवल छोटे वाहन चलाए जाते हैं और बड़े वाहनों के लिए सतलुज से होते हुए एक वैकल्पिक अस्थाई रूप से पुल बनाया गया है, जो कच्ची सड़को से होते हुए गुजरती है जिसमें बड़े वाहन चालक जान हथेली में रखकर सफर तय करते है.

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28 करोड़ की लागत से तैयार हुए इस पुल की हालत भी खस्ता हो गई है. यहां तक की पुल बीचों बीच से टेड़ा भी हो गया है जो पुल निर्माता की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़ा करता है. स्थानीय लोग आकपा के समीप सतलुज नदी के साथ बने अस्थाई पुल से सफर करने पर मजबूर है. जबकि इस पुल पर रंगरोगन व अन्य कार्य भी खत्म हो चुका है, लेकिन अब तक इस पुल पर दोनों ओर से सीमा सड़क संगठन ने बेरियर लगाया है.

इस पुल के बंद होने से इन दिनों सेब से लदे बड़े वाहनों को अस्थाई रूप से बने कंपनी के पुल से जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ता है. वाहन चालकों को कभी भी बड़ा हादसा होने का खतरा बना हुआ है.

Intro:किन्नौर के अकपा समीप बना पुल एक वर्ष से नही हुआ चालू,बनने के बाद पुल बीचों बीच हुआ टेड़ा,बड़े वाहनों को सतलुज के समीप वैकल्पिक अस्थाई पुल से जानजोखिम में डालकर करना पड़ता है सफर,सेब सीजन में बड़े वाहन कर रहे जान हथेली में डालकर सफर।



जनजातीय जिला किंन्नौर के अकपा समीप बीते एक वर्ष से किन्नौर से स्पीति की ओर जोड़ने वाला पुल जो एनएच पांच पर निर्माणाधीन है जिसका कार्य लगभग समाप्त हुआ है लेकिन इस पुल को तैयार हुए करीब एक वर्ष होने को आए है परंतु अभी तक इस पुल का न तो उद्धघाटन हुआ है न ही इस पुल से वाहनों को गुजारा जा रहा है।

लगभग ऊपरी किंन्नौर के 24 पंचायतो को जोड़ने वाला यह पुल जो इन पंचायतो के अलावा स्पीति को भी जोड़ता है केवल शोपीस बना हुआ है।

Body:बता दे कि इसी के साथ पुराना लकड़ी का पुल बना है जो कइयों वर्ष पुराना है जिसमे बड़े वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित है क्यों कि इस पुल में अब बड़े वाहनों को उठाने की क्षमता नही है इसलिए इसमें केवल छोटे वाहन चलाया जाता है और बड़े वाहनों के लिए सतलुज से होते हुए एक वैकल्पिक अस्थाई रूप से पुल बनाया गया है जो कच्चे सड़को से होते हुए गुजरती है जिसमे बड़े वाहन चालक जान हथेली में रखकर चल रहे है।
इस पुल के कार्य को खत्म हुए एक वर्ष होने को आया है लेकिन इस पुल के दोनों ओर सीमा सड़क सङ्गठन ने बन्द कर रखा है क्यों कि इस पुल का उद्घाटन नही हुआ है जिसके चलते बड़े व भारी भरकम सामान वाले वाहनों को सतलुज के समीप अस्थाई रूप से कम्पनी द्वारा निर्माणाधीन पुल से वाहनों को लेजाना पड़ रहा है जिसमे बहुत खतरा है ऐसे में प्रशासन किसी बड़े मंत्री के इंतज़ार में है ताकि इस पुल का उद्घाटन कोई मंत्री करें।
वहीँ दूसरी ओर इस 28 करोड़ की लागत से बने पुल के तैयार होने के बाद भी पुल बीचों बीच एक वर्ष होने से पूर्व ही टेड़ा भी हुआ है जो पुल निर्माता की कार्यप्रणाली पर भी सवाल या निशान खड़े करता है ऐसे में राजनीति के चलते आम लोग आकपा के समीप सतलुज नदी के साथ अपनी जान हथेली में डालकर अस्थाई पुल से सफर करने पर मजबूर है जबकि इस पुल पर रंगरोगन व अन्य कार्य भी समाप्त हो चुका है लेकिन अब तक इस पुल पर दोनों ओर से सीमा सड़क सङ्गठन द्वारा बेरियर लगाया गया है।
इस पुल के बन्द होने से इन दिनों सेब से लदे बड़े वाहनों को अस्थाई रूप से बने कम्पनी के पुल से जानजोखिम में डालकर सड़क के आरपार होना पड़ रहा है जिसमे कभी भी बड़ा हादसा होने का खतरा बना हुआ है।
Conclusion:बता दे कि इस अस्थाई पुल से सफर करना जहाँ खतरा बना हुआ है वही किन्नौर तिब्बत व चाइना बॉर्डर से सटा हुआ है और पुल के उदघाटन न होने से अस्थाई पुल से बोर्डर पर जवानों के बड़े वाहनों को भी आवाजाही में कई घण्टे इस कच्चे मार्ग पर फसे रहना पड़ता है जिसमे बॉर्डर जाने वाले जवानों का भी समय बर्बाद हो रहा है

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