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एक ऐसा गांव जहां नहीं चलता देश का कानून! देव समाज से चलती है यहां की न्यायपालिका - adhubhut himachal

देवभूमि की अनोखी संस्कृति और परंपराएं इसे अद्भुत बनाती हैं. ईटीवी भारत हिमाचल की खास पेशकश 'अद्भुत हिमाचल' में हम आपको जिला किन्नौर के रिकांगपिओ के लोगों की अटूट आस्था और यहां की देवी चण्डिका के कानून के बारे में बताएंगे.

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Published : Jan 14, 2021, 9:11 PM IST

किन्नौर: रिकांगपिओ के साथ सटे कोठी गांव में देवी चण्डिका का भव्य मंदिर स्थित है. रिकांगपिओ और साइराग में मां के बनाए नियम और कानून लागू होते हैं. देवी चण्डिका साइराग की मालकिन मानी जाती हैं. जिनके रथ में सभी मूर्तियां सोने से बनी हुई हैं. क्षेत्र में देवी चण्डिका के नियम और कानून सख्ती से लागू होते हैं.

पूरे इलाके में चलता है देवी चण्डिका का अपना कानून

पूरे साइराग व रिकांगपिओ में देवी चण्डिका का अपना कानून चलता है. फिर चाहे गांव हो या प्रशासन सभी को इनका आदेश मानना पड़ता है. लोग कोर्ट कचहरी जाने के बजाए अपने घरेलू झगड़े लेकर मंदिर आते हैं. जिसका निवारण देवी चण्डिका करती हैं और मां के फैसले को ही अंतिम निर्णय माना जाता है.

वीडियो.

प्रशासन द्वारा अनदेखे किए गए विकास कार्यों को भी स्वयं पूरा करवाती हैं देवी चण्डिका

कहा जाता है कि वर्ष 2013 में रिकांगपिओ शहर पूरी तरह से धंसने लगा था, जिस कारण स्थानीय लोग अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हो गए थे. मान्यता है कि देवी चण्डिका ने रिकांगपिओ में पूजा पाठ करवाया था, जिसके बाद शहर की आपदा टल गई थी. देवी चण्डिका प्रशासन द्वारा अनदेखे किए गए विकास कार्यों को भी स्वयं पूरा करवाती हैं जिसके सैकड़ों उदाहरण जिला मुख्यालय में देखने को मिलते हैं.

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कोठी गांव में देवी चण्डिका का भव्य मंदिर

देवी के कानून से बाहर कोई काम नहीं होता

साइराग में देवी के कानून से बाहर कोई काम नहीं किया जाता. मां चण्डिका के कारदार भी देवी के कानून के हिसाब से वर्दी और नियमों के अनुसार ही मां के दरबार में प्रवेश करते हैं. महिलाएं व पुरुष पूरी वेशभूषा में ही देवी के समक्ष हाजिरी देते हैं.

ये भी पढे़: ऊनाः कोरोना वैक्सीनेशन के लिए 40 सेंटर निर्धारित, स्वास्थ्य विभाग ने जारी किए आदेश

किन्नौर: रिकांगपिओ के साथ सटे कोठी गांव में देवी चण्डिका का भव्य मंदिर स्थित है. रिकांगपिओ और साइराग में मां के बनाए नियम और कानून लागू होते हैं. देवी चण्डिका साइराग की मालकिन मानी जाती हैं. जिनके रथ में सभी मूर्तियां सोने से बनी हुई हैं. क्षेत्र में देवी चण्डिका के नियम और कानून सख्ती से लागू होते हैं.

पूरे इलाके में चलता है देवी चण्डिका का अपना कानून

पूरे साइराग व रिकांगपिओ में देवी चण्डिका का अपना कानून चलता है. फिर चाहे गांव हो या प्रशासन सभी को इनका आदेश मानना पड़ता है. लोग कोर्ट कचहरी जाने के बजाए अपने घरेलू झगड़े लेकर मंदिर आते हैं. जिसका निवारण देवी चण्डिका करती हैं और मां के फैसले को ही अंतिम निर्णय माना जाता है.

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प्रशासन द्वारा अनदेखे किए गए विकास कार्यों को भी स्वयं पूरा करवाती हैं देवी चण्डिका

कहा जाता है कि वर्ष 2013 में रिकांगपिओ शहर पूरी तरह से धंसने लगा था, जिस कारण स्थानीय लोग अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हो गए थे. मान्यता है कि देवी चण्डिका ने रिकांगपिओ में पूजा पाठ करवाया था, जिसके बाद शहर की आपदा टल गई थी. देवी चण्डिका प्रशासन द्वारा अनदेखे किए गए विकास कार्यों को भी स्वयं पूरा करवाती हैं जिसके सैकड़ों उदाहरण जिला मुख्यालय में देखने को मिलते हैं.

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कोठी गांव में देवी चण्डिका का भव्य मंदिर

देवी के कानून से बाहर कोई काम नहीं होता

साइराग में देवी के कानून से बाहर कोई काम नहीं किया जाता. मां चण्डिका के कारदार भी देवी के कानून के हिसाब से वर्दी और नियमों के अनुसार ही मां के दरबार में प्रवेश करते हैं. महिलाएं व पुरुष पूरी वेशभूषा में ही देवी के समक्ष हाजिरी देते हैं.

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