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सड़क सुविधा के लिए 12 साल से इंतजार में है यह गांव, आज भी पालकियों से अस्पताल पहुंचाए जाते हैं मरीज - मुख्यमंत्री हेल्प लाइन

ज्वालामुखी के तहत मझींण तहसील के दो गांव कूटकश्मीर व बड़नाला सिद्दपुर से कूटकश्मीर सड़क को पक्का करने के लिए यहां के ग्रामीण पिछले 12 साल से विभाग के चक्कर काट रहे हैं. सहायक अभियंता ने कहा कि सड़का का काम लॉकडाउन के कारण रुका हुआ है, जैसी स्थिति ठीक होगी सड़क निर्माण का कार्य शुरू कर दिया जाएगा.

patient on sedan chair
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Published : Jul 17, 2020, 5:46 PM IST

ज्वालामुखी: उपमंडल ज्वालामुखी के तहत मझींण तहसील के दो गांव कूटकश्मीर व बड़नाला आजादी के 70 साल बाद भी अपने गांव के लिए पक्की सड़क का मुहं नहीं देख पाए हैं. गांव के लोगों को आपातकाल में मरीज को अस्पताल तक ले जाने के लिए पालकियों का सहारा लेना पड़ रहा है. सिद्दपुर से कूटकश्मीर सड़क को पक्का करने के लिए यहां के ग्रामीण पिछले 12 साल से विभाग के चक्कर काट रहे हैं.

सिद्दपुर ग्राम सुधार सभा के सदस्य संदीप डोगरा व मुनीष डोगरा ने बताया कि यह सरासर लोगों के साथ धोखा है कि सरकारें ग्रामीण विकास को लेकर ढिंढोरा पीटती हैं. कूटकश्मीर व भड़नाल के लोग शेष दुनिया से 20 साल पिछड़े हुए हैं.

लोगों को सड़क सुविधा नहीं मिल पाई है, जिसके चलते स्थानीय लोगों को आए दिन परेशानी से दो-चार होना पड़ता है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेल्प लाइन पर भी इस सड़क को लेकर शिकायत दर्ज करवा चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई भी संतोषजनक कार्रवाई नहीं हुई है.

non availablity of road facility
सड़क सुविधा नहीं होने के कारण कंधे पर मरीज को ले जाते लोग.

सहायक अभियंता लोकनिर्माण विभाग ज्वालामुखी सुमन कौंडल ने कहा कि सिद्दपुर से कूटकश्मीर सड़क नाबार्ड के तहत स्वीकृत हो चुकी है. सड़क के लिए पर्याप्त बजट भी विभाग के पास आ चुका है. इस सड़क के निर्माण के लिए नंबर 2019 में काम शुरू किया गया था. सड़क की कांट छांट कर दी गयी है. जरूरत के अनुसार इसे चौड़ा भी किया गया है.

हालांकि मार्च महीने में लॉकडाउन के कारण इस पर काम आगे नहीं बढ़ सका. वहीं, फॉरेस्ट क्लीयरेंस भी इस सड़क को लेकर अड़चन बनी हई थी, लेकिन बहुत जल्द इस सड़क की सूरत बदल कर लोगों को राहत पहुंचाई जाएगी.

पढ़ें: भोटा कोविड सेंटर को आयुर्वेदिक अस्पताल में शिफ्ट करने की मांग, MLA ने सरकार को लिखा पत्र

ज्वालामुखी: उपमंडल ज्वालामुखी के तहत मझींण तहसील के दो गांव कूटकश्मीर व बड़नाला आजादी के 70 साल बाद भी अपने गांव के लिए पक्की सड़क का मुहं नहीं देख पाए हैं. गांव के लोगों को आपातकाल में मरीज को अस्पताल तक ले जाने के लिए पालकियों का सहारा लेना पड़ रहा है. सिद्दपुर से कूटकश्मीर सड़क को पक्का करने के लिए यहां के ग्रामीण पिछले 12 साल से विभाग के चक्कर काट रहे हैं.

सिद्दपुर ग्राम सुधार सभा के सदस्य संदीप डोगरा व मुनीष डोगरा ने बताया कि यह सरासर लोगों के साथ धोखा है कि सरकारें ग्रामीण विकास को लेकर ढिंढोरा पीटती हैं. कूटकश्मीर व भड़नाल के लोग शेष दुनिया से 20 साल पिछड़े हुए हैं.

लोगों को सड़क सुविधा नहीं मिल पाई है, जिसके चलते स्थानीय लोगों को आए दिन परेशानी से दो-चार होना पड़ता है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेल्प लाइन पर भी इस सड़क को लेकर शिकायत दर्ज करवा चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई भी संतोषजनक कार्रवाई नहीं हुई है.

non availablity of road facility
सड़क सुविधा नहीं होने के कारण कंधे पर मरीज को ले जाते लोग.

सहायक अभियंता लोकनिर्माण विभाग ज्वालामुखी सुमन कौंडल ने कहा कि सिद्दपुर से कूटकश्मीर सड़क नाबार्ड के तहत स्वीकृत हो चुकी है. सड़क के लिए पर्याप्त बजट भी विभाग के पास आ चुका है. इस सड़क के निर्माण के लिए नंबर 2019 में काम शुरू किया गया था. सड़क की कांट छांट कर दी गयी है. जरूरत के अनुसार इसे चौड़ा भी किया गया है.

हालांकि मार्च महीने में लॉकडाउन के कारण इस पर काम आगे नहीं बढ़ सका. वहीं, फॉरेस्ट क्लीयरेंस भी इस सड़क को लेकर अड़चन बनी हई थी, लेकिन बहुत जल्द इस सड़क की सूरत बदल कर लोगों को राहत पहुंचाई जाएगी.

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