ज्वालामुखी/कांगड़ा: शिमला में मुख्यमंत्री की कांगड़ा के विधायकों के लिए प्रशाशनिक व्यवस्थाओं को लेकर गुरुवार को मैराथन बैठक आयोजित की गई थी. इस बैठक से भाजपा संगठन मंत्री पवन राणा पर राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष रमेश धवाला के दिये गए बयान के बाद उपजा विवाद गहराता जा रहा है.
जहां भाजपा मंडल ज्वालामुखी यह मानता है कि संगठन में मंडल के सुझाए गए नामों को दरकिनार करके दूसरे लोगों को तरजीह देने के कारण सारा विवाद पनपा है.
वहीं, देहरा बचाओ संघर्ष मोर्चा के सचिव सुशील शर्मा ने पवन राणा पर जोरदार हमला करते हुए कहा है कि यदि इसी तरह जनता के चुने हुए नुमाइंदों व पुराने कार्यकर्ताओं को हाशिये पर धकेल कर संगठन आगे बढ़ना चाहता है, तो 2022 में सत्ता की लड़ाई विपक्ष से नहीं बल्कि अपनो से ही होगी, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है.
सुशील शर्मा ने लगाई आरोपों की झड़ी:
ज्वालामुखी में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेस में सुशील शर्मा ने कहा कि शर्म की बात है कि रमेश धवाला जैसे ईमानदार व जनता से जुड़े हुए नेता को संगठन मंत्री ज्वालामुखी के ही कुछ आधारहीन लोगों के इशारों पर नुकसान पहुंचा रहे हैं.
यह सिलसिला प्रदेश में भाजपा सरकार के गठन के बाद से शुरू हो गया था. जिस पर धवाला ने कई बार संगठन के आला नेतृत्व के सामने विस्फोटक होती स्थितियों को समय रहते संभालने की फरियाद की, लेकिन पवन राणा ने कोई भी बात सिरे नहीं चढ़ने दी.
सुशील शर्मा ने कहा कि ज्वालामुखी मंदिर ट्रस्ट के गठन से लेकर संगठन चुनावों तक में संगठन मंत्री ने तानाशाह के रूप में फैसले लेते हुए अपने मनपसन्द लोगों को आगे लाकर भाजपा के पुराने व सक्रिय कार्यकर्ताओं को पवन राणा ने पार्टी छोड़कर जाने को मजबूर कर दिया.
ज्वालामुखी के राजनीतिक इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब मंदिर ट्रस्ट में विधानसभा क्षेत्र के बाहर के लोगों को ट्रस्ट में नामित करने के लिए प्रस्ताव सरकार को भेजा गया.
यहां तक कि इन बाहरी नियुक्तियों रुकवाने के लिए उस समय ज्वालामुखी के ही पुजारी वर्ग और अन्य लोगों को मुख्यमंत्री से जाकर फरियाद लगानी पड़ी
ज्वालामुखी से ही विधायकी की कुर्सी पर कुंडली मारने के सपने देख रहे कुछ लोग
इतना ही नहीं ज्वालामुखी से ही विधायकी की कुर्सी पर कुंडली मारने के सपने देख रहे कुछ लोगों ने विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री को भृमित करने की मंशा से कांग्रेस के ही कुछ लोगों को राजधानी में सीएम के सामने धवाला की शिकायतों का पिटारा लेकर खड़ा कर दिया ताकि मुख्यमंत्री के सामने विधायक को नीचा दिखाया जा सके.
सुशील शर्मा के अनुसार जिन लोगों ने कांग्रेस सरकार के समय भाजपा कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित किया उनके तबादले हुए तब भी संगठन मंत्री के इशारों पर उन्हें रुकवा कर विधायक को जिल्लत सहने को मजबूर किया गया.
जिन लोगों ने कांग्रेस सरकार में मलाईयां खाईं उन्हें पवन राणा ने संगठन में बड़े ओहदों पर बिठाया. इस समय हालत यह है कि जो भी व्यक्ति संगठन मंत्री के सामने धवाला को गालियां देगा अगले दिन बही भाजपा संगठन का पदाधिकारी होगा.
विधायकों के बराबर नेताओं को खड़ा किया जा रहा है
सुशील शर्मा के कहा कि ज्वालामुखी ही नहीं संगठन मंत्री पूरे प्रदेश में अपना अलग एजेंडा सेट करके विधायकों के बराबर नेताओं को खड़ा कर रहे हैं. जिससे चुने हुए विधायक सिर्फ ओर सिर्फ जलील हो रहे हैं.
भाजपा संगठन चुनावों में भी तय प्रक्रिया को दरकिनार करके ज्वालामुखी के मंडल चुनावों को विवादित करने की भरपूर कोशिश हुई ताकि अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके मंडल प्रधान की नियुक्ति शीर्ष स्तर के हवाले करके अपना हित साधा जा सके.
सुशील शर्मा ने कहा ज्वालामुखी से पवन राणा जिन लोगों को आगे लाकर धवाला को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं, वे जीवन भर धवाला की बराबरी नहीं कर सकते.
सुशील शर्मा ने आरोप जड़ा की संगठन चाहता है कि 2022 में फिर से जयराम सरकार बने, लेकिन संगठन यह नहीं चाहता कि विधायक जीतें.
सरकार से नहीं मेरी लड़ाई.......
उधर रमेश धवाला ने कहा कि उनकी लड़ाई सरकार से नहीं है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर एक बेहतर मुख्यमंत्री हैं. ईमानदार हैं और सब को साथ लेकर आगे बढ़ने वाले हैं.
उनका कहना है कि ढाई साल से जलालत सहन करके वो बोलने को विवश हुए विधायकों को ही कमजोर करके यदि मिशन रिपीट होना है तो उनकी उन लोगों को शुभकामनाएं. जो दिन रात पार्टी को दीमक की तरह खोखला कर रहे हैं.
उन्होंने ना तो सरकार से ना ही पार्टी से बगावत की है. सच्च बोलना, सिद्धांतों पर चलना और पार्टी हित की बात रखना बगावत है तो यह बगावत तब तक चलेगी जब तक वो जिंदा हैं.