पालमपुर: अशोक चक्र विजेता शहीद मेजर सुधीर वालिया के परिजन अपने वीर सपूत की प्रतिमा स्थापित किए जाने का इंतजार कर रहे हैं. शहादत के 20 वर्ष बाद भी अशोक चक्र विजेता शहीद मेजर सुधीर वालिया की प्रतिमा स्थापित किए जाने को लेकर अभी प्रशासनिक कार्रवाई सिर्फ पत्राचार तक ही सिमटी हुई है और परिजनों को प्रतिमा को स्थापित करने को लेकर कोरे आश्वासन ही मिले हैं.
शहीद मेजर सुधीर वालिया के परिजन पालमपुर में प्रतिमा स्थापित किए जाने की सरकार से मांग कर रहे हैं. मेजर सुधीर वालिया जोकि कारगिल के युद्ध में भी अपना शौर्य दिखा चुके थे और उनके साथियों ने उनको बहादुरी के लिए रैंबो नाम दिया था. 29 अगस्त 1999 को कुपवाड़ा के जंगलों में आंतकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए थे. शहीद मेजर सुधीर वालिया को 9 साल की आर्मी सर्विस में उन्होंने 15 मेडल प्राप्त किए थे. श्रीलंका में उन्हें शांति दूत के रूप में भी पुकारा जाता था.
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने भारतीय सेना में दो बार लगातार सेना मेडल प्राप्त किया था जो कि बहुत कम सैनिकों को मिलता है. जरनल वीपी मलिक के मेजर सुधीर वालिया बतौर निजी सहायक के रूप में भी उन्होंने कार्य किया और मरणोपरांत उन्हें अशोक चक्र दिया गया. जनरल वीपी मलिक उनके कार्य से इतने प्रभावित थे कि मरणोपरांत दो बार उनके घर में आ चुके हैं.
शहीद के पिता रुलिया राम ने और शहीद मेजर सुधीर वालिया की बहन आशा देवी कहा कि 20 बरसों से प्रतिमा स्थापित किए जाने को लेकर आश्वासन ही मिले हैं. उन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा कि शहीद मेजर सुधीर वालिया की प्रतिमा को जल्द से जल्द पालमपुर में स्थापित करें.
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