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शहादत के 20 वर्ष बाद भी अशोक चक्र विजेता मेजर की नहीं बन पाई प्रतिमा, परिजनों को मिलते हैं सिर्फ कोरे आश्वासन - शहीद मेजर सुधीर वालिया न्यूज

शहादत के 20 वर्ष बाद भी अशोक चक्र विजेता शहीद मेजर सुधीर वालिया की प्रतिमा स्थापित किए जाने को लेकर अभी प्रशासनिक कार्रवाई सिर्फ पत्राचार तक ही सिमटी हुई है और परिजनों को प्रतिमा को स्थापित करने को लेकर कोरे आश्वासन ही मिले हैं.

Shaheed Major Sudhir Walia News, शहीद मेजर सुधीर वालिया न्यूज
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Published : Jan 28, 2020, 8:57 PM IST

पालमपुर: अशोक चक्र विजेता शहीद मेजर सुधीर वालिया के परिजन अपने वीर सपूत की प्रतिमा स्थापित किए जाने का इंतजार कर रहे हैं. शहादत के 20 वर्ष बाद भी अशोक चक्र विजेता शहीद मेजर सुधीर वालिया की प्रतिमा स्थापित किए जाने को लेकर अभी प्रशासनिक कार्रवाई सिर्फ पत्राचार तक ही सिमटी हुई है और परिजनों को प्रतिमा को स्थापित करने को लेकर कोरे आश्वासन ही मिले हैं.

शहीद मेजर सुधीर वालिया के परिजन पालमपुर में प्रतिमा स्थापित किए जाने की सरकार से मांग कर रहे हैं. मेजर सुधीर वालिया जोकि कारगिल के युद्ध में भी अपना शौर्य दिखा चुके थे और उनके साथियों ने उनको बहादुरी के लिए रैंबो नाम दिया था. 29 अगस्त 1999 को कुपवाड़ा के जंगलों में आंतकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए थे. शहीद मेजर सुधीर वालिया को 9 साल की आर्मी सर्विस में उन्होंने 15 मेडल प्राप्त किए थे. श्रीलंका में उन्हें शांति दूत के रूप में भी पुकारा जाता था.

वीडियो रिपोर्ट.

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने भारतीय सेना में दो बार लगातार सेना मेडल प्राप्त किया था जो कि बहुत कम सैनिकों को मिलता है. जरनल वीपी मलिक के मेजर सुधीर वालिया बतौर निजी सहायक के रूप में भी उन्होंने कार्य किया और मरणोपरांत उन्हें अशोक चक्र दिया गया. जनरल वीपी मलिक उनके कार्य से इतने प्रभावित थे कि मरणोपरांत दो बार उनके घर में आ चुके हैं.

शहीद के पिता रुलिया राम ने और शहीद मेजर सुधीर वालिया की बहन आशा देवी कहा कि 20 बरसों से प्रतिमा स्थापित किए जाने को लेकर आश्वासन ही मिले हैं. उन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा कि शहीद मेजर सुधीर वालिया की प्रतिमा को जल्द से जल्द पालमपुर में स्थापित करें.

ये भी पढ़ें- HPU के छात्रों की केंद्र के बजट से क्या उम्मीदें हैं? देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

पालमपुर: अशोक चक्र विजेता शहीद मेजर सुधीर वालिया के परिजन अपने वीर सपूत की प्रतिमा स्थापित किए जाने का इंतजार कर रहे हैं. शहादत के 20 वर्ष बाद भी अशोक चक्र विजेता शहीद मेजर सुधीर वालिया की प्रतिमा स्थापित किए जाने को लेकर अभी प्रशासनिक कार्रवाई सिर्फ पत्राचार तक ही सिमटी हुई है और परिजनों को प्रतिमा को स्थापित करने को लेकर कोरे आश्वासन ही मिले हैं.

शहीद मेजर सुधीर वालिया के परिजन पालमपुर में प्रतिमा स्थापित किए जाने की सरकार से मांग कर रहे हैं. मेजर सुधीर वालिया जोकि कारगिल के युद्ध में भी अपना शौर्य दिखा चुके थे और उनके साथियों ने उनको बहादुरी के लिए रैंबो नाम दिया था. 29 अगस्त 1999 को कुपवाड़ा के जंगलों में आंतकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए थे. शहीद मेजर सुधीर वालिया को 9 साल की आर्मी सर्विस में उन्होंने 15 मेडल प्राप्त किए थे. श्रीलंका में उन्हें शांति दूत के रूप में भी पुकारा जाता था.

वीडियो रिपोर्ट.

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने भारतीय सेना में दो बार लगातार सेना मेडल प्राप्त किया था जो कि बहुत कम सैनिकों को मिलता है. जरनल वीपी मलिक के मेजर सुधीर वालिया बतौर निजी सहायक के रूप में भी उन्होंने कार्य किया और मरणोपरांत उन्हें अशोक चक्र दिया गया. जनरल वीपी मलिक उनके कार्य से इतने प्रभावित थे कि मरणोपरांत दो बार उनके घर में आ चुके हैं.

शहीद के पिता रुलिया राम ने और शहीद मेजर सुधीर वालिया की बहन आशा देवी कहा कि 20 बरसों से प्रतिमा स्थापित किए जाने को लेकर आश्वासन ही मिले हैं. उन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा कि शहीद मेजर सुधीर वालिया की प्रतिमा को जल्द से जल्द पालमपुर में स्थापित करें.

ये भी पढ़ें- HPU के छात्रों की केंद्र के बजट से क्या उम्मीदें हैं? देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

Intro:पालमपुर-अशोक चक्र विजेता मेजर सुधीर वालिया के परिजन अपने वीर सपूत की प्रतिमा स्थापित किए जाने का इंतजार कर रहे हैं। शहादत के 20 वर्ष बाद भी अशोक चक्र विजेता शहीद मेजर सुधीर वालिया की प्रतिमा स्थापित किए जाने को लेकर अभी प्रशासन कार्रवाई पत्राचार तक ही सिमटी हुई है और परिजनो को प्रतिमा स्थापित लेकर आश्वासन ही मिले है । शहीद के परिजन पालमपुर में मेजर सुधीर वालिया की प्रतिमा स्थापित किए जाने की सरकार से मांग कर रहे है ।Body:मेजर सुधीर वालिया जोकि कारगिल के युद्ध में भी अपना शौर्य दिखा चुके थे तथा उनके साथियों ने उनको बहादुरी के लिए रैंबो नाम दिया था। 29 अगस्त 1999 को कुपवाड़ा के जंगलों में आंतकवादीयों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए थे। 9 साल की आर्मी सर्विस में उन्होंने 15 मैडल प्राप्त किए थे। श्रीलंका में उन्हें शांति दूत के रुप में भी पुकारा जाता था। पेंटागन में 70 देशों के प्रतिनिधि गये थे उसमें भारत की ओर से उन्होंने टॉप किया था। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने भारतीय सेना में दो बार लगातार सेना मेडल प्राप्त किया था जो कि बहुत कम सैनिकों को मिलता है। जरनल वीपी मलिक के मेजर सुधीर वालिया बतौर निजी सहायक के रूप में भी उन्होंने कार्य किया तथा मरणोपरांत उन्हें अशोक चक्र दिया गया। जनरल वीपी मलिक उनके कार्य से इतने प्रभावित थे कि मरणोपरांत दो बार उनके घर में आ चुके हैं।Conclusion:शहीद के पिता रुलिया राम ने और शहीद मेजर सुधीर वालिया की बहन आशा देवी कहा कि 20 बरसों से प्रतिमा स्थापित किए जाने को लेकर आश्वासन ही मिले हैं उन्होने सरकार से अपील करते हुए कहा कि शहीइ मेजर सुधीर वालिया प्रतिमा को जल्द जल्द से पालमपुर मे स्थापित करे ।
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