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बैजनाथ में किसान कर रहे जैविक खेती, उद्यानिकी विभाग की ले रहे सलाह

बैजनाथ में किसान जैविक खेती को अपनाकर दूसरे किसानों के सामने मिसाल पेश कर रहे हैं. किसान इसके लिए उद्यानिकी विभाग की सलाह लेकर काम कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि जैविक खेती से काफी फायदा मिल रहा है.

Farmers doing organic farming in Baijnath
जैविक खेती
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Published : Jul 17, 2020, 4:14 PM IST

बैजनाथ: खेती-बाड़ी में रुचि रखने वाले किसानों के लिए बैजनाथ के कई किसान जैविक खेती को अपनाकर प्रेरणा बन गए हैं. यहां किसानों ने अपने बगीचों में सीडलेस नींबू नींबू के पौधे तैयार किए हैं. इसके साथ-साथ ऑर्गेनिक सब्जियां भी लगा रहे हैं.

किसान गोविन्द सिंह ने बताया उन्होंने जैविक खेती करना शुरू किया है. इसके लिए उद्यान विभाग की सहायता ली गई. जैविक खेती और बिना बीज के नींबू की खेती करने में सफल हुए. किसान नगेंद्र मोहन ने बताया कि उद्यान विभाग के अधिकारियों ने सितंबर 2017 में गाइड किया. बिना बीज बाले नींबू के बारे में बताया गया. अपने बगीचे में फरवरी 2018 में सीडलेस नींबू के पौधे लगाए और 1 साल के बाद इन पौधों ने फल देना शुरू कर दिया.

वीडियो

नींबू इम्युनिटी बूस्टर
सहायक उद्यान विकास अधिकारी राजेश राणा परिहार ने बताया वह इस प्रोजेक्ट में 2 वर्षो से काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा सीडलेस खेती कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली साबित हुई. सीडलेस नींबू से आचार, जूस और कई प्रकार की सामग्री तैयार की जा सकती है.

उन्होंने कहा कि कोरोना जैसी महामारी में नींबू एक अच्छा इम्युनिटी बूस्टर साबित हुआ है. जिसकी बजह से इसकी बाजार में बहुत मांग बढ़ गई है. हम अपने बगीचे में सीडलेस लेमन के पौधे लगाकर कई प्रकार की ऑर्गेनिक सब्जियां उगा सकते हैं. सीडलेस लेमन के पौधे गुजरात की एक बहुत बड़ी नर्सरी से मंगवाए गए थे. इसके साथ-साथ सभी किसान से आग्रह है कि अपने-अपने खेतों में देसी गाय के गोमूत्र और गोबर से निर्मित खाद हमेशा प्रयोग करें.

ये भी पढ़ें : सावन मास में लोगों की सरकार से मांग, खोले जाएं मंदिर के कपाट

बैजनाथ: खेती-बाड़ी में रुचि रखने वाले किसानों के लिए बैजनाथ के कई किसान जैविक खेती को अपनाकर प्रेरणा बन गए हैं. यहां किसानों ने अपने बगीचों में सीडलेस नींबू नींबू के पौधे तैयार किए हैं. इसके साथ-साथ ऑर्गेनिक सब्जियां भी लगा रहे हैं.

किसान गोविन्द सिंह ने बताया उन्होंने जैविक खेती करना शुरू किया है. इसके लिए उद्यान विभाग की सहायता ली गई. जैविक खेती और बिना बीज के नींबू की खेती करने में सफल हुए. किसान नगेंद्र मोहन ने बताया कि उद्यान विभाग के अधिकारियों ने सितंबर 2017 में गाइड किया. बिना बीज बाले नींबू के बारे में बताया गया. अपने बगीचे में फरवरी 2018 में सीडलेस नींबू के पौधे लगाए और 1 साल के बाद इन पौधों ने फल देना शुरू कर दिया.

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नींबू इम्युनिटी बूस्टर
सहायक उद्यान विकास अधिकारी राजेश राणा परिहार ने बताया वह इस प्रोजेक्ट में 2 वर्षो से काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा सीडलेस खेती कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली साबित हुई. सीडलेस नींबू से आचार, जूस और कई प्रकार की सामग्री तैयार की जा सकती है.

उन्होंने कहा कि कोरोना जैसी महामारी में नींबू एक अच्छा इम्युनिटी बूस्टर साबित हुआ है. जिसकी बजह से इसकी बाजार में बहुत मांग बढ़ गई है. हम अपने बगीचे में सीडलेस लेमन के पौधे लगाकर कई प्रकार की ऑर्गेनिक सब्जियां उगा सकते हैं. सीडलेस लेमन के पौधे गुजरात की एक बहुत बड़ी नर्सरी से मंगवाए गए थे. इसके साथ-साथ सभी किसान से आग्रह है कि अपने-अपने खेतों में देसी गाय के गोमूत्र और गोबर से निर्मित खाद हमेशा प्रयोग करें.

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