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सवालों के घेरे में ज्वालामुखी में लगाए गए 24 डस्टबिन की खरीद, जांच की मांग

नगर परिषद ज्वालामुखी में 1 लाख 84 हजार के 24 डस्टबिन की खरीद सवालों के घेरे में है. नगर परिषद की प्रधान और आरटीआई एक्टिविस्ट सूक्षम सूद ने नप के अधिकारी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. उन्होंने सरकार से इस मामले में जांच की मांग की है.

Scam in the purchase of 24 dustbins in jawalamukhi
फोटो.
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Published : Jul 13, 2020, 8:38 PM IST

ज्वालामुखी: नगर परिषद ज्वालामुखी द्वारा शहर को कूड़ा-कर्कट से आजादी दिलाने के लिए 1 लाख 84 हजार 800 रुपये से खरीदे गए 24 डस्टबिन की खरीद सवालों के घेरे में आ गयी है. ज्वालामुखी नगर परिषद की अध्यक्ष और आरटीआई एक्टिविस्ट सूक्षम सूद ने इस खरीद में हुई हेर-फेर की जांच करने की अपील की है.

सूक्ष्म सूद का आरोप है कि ज्वालामुखी शहर में 24 डस्टबिन नगर परिषद ने महंगे दामों पर खरीदे हैं. इस लाखों की खरीद में स्थानीय प्रधान की सहमति भी नहीं ली गई, जबकि एक डस्टबिन 7 हजार 700 रुपये की कीमत में खरीदा गया है. उन्होंने कहा कि इतने महंगे डस्टबिन की खरीद जनता के पैसों का दुरुपयोग है.

वीडियो.

वहीं नप अध्यक्ष भावना सूद का आरोप है कि नगर परिषद कि एक अहम बैठक में इन डस्टबिन को शहर में लगाने के लिए प्रस्ताव पारित हुआ था, लेकिन नगर परिषद अधिकारी ने उसके बाद इस संबंध में कोई भी जानकारी सार्वजनिक नहीं होने दी.

भावना सूद ने कहा कि इन डस्टबिन को लगाने के लिए कोटेशन खोलते समय उन्हें जानकारी नहीं दी गई. साथ ही जिस ठेकेदार को इन डस्टबिन लगाने के लिए अधिकृत किया गया था, उसे नगर परिषद की अध्यक्ष के जरूरी हस्ताक्षरों के बिना ही 1 लाख 84 हजार 800 की बड़ी रकम की अदायगी भी कर दी गई. जिसकी जांच की जानी चाहिए.

इस अनियमितता से नाखुश नप अध्यक्ष भावना सूद ने मुख्यमंत्री हेल्प लाइन पर जाकर इस गड़बड़झाले की निष्पक्ष जांच की शिकायत कर डाली है. वहीं, आरटीआई एक्टिविस्ट सूक्षम सूद ने खुलासा किया है कि 24 डस्टबिन पर 1 लाख 84 हजार 800 खर्च करके नगर परिषद की अध्यक्षा के जरूरी हस्ताक्षरों के बिना पैसों की अदायगी करके नियमों को ताक पर रखा गया है.

नगर परिषद ज्वालामुखी के कार्यकारी अधिकारी कंचन बाला ने कहा कि ज्वालामुखी शहर में 24 डस्टबिन के लिए नगर परिषद अध्यक्ष की अध्यक्षता में ही प्रस्ताव पारित हुआ है. टेंडर लगाने के बाद ही कॉन्ट्रेक्ट दिया गया था. बिलों की अदायगी अध्यक्ष के हस्ताक्षरों के बिना कैसे हुई उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर कौन कब शिकायत कर रहा उन्हें जानकारी नहीं है.

ये भी पढ़ें: पांवटा साहिब गुरुद्वारा में द ग्रेट खली ने नवाया शीश, कोरोना के जल्द खत्म होने की अरदास की

ज्वालामुखी: नगर परिषद ज्वालामुखी द्वारा शहर को कूड़ा-कर्कट से आजादी दिलाने के लिए 1 लाख 84 हजार 800 रुपये से खरीदे गए 24 डस्टबिन की खरीद सवालों के घेरे में आ गयी है. ज्वालामुखी नगर परिषद की अध्यक्ष और आरटीआई एक्टिविस्ट सूक्षम सूद ने इस खरीद में हुई हेर-फेर की जांच करने की अपील की है.

सूक्ष्म सूद का आरोप है कि ज्वालामुखी शहर में 24 डस्टबिन नगर परिषद ने महंगे दामों पर खरीदे हैं. इस लाखों की खरीद में स्थानीय प्रधान की सहमति भी नहीं ली गई, जबकि एक डस्टबिन 7 हजार 700 रुपये की कीमत में खरीदा गया है. उन्होंने कहा कि इतने महंगे डस्टबिन की खरीद जनता के पैसों का दुरुपयोग है.

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वहीं नप अध्यक्ष भावना सूद का आरोप है कि नगर परिषद कि एक अहम बैठक में इन डस्टबिन को शहर में लगाने के लिए प्रस्ताव पारित हुआ था, लेकिन नगर परिषद अधिकारी ने उसके बाद इस संबंध में कोई भी जानकारी सार्वजनिक नहीं होने दी.

भावना सूद ने कहा कि इन डस्टबिन को लगाने के लिए कोटेशन खोलते समय उन्हें जानकारी नहीं दी गई. साथ ही जिस ठेकेदार को इन डस्टबिन लगाने के लिए अधिकृत किया गया था, उसे नगर परिषद की अध्यक्ष के जरूरी हस्ताक्षरों के बिना ही 1 लाख 84 हजार 800 की बड़ी रकम की अदायगी भी कर दी गई. जिसकी जांच की जानी चाहिए.

इस अनियमितता से नाखुश नप अध्यक्ष भावना सूद ने मुख्यमंत्री हेल्प लाइन पर जाकर इस गड़बड़झाले की निष्पक्ष जांच की शिकायत कर डाली है. वहीं, आरटीआई एक्टिविस्ट सूक्षम सूद ने खुलासा किया है कि 24 डस्टबिन पर 1 लाख 84 हजार 800 खर्च करके नगर परिषद की अध्यक्षा के जरूरी हस्ताक्षरों के बिना पैसों की अदायगी करके नियमों को ताक पर रखा गया है.

नगर परिषद ज्वालामुखी के कार्यकारी अधिकारी कंचन बाला ने कहा कि ज्वालामुखी शहर में 24 डस्टबिन के लिए नगर परिषद अध्यक्ष की अध्यक्षता में ही प्रस्ताव पारित हुआ है. टेंडर लगाने के बाद ही कॉन्ट्रेक्ट दिया गया था. बिलों की अदायगी अध्यक्ष के हस्ताक्षरों के बिना कैसे हुई उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर कौन कब शिकायत कर रहा उन्हें जानकारी नहीं है.

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