ज्वालामुखी: पिछले कल इरफान खान के बाद हिंदी सिनेमा जगत का एक और बहुमूल्य सितारा ऋषि कपूर इस जगत को अलविदा कह कर चला गया. सिनेमा जगत के साथ साथ हर वो शख्स उदास और दुख में है, जो बेहद सरल और सौम्य स्वभाव के इस कलाकार को नजदीक से जानता था.
हिमाचल प्रदेश में भी कांगड़ा जिला के धरोहर गांव परागपुर और गरली में ऋषि कपूर के देहांत के बाद शोक की लहर दौड़ गई है. ऋषि कपूर 2006 में फिल्म 'चिंटू जी' की शूटिंग के लिए धरोहर गांव परागपुर में 35 दिन के लिए रुके थे. स्थानीय व्यवस्थाओं का इंतजाम करने के लिए उनके साथ परागपुर के तत्कालीन प्रधान रूपेंद्र सिंह डैनी व बतौर लाइन प्रोड्यूसर गांव पंचायत बणी के अमित ठाकुर ने काम किया था.
रूपेंद्र सिंह डैनी ने बताया कि 'चिंटू जी' फिल्म के सिलसिले में पहली बार ऋषि कपूर से परागपुर में मिलने पर उन्हें यकीन ही नहीं हुआ कि भारतीय सिनेमा जगत का इतना बड़ा सितारा इतना सरल व मिलनसार होगा.
तत्कालीन प्रधान रूपेंद्र सिंह डैनी ने बताया कि लगातार 35 दिन परागपुर में रहने के कारण ऋषि कपूर के साथ उनकी नजदीकियां कब मित्रता में बदल गई पता ही नहीं चला. ऋषि कपूर अपने काम से फ्री होने पर उन्हें फोन करके मिलने के लिए बुला लेते थे. उन्होंने बताया कि मुलाकात के दौरान इस तरह से बात करते थे जैसे मानों कितने ही वर्षों से मुझे जानते हों. कोई दिन ऐसा नहीं जाता था जब हमनें एक साथ इकट्ठे बैठकर दोपहर का या रात्रि का भोजन इकठ्ठे न किया हो.
उन्होंने बताया कि 'चिंटू जी' फिल्म के कुछ सीन प्रागपुर के साथ साथ गरली में भी फिल्माए गए थे. इसी दौरान व्यास नदी व प्राचीन शिव मंदिर महाकालेश्वर में भी उनके साथ साथ रहा और इस क्षेत्र के बारे में पूरी जानकारी दी थी.
ऋषि कपूर के साथ बतौर लाइन प्रोड्यूसर काम करने वाले अमित ठाकुर ने बताया कि कपूर हिमाचल व यहां के लोगों से बहुत स्नेह और प्रेम रखते थे. वो कहते थे कि यहां के लोगों की सादगी और सरलता उन्हें बहुत ऊर्जा प्रदान करती है. कभी कभी मन करता है कि शहरों की भागदौड़ भरी जिंदगी से दूर यहीं बसकर अपनी जिंदगी व्यतीत करे.
रूपेंद्र सिंह डैनी, अमित ठाकुर सहित सैंकड़ो लोगों ने ऋषि कपूर के देहांत पर शोक प्रकट करते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की है.
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