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कांगड़ा में बागवानों के लिए वरदान बनी बारिश, उन्नत किस्म के सेब की पैदावार होगी तैयार

कांगड़ा जिले में बारिश का दौर जारी है. जिले में हो रही बारिश सेब की पैदावार के लिए वरदान सिद्ध होगी. पिछले लगभग 5 सालों से सेब की पैदावार कर रहे शाहपुर विधानसभा क्षेत्र के पूर्ण चंद भाटिया ने बताया कि जिले में हो रही बारिश से सेब की पैदावार पर अच्छा असर पड़ रहा है.

Rain beneficial for apple production in Kangra.
कांगड़ा में बारिश सेब उत्पादन के लिए फायदेमंद.
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Published : May 3, 2023, 5:34 PM IST

कांगड़ा में सेब की पैदावार के लिए बारिश फायदेमंद.

धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश में कहीं बारिश वरदान बन कर बरस रही है तो कहीं आफत बन कर. जहां कई बागवानों के बारिश से चेहरे खिल उठे हैं तो वहीं कई किसानों और बागवानों के लिए ये बारिश किसी मुसीबत से कम नहीं है. प्रदेश के हिस्से में जहां बारिश और ओलावृष्टि ने सेब के बगीचों को खासा नुकसान पहुंचाया है और बागवानों के चेहरों पर उदासी छाई हुई है. वहीं, प्रदेश के दूसरे हिस्से में बारिश के कारण सेब बागवानों के चेहरे खुशी से खिल उठे हैं.

'कांगड़ा में सेब की पैदावार के लिए बारिश वरदान': बता दें कि जिला कांगड़ा में जो बागवान सेब की पैदावार कर रहे हैं और जिन बागवानों के सेब के पौधे फल देने शुरू कर चुके हैं, उनके लिए ये बारिश वरदान साबित हो सकती है. ये बात पिछले लगभग 5 सालों से सेब की पैदावार कर रहे शाहपुर विधानसभा क्षेत्र की पंचायत के रहने वाले पूर्ण चंद भाटिया ने कही. पूर्ण चंद भाटिया का कहना है कि बारिश उन बागवानों के लिए परेशानी बनी हुई है, जिन बागवानों के सेब के पौधे फल नहीं दे रहे और वे अभी सेब के पौधों पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कर रहे हैं.

'सिर्फ जैविक खाद्य का करते हैं इस्तेमाल': पूर्ण चंद ने कहा कि उनके सेब के पौधे कुछ सालों से फल देना शुरू कर चुके हैं और उन्होंने बहुत पहले पौधों में जैविक खाद्य का प्रयोग किया है. उन्होंने कहा की ये जो बारिश हो रही, इन बारिशों से सेब की पैदावार अच्छी होगी और सेब का आकार भी बढ़ेगा. उन्होंने सरकार व स्थानीय विधायक से आग्रह किया है कि वह बगीचे का विजिट करें और बागवानों को आ रही परेशानियों से निजात दिलाने में उनकी मदद करें. बता दें की पूर्ण चंद के बगीचे की विशेषता यह है कि वह अपने बगीचे में किसी रसायन खाद्य स्प्रे का प्रयोग नहीं करते हैं. इसके स्थान पर वह विभिन्न तरह से बनाई जाने वाली जैविक खाद्य का उपयोग करते हैं, जोकि दालों, किचन वेस्ट, ऑयलसीड, गोमूत्र तथा गोबर द्वारा बनाई जाती है.

'कांगड़ा में 524 हेक्टेयर पर सेब की पैदावार': वहीं, जानकारी देते हुए उप निदेशक उद्यान विभाग कांगड़ा कमल शील नेगी ने बताया कि जिला में बागवान सेब की अलग-अलग किस्म की पैदावार कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि जिला कांगड़ा में लगभग 525 हेक्टेयर एरिया में फसल की पैदावार की जा रही है. उन्होंने बताया कि कुछ बागवान सेब के पौधों की नर्सरी भी लगा रहे हैं और उन्हें बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं. कमल सिंह नेगी ने कहा कि बागवान सेब की अच्छी पैदावार के लिए कीटनाशक दवाइयों का उपयोग करें और यह जो बारिश हो रही है कहीं ना कहीं सेब की पैदावार करने वाले बागवानों के लिए वरदान सिद्ध होगी.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में आम के शौकीनों को मिलेगा नया स्वाद, बागवानी विभाग ने तैयार की आम की 6 नई किस्में

कांगड़ा में सेब की पैदावार के लिए बारिश फायदेमंद.

धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश में कहीं बारिश वरदान बन कर बरस रही है तो कहीं आफत बन कर. जहां कई बागवानों के बारिश से चेहरे खिल उठे हैं तो वहीं कई किसानों और बागवानों के लिए ये बारिश किसी मुसीबत से कम नहीं है. प्रदेश के हिस्से में जहां बारिश और ओलावृष्टि ने सेब के बगीचों को खासा नुकसान पहुंचाया है और बागवानों के चेहरों पर उदासी छाई हुई है. वहीं, प्रदेश के दूसरे हिस्से में बारिश के कारण सेब बागवानों के चेहरे खुशी से खिल उठे हैं.

'कांगड़ा में सेब की पैदावार के लिए बारिश वरदान': बता दें कि जिला कांगड़ा में जो बागवान सेब की पैदावार कर रहे हैं और जिन बागवानों के सेब के पौधे फल देने शुरू कर चुके हैं, उनके लिए ये बारिश वरदान साबित हो सकती है. ये बात पिछले लगभग 5 सालों से सेब की पैदावार कर रहे शाहपुर विधानसभा क्षेत्र की पंचायत के रहने वाले पूर्ण चंद भाटिया ने कही. पूर्ण चंद भाटिया का कहना है कि बारिश उन बागवानों के लिए परेशानी बनी हुई है, जिन बागवानों के सेब के पौधे फल नहीं दे रहे और वे अभी सेब के पौधों पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कर रहे हैं.

'सिर्फ जैविक खाद्य का करते हैं इस्तेमाल': पूर्ण चंद ने कहा कि उनके सेब के पौधे कुछ सालों से फल देना शुरू कर चुके हैं और उन्होंने बहुत पहले पौधों में जैविक खाद्य का प्रयोग किया है. उन्होंने कहा की ये जो बारिश हो रही, इन बारिशों से सेब की पैदावार अच्छी होगी और सेब का आकार भी बढ़ेगा. उन्होंने सरकार व स्थानीय विधायक से आग्रह किया है कि वह बगीचे का विजिट करें और बागवानों को आ रही परेशानियों से निजात दिलाने में उनकी मदद करें. बता दें की पूर्ण चंद के बगीचे की विशेषता यह है कि वह अपने बगीचे में किसी रसायन खाद्य स्प्रे का प्रयोग नहीं करते हैं. इसके स्थान पर वह विभिन्न तरह से बनाई जाने वाली जैविक खाद्य का उपयोग करते हैं, जोकि दालों, किचन वेस्ट, ऑयलसीड, गोमूत्र तथा गोबर द्वारा बनाई जाती है.

'कांगड़ा में 524 हेक्टेयर पर सेब की पैदावार': वहीं, जानकारी देते हुए उप निदेशक उद्यान विभाग कांगड़ा कमल शील नेगी ने बताया कि जिला में बागवान सेब की अलग-अलग किस्म की पैदावार कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि जिला कांगड़ा में लगभग 525 हेक्टेयर एरिया में फसल की पैदावार की जा रही है. उन्होंने बताया कि कुछ बागवान सेब के पौधों की नर्सरी भी लगा रहे हैं और उन्हें बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं. कमल सिंह नेगी ने कहा कि बागवान सेब की अच्छी पैदावार के लिए कीटनाशक दवाइयों का उपयोग करें और यह जो बारिश हो रही है कहीं ना कहीं सेब की पैदावार करने वाले बागवानों के लिए वरदान सिद्ध होगी.

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