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पौंग झील किनारे विस्थापितों को खेतीबाड़ी करने से रोक रहा प्रशासन, लोगों ने CM से की ये अपील - हिमाचल न्यूज

पूर्व सांसद डॉ. राजन सुशांत ने कहा कि सीएम जयराम ठाकुर ने 10 दिसंबर को पौंग बांध विस्थापितों को वचन दिया था कि पौंग झील किनारे परंपरागत तरीके से जो खेती चल रही है, वो चलती रहनी चाहिए और इसका स्थायी समाधान जल्द ही ढूंढा जाएगा, लेकिन प्रशासन अब उन्हें खेतीबाड़ी करने से रोक रहा है.

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Published : Jan 8, 2020, 7:59 PM IST

धर्मशाला: पूर्व सांसद डॉ. राजन सुशांत ने कहा कि सीएम जयराम ठाकुर ने 10 दिसंबर को पौंग बांध विस्थापितों को वचन दिया था कि पौंग झील किनारे परंपरागत तरीके से जो खेती चल रही है, वो चलती रहनी चाहिए और इसका स्थायी समाधान जल्द ही ढूंढा जाएगा.

डॉ. राजन सुशांत ने कहा कि सीएम अपने वचन के विपरीत इन लोगों को खेतीबाड़ी से रोक रहे हैं और इन पर मामले भी बनाए जा रहे हैं. विभाग द्वारा इन लोगों को डराया-धमकाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पौंग झील किनारे की भूमि पर एक विधायक ने भी खेती की है. विधायक का कहना है कि मेरे सीएम से अच्छे संबंध हैं और कुछ लोग मेरे और सीएम के संबंध बिगाड़ना चाहते हैं.

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पूर्व सांसद ने कहा कि हमारा किसी विधायक से व्यक्तिगत विरोध नहीं है, लेकिन जिन नियमों के तहत विधायक को खेतीबाड़ी की अनुमति दी जा रही है, उसी के तहत 50 हजार गरीब विस्थापितों को भी अनुमति दी जाए. डॉ. राजन सुशांत ने कहा कि जिला कांगड़ा के चार विधानसभा क्षेत्रों के पौंग बांध विस्थापित सड़कों पर आने की कगार पर पहुंच गए हैं.

फतेहपुर, ज्वाली, देहरा और जसवां परागपुर विधानसभा क्षेत्रों से संबंधित इन विस्थापितों को न तो राजस्थान में नहरी मुरब्बे मिले हैं और न ही इनके पास रोजगार है. डॉ. राजन सुशांत ने कहा कि नवंबर-दिसंबर माह जब पौंग बांध का पानी नीचे उतरता है तो उस भूमि पर पौंग बांध विस्थापित गेहूं बीज कर साल भर का राशन निकाल लेते हैं. ऐसे में लोगों ने सीएम से मांग की है उन्हं गेंहू की बिजाई की अनुमति दी जाए.

धर्मशाला: पूर्व सांसद डॉ. राजन सुशांत ने कहा कि सीएम जयराम ठाकुर ने 10 दिसंबर को पौंग बांध विस्थापितों को वचन दिया था कि पौंग झील किनारे परंपरागत तरीके से जो खेती चल रही है, वो चलती रहनी चाहिए और इसका स्थायी समाधान जल्द ही ढूंढा जाएगा.

डॉ. राजन सुशांत ने कहा कि सीएम अपने वचन के विपरीत इन लोगों को खेतीबाड़ी से रोक रहे हैं और इन पर मामले भी बनाए जा रहे हैं. विभाग द्वारा इन लोगों को डराया-धमकाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पौंग झील किनारे की भूमि पर एक विधायक ने भी खेती की है. विधायक का कहना है कि मेरे सीएम से अच्छे संबंध हैं और कुछ लोग मेरे और सीएम के संबंध बिगाड़ना चाहते हैं.

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पूर्व सांसद ने कहा कि हमारा किसी विधायक से व्यक्तिगत विरोध नहीं है, लेकिन जिन नियमों के तहत विधायक को खेतीबाड़ी की अनुमति दी जा रही है, उसी के तहत 50 हजार गरीब विस्थापितों को भी अनुमति दी जाए. डॉ. राजन सुशांत ने कहा कि जिला कांगड़ा के चार विधानसभा क्षेत्रों के पौंग बांध विस्थापित सड़कों पर आने की कगार पर पहुंच गए हैं.

फतेहपुर, ज्वाली, देहरा और जसवां परागपुर विधानसभा क्षेत्रों से संबंधित इन विस्थापितों को न तो राजस्थान में नहरी मुरब्बे मिले हैं और न ही इनके पास रोजगार है. डॉ. राजन सुशांत ने कहा कि नवंबर-दिसंबर माह जब पौंग बांध का पानी नीचे उतरता है तो उस भूमि पर पौंग बांध विस्थापित गेहूं बीज कर साल भर का राशन निकाल लेते हैं. ऐसे में लोगों ने सीएम से मांग की है उन्हं गेंहू की बिजाई की अनुमति दी जाए.

Intro:धर्मशाला- पूर्व सांसद डा. राजन सुशांत ने कहा कि सीएम जयराम ठाकुर ने 10 दिसंबर को पौंग बांध विस्थापितों को वचन दिया था कि पौंग झील किनारे परंपरागत तरीके से जो खेती चल रही है, वो चलती रहनी चाहिए और इसका स्थायी समाधान हम दो-तीन में ढूंढेंगे। धर्मशाला में आज प्रेसवार्ता में डा. राजन सुशांत ने कहा कि सीएम अपने वचन के विपरीत इन लोगों को खेतीबाड़ी से रोक रहे हैं और इन पर मामले भी बनाए जा रहे हैं और विभाग द्वारा इन्हें डराया-धमकाया भी जा रहा है।






Body: सीएम को हम बताना चाहते हैं कि पौंग झील किनारे की भूमि पर ही एक विधायक ने भी खेती की है। यह भूमि किसकी है, वेटलैंड, वाइल्ड लाइफ, बीबीएमबी की। विधायक का कहना है कि मेरे सीएम से मधुर संबंध हैं तथा कुछ लोग मेरे और सीएम के संबंध बिगाडऩा चाहते हैं। डा. सुशांत ने कहा कि हमारा किसी विधायक से व्यक्तिगत विरोध नहीं है, लेकिन जिन नियमों के तहत विधायक को खेतीबाड़ी की अनुमति दी जा रही है, उसी के तहत 50 हजार गरीब विस्थापितों को भी अनुमति दी जाए। डा. राजन सुशांत ने कहा कि जिला कांगड़ा के चार विधानसभा क्षेत्रों के पौंग बांध विस्थापित सड़कों पर आने की कगार पर पहुंच गए हैं। फतेहपुर, ज्वाली, देहरा और जसवां परागपुर विधानसभा क्षेत्रों से संबंधित इन विस्थापितों को न तो राजस्थान में नहरी मुरब्बे मिले हैं और न ही इनके पास रोजगार है और न ही जीवनयापन के लिए भूमि है। 


Conclusion:डा. राजन सुशांत ने कहा कि नवंबर-दिसंबर माह जब पौंग बांध का पानी नीचे उतरता है तो उस भूमि पर पौंग बांध विस्थापित निरंतर पीढिय़ों से गेहूं बीज कर साल भर का राशन निकाल लेते हैं। सीएम से हमारी मांग है कि एक सप्ताह का समय गेहूं की बिजाई के लिए बचा है, ऐसे में सीएम एक सप्ताह के भीतर पौंग बांध विस्थापितों को बिजाई की अनुमति प्रदान करें।

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