धर्मशाला: मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी कार्य असंभव नहीं है. इस कहावत को जिला कांगड़ा के एक युवा ने सही साबित कर दिखाया है. विलुप्त हो रही कला बैंबू को अपना स्वरोजगार बनाकर आज यह युवा आत्मनिर्भर बना है.
कांगड़ा के धर्मशाला निवासी बैंबू आर्टिस्ट विजय मेहरा ने करीब 20 साल पहले शौकिया तौर पर बैंबू आर्ट पर काम करने शुरू किया था, लेकिन जब उन्हें नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने इसे अपने रोजगार के रूप में चुन लिया और आज वह एक बैंबू आर्टिस्ट के रूप में काम करते हुए, स्थानीय लोगों को यह काम सीखा रहे हैं.
सालों से बैंबू आर्ट को संजोकर रखे हुए विजय मेहरा कोरोना महामारी के दौर में नौकरी खो चुके लोगों और गांव की महिलाओं को भी ट्रेनिंग दे रहे हैं. साथ ही लोगों से अपील कर रहे हैं कि अगर वह बैंबू आर्ट सीखना चाहते हैं, तो उनके पास आकर सीख सकते हैं. विजय मेहरा के पास काम कर रहे लोगों का कहना है कि बैंबू आर्ट सीखने के बाद वह अपना खुद काम शुरू करेंगे. साथ ही इसे और लोगों तक भी पहुंचाएंगे.
वहीं, बीडीओ धर्मशाला अभिनीत कात्यायन ने कहा कि मुख्यमंत्री ग्राम कौशल योजना को आत्मनिर्भर भारत के साथ जोड़कर लोगों को आत्मनिर्भर बनाने व रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए गांव में जाकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे लोगों को उनके घर में ही रोजगार उपलब्ध हो सकें. इस कड़ी में धर्मशाला ब्लॉक में लोगों को बांस के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. बीडीओ ने कहा कि प्राकृतिक संसाधन के रूप में बांस हमारे हर एक गांव में उपलब्ध है और बांस को प्रयोग करके पंचायत स्तर पर सूक्ष्म उद्योग स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है.
बैंबू आर्टिस्ट विजय मेहरा ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर भारत का सपना देख रहे हैं और वह बांस से विभिन्न उत्पाद बनाकर आत्मनिर्भर हुए हैं. इस तरह अन्य लोग भी बांस से उत्पाद तैयार करके आत्मनिर्भर बन सकते है. उन्होंने कहा कि वह इस वक्त लोगों को धर्मशाला ब्लॉक की ओर से बांस से विभिन्न उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही हैं और इस वक्त 6 लोग उनके पास ट्रेनिंग ले रहे हैं. विजय ने कहा कि वह अभी तक 150 लोगों को बांस उत्पादन की ट्रेनिंग दे चुके हैं.
वहीं, दूसरी और प्रशिक्षित रमेश चंद का कहना है कि वह बैंबू का काम करते हैं और पहले यह काम लुप्त हो चुका था, लेकिन अब सरकार की ओर से उन्हें पंचायत स्तर पर ही बेहतर काम मिल रहा है. उनका बैंड का काम था और कोरोना की वजह से वो काम बंद हो गया है. इस दौरान उन्हें अपने परिवार का गुजरा करना मुश्किल हो गया था. उन्होंने कहा कि 5 महिलाओं को योजना के तहत काम सिखया जा रहा है और साथ ही वो भी काम सीख रहे हैं. उन्होंने कहा कि काम सीखने के बाद वह अफना खुद का व्यापार खोलेंगे. उन्होंने सरकार से बेरोजगार लोगों को रोजगार देने की अपील की है.
वहीं, प्रशिक्षु महिला सुमना देवी का कहना है कि वह बांस से विभिन्न उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग ले रही है. उन्होंने कहा कि वह घर रहते हुए खाली समय में यह प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं. इससे उन्हें बेहतर रोजगार प्राप्त होगा, जिससे वह आत्मनिर्भर हो सकेंगी.