धर्मशाला: हवा में अटखेलियां करते पैराग्लाइडर पायलट भले ही हर किसी को रोमांचित करते हों, लेकिन इस धंधे में अब मंदी की मार का सामना भी पायलटों को करना पड़ रहा है. पर्यटकों की कम आमद से पैराग्लाइडर पायलट परेशान हैं. (Paragliding business stalled in Dharamshala) (Dharamshala indrunag paragliding point)
धर्मशाला में पैराग्लाइडिंग का कारोबार ठप: पायलटों का कहना है कि गर्मियों में पैराग्लाइडिंग का सीजन अच्छा गया था, लेकिन सर्दियों में मौसम अनुकूल होने के बावजूद अपेक्षा अनुरूप पर्यटक पैराग्लाइडिंग के लिए नहीं पहुंच रहे हैं. पैराग्लाइडिंग साइट इंद्रूनाग की बात करें तो पिछले वर्ष कोविड के बाद भी पैराग्लाइडिंग का धंधा ठीक गया था. सर्दियों में भी पर्यटक पैराग्लाइडिंग के लिए पहुंचते हैं, लेकिन पर्यटकों की कम संख्या के कारण धंधा मंदा चल रहा है.
इंद्रूनाग साइट पर 35 पायलट निर्भर: इंद्रूनाग पैराग्लाइडिंग साइट पर 35 पायलट निर्भर हैं, जिन्हें गर्मियों में तो अच्छा काम मिला, लेकिन वर्तमान में इक्का-दुक्का पर्यटक ही पैराग्लाइडिंग की चाह में इंद्रूनाग पहुंच रहे हैं. कई पायलट तो ऐसे हैं, जो वर्ष 2008 से यानी शुरूआत से ही इंद्रूनाग में पैराग्लाइडिंग करवाते आ रहे हैं. उनका कहना है कि इतनी मंदी आज से पहले कभी नहीं देखी.
इंद्रूनाग स्थित कैंप एंड ग्लाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल कुमार ने बताया कि इंद्रूनाग पैराग्लाइडिंग साइट को डेवलप करने की जरूरत है. इस बारे में प्रशासन से आग्रह किया गया है. इसके अलावा इंद्रूनाग स्टॉपेज से पैराग्लाइडिंग साइट तक के रास्ते का मसला भी प्रशासन के समक्ष उठाया है. अभी तक जो भी व्यवस्थाएं साइट के आस-पास पर्यटकों के लिए उपलब्ध हैं, वो सभी स्थानीय एसोसिएशन ने अपने स्तर पर मुहैया करवाई है.
साइट बनने के बाद बढ़ी पर्यटन इकाईयां: अनिल कुमार ने बताया कि पैराग्लाइडिंग साइट डेवलप होने के बाद इंद्रूनाग में पर्यटन इकाईयों में भी इजाफा हुआ है. वर्ष 2008 से पहले इंद्रूनाग में मात्र 2 रेस्टोरेंट थे, जबकि वर्तमान में कई होटल, होम स्टे और कैंपिंग साइट स्थापित हो चुके हैं. पर्यटन गतिविधियां बढ़ने से निश्चित तौर पर क्षेत्र की ख्याति बढ़ी है, लेकिन इस बार सर्दियों में धंधा, मंदा चल रहा है.
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