कांगड़ा: जिले के ज्वालामुखी के ज्वालामुखी थाने में महज 130 दिनों के बाद ही थाना प्रभारी पुरषोत्तम धीमान का ट्रांसफर कर दिया गया है. आम लोगों की माने तो थाना प्रभारी ने अपनी कार्यशैली से जनता के दिलों में जगह बनाई है, लेकिन बहुत कम समय में ही उनका स्थानांतरण कर दिया गया.
कुछ लोग इस ट्रांसफर को राजनीति से जोड़ कर भी देख रहे हैं. लोगों का मानना है कि थाना प्रभारी पुरषोतम धीमान ने अपने कुछ दिनों के कार्यकाल में पुलिस व जनता के बीच की दूरी को कम करने का प्रयास किया था. उन्होंने ज्वालामुखी की विभिन्न पंचायतो में जाकर नशा निवारण कमेटियों का गठन किया है. स्कूल व कॉलेजों में छात्र-छात्राओं को ट्रैफिक नियमों की जानकारी के साथ-साथ नशे के दुष्प्रभावों से जागरूक भी किया है.
...और साढ़े चार महीने में ही ज्वालामुखी के थाना प्रभारी का कर दिया ट्रांसफर - टीम की सहायता
जिला कांगड़ा के ज्वालामुखी थाना में सिर्फ 130 दिनों में ही थाना प्रभारी पुरषोत्तम धीमान को ट्रांस्फर का आदेश थमा दिया गया. स्थानीय जनता का कहना है कि ईमानदारी ऐसे ही राजनीती का शिकार होती रही तो ईमानदारी से काम करने वालों के हौसले कैसे बुलंद होंगे.
कांगड़ा: जिले के ज्वालामुखी के ज्वालामुखी थाने में महज 130 दिनों के बाद ही थाना प्रभारी पुरषोत्तम धीमान का ट्रांसफर कर दिया गया है. आम लोगों की माने तो थाना प्रभारी ने अपनी कार्यशैली से जनता के दिलों में जगह बनाई है, लेकिन बहुत कम समय में ही उनका स्थानांतरण कर दिया गया.
कुछ लोग इस ट्रांसफर को राजनीति से जोड़ कर भी देख रहे हैं. लोगों का मानना है कि थाना प्रभारी पुरषोतम धीमान ने अपने कुछ दिनों के कार्यकाल में पुलिस व जनता के बीच की दूरी को कम करने का प्रयास किया था. उन्होंने ज्वालामुखी की विभिन्न पंचायतो में जाकर नशा निवारण कमेटियों का गठन किया है. स्कूल व कॉलेजों में छात्र-छात्राओं को ट्रैफिक नियमों की जानकारी के साथ-साथ नशे के दुष्प्रभावों से जागरूक भी किया है.
एक तरफ भाजपा के कार्यकर्ता आपस में आमने सामने आ गए हैं वहीँ दूसरी और ज्वालामुखी में स्थानांतरणों का दौर भी नहीं थम रहा।
ऐसा ही मामला ज्वालामुखी थाना में भी देखने को मिला जहाँ मात्र 130 दिनों में ही ज्वालामुखी थाना प्रभारी पुरषोत्तम धीमान को स्थानांतरण का आदेश थमा दिया गया।
थाना प्रभारी पुरषोतम धीमान ने अपने चन्द दिनों के कार्यकाल में पुलिस व जनता के बीच की दूरी को कम करने का प्रयास किया।
इसके साथ ही ज्वालामुखी उपमंडल की बिभिन्न पंचायतो में जाकर नशा निवारण कमेटियो का गठन किया। स्कूल व कॉलेज में छात्र छात्राओं को ट्रैफिक नियमो की जानकारी दी। इसके अलावा नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक किया।
इस बीच पुलिस ने नशे को जड़ से खत्म करने का अभियान छेड़ा था जिसमे उन्हें कामयाबी भी मिली उन्होंने अपने इतने कम अंतराल मेँ एन डी पी सी के 6 और 22 एक्साइज के मामले पकड़े। यही नही थाना प्रभारी ने खेरो के अबैध कटान मामले में एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया। हैरत ये है कि जहां इन कामों के लिए थाना प्रभारी व उनकी टीम को समानित करना चाहिए वही उल्टा उनका स्थान्तरण कर दिया गया है जो बात स्थानीय जनता को हजम नही हो रही है।
हालांकि एक अच्छी पहल करते हुए थाना प्रभारी ने अपनी टीम की सहायता से पुलिस बाहन को आधुनिक उपकरणों से लैस किया जिसमें एल ई डी लाइट्स, 112 ऐप, जीपीएस कैमरा सिस्टम आदि लगवाया। यही नही थाना ज्वालामुखी के इतिहास में पहली बार माँ का जागरण व भंडारे का आयोजन किया गया। लेकिन ऐसा करना कुछ राजनितिक चाटुकारों को रास नहीं आया व मात्र तीन महीनो के अंतराल में ही थाना प्रभारी को स्थानांतरण का पत्र थमा दिया गया।
हालांकि स्थानांतरण प्रोटोकॉल के अनुसार एक स्थान पर तीन वर्ष का समय होता है, यदि ईमानदारी ऐसे ही राजनीती का शिकार होती रही तो ईमानदारी से काम करने वालों के हौशले कैसे बुलंद होंगे।Conclusion:null