धर्मशाला: प्रदेश न्यायिक प्राधिकरण अर्थात ट्रिब्यूनल को बंद करने का निर्णय न सरकार और न ही कर्मचारी हित में हैं. ऐसे में सरकार से मांग की जाती है कि इसे बहाल रखा जाए. ये बात ट्रिब्यूनल बार एसोसिएशन सर्किट धर्मशाला के प्रधान टेक चंद राणा ने धर्मशाला में प्रेसवार्ता में कही.
टेक चंद राणा ने कहा कि वर्ष 1986 में ट्रिब्यूनल शुरू किया गया था, जो कि वर्ष 2008 तक चल रहा, जिसे बाद में बंद कर दिया गया था. उसके बाद वर्ष 2016 में इसे शुरू किया गया था. उन्होंने कहा कि सरकार ने ट्रिब्यूनल को बंद कर इसमें लंबित मामलों को हाईकोर्ट में भेजने का निर्णय लिया है, जिससे कर्मचारी वर्ग पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, क्योंकि उन्हें हाईकोर्ट में अलग से वकील करने पड़ेंगे.
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राणा ने कहा कि कर्मचारी वर्ग को न्याय देने में ट्रिब्यूनल सक्षम है. इसके माध्यम से सस्ता न्याय कर्मचारी वर्ग को मिलता है. उन्होंने कहा कि अधिकतर सरकारी कर्मचारी नहीं चाहते की ट्रिब्यूनल बंद हो. ऐसे में ट्रिब्यूनल बार एसोसिएशन ने भी एक समिति गठित की है, जो कि 13 जुलाई को सीएम से मिलकर ट्रिब्यूनल को बहाल रखने को लेकर अपना पक्ष रखेगी.
टेक चंद ने कहा कि सरकार ने ट्रिब्यूनल को भंग करने का निर्णय जल्दबाजी में लिया है. कर्मचारियों के मामलों का ट्रिब्यूनल बेहतर ढंग से निपटारा कर रहा था, जबकि हाईकोर्ट में ऐसे मामलों में समय लगता है. ट्रिब्यूनल बार एसोसिएशन ने उक्त निर्णय को निरस्त करने बारे सरकार को प्रस्ताव भेज दिया है और धर्मशाला इकाई भी इसका समर्थन करती है.
राणा ने कहा कि प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को बहाल रखा जाना चाहिए, इसमें ही प्रदेश और कर्मचारी वर्ग की भलाई है. उन्होंने कहा कि सरकार से इस पर पुनर्विचार का आग्रह किया जाएगा, लेकिन सरकार नहीं मानी तो विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.
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