धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा चाय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी उपलब्धि प्राप्त है. कांगड़ा जिले की चाय को यूरोपियन जीआई टैग मिला है. जिसके बाद अब कांगड़ा चाय विश्व मानचित्र पर अपनी पहचान बना रही है. बता दें कि यूरोपियन जीआई टैग सिर्फ उन्ही उत्पादों को दिया जाता है जो उच्च स्तर के मानकों पर खरा उतरते हैं. ऐसे में कांगड़ा की चाय को ये टैग मिलना बहुत बड़ी उपलब्धि है. हालांकि कांगड़ा जिले में उगाई जाने वाली चाय का उत्पादन काफी कम होता है, क्योंकि इसे काफी कम जगह पर उगाया जाता है. लेकिन इन सब के बाबजूद कांगड़ा चाय की उच्च गुणवत्ता में कोई कमी नहीं है. कांगड़ा चाय को यूरोपियन जीआई टैग मिलना हिमाचल प्रदेश के लिए बड़े सम्मान की बात है. वहीं, यूरोपियन जीआई टैग की सूची में शामिल होने से अब कांगड़ा के चाय उत्पादकों के लिए यह काफी फायदेमंद और प्रोत्साहजनक रहने वाला है.
कांगड़ा चाय की गुणवत्ता ने बजाया डंका: गौरतलब है कि बीते कुछ सालों में कांगड़ा में चाय के उत्पादन को लेकर भारी कमी देखी गई है. लेकिन चाय की गुणवत्ता कोई कमी नहीं है. चाय उत्पादकों ने इसकी गुणवत्ता को बनाए रखा है. बता दें की कांगड़ा चाय की अपनी एक अलग महक व स्वाद है. इससे पहले भी 2005 में कांगड़ा चाय को जीआई टैग मिला था. इस समय प्रदेश में तकरीबन 2400 हेक्टेयर की जमीन पर चाय के बागान मौजूद हैं. वहीं, आज से लगभग 4 दशक पहले करीब 3 हजार हेक्टेयर एरिया में चाय के बागान हुआ करते थे.
यूरोपियन जीआई टैग से बेहतर होगा कांगड़ा चाय का उत्पादन: बता दें कि 1990 से लेकर 2002 तक कांगड़ा चाय अपनी बुलंदियों पर थी. हर साल 10 लाख किलो से ज्यादा चाय का उत्पादन यहां के चाय उत्पादक कर रहे थे. उस समय कांगड़ा चाय उद्योग खूब फल-फूल रहा था. कांगड़ा जिले के चाय उत्पादकों के अथक प्रयासों और कड़ी मेहनत से 1998-99 में चाय उत्पादन के रिकार्ड तक टूट गए थे. उस साल सिर्फ कांगड़ा में ही 17 लाख 11 हजार 242 किलो चाय का उत्पादन हुआ था. लेकिन कुछ पर्यावरण में बदलाव और कुछ लोगों के चाय उद्योग से दूर जाने के कारण पिछले कुछ सालों से चाय उत्पादन का आंकड़ा नीचे आते-आते 10 लाख किलो से भी कम का रह गया है. हालांकि अब प्रदेश में फिर से सरकार व प्रशासन के अथक प्रयासों के बाद फिर से कांगड़ा चाय की पैदावार में बढ़ौतरी देखने को मिली है. जिससे चाय उत्पादकों को बहुत फायदा होगा.
कांगड़ा चाय को यूरोपियन जीआई टैग बड़ी उपलब्धि: गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में दूसरे प्रदेशों के मुकाबले चाय के बागानों का आकार बहुत छोटा है. वहीं, दूसरे प्रदेशों में बड़े चाय बागान मालिकों को पूरा साल सही दाम में लेबर उपलब्ध रहती है. जबकि छोटे चाय बागान मालिक पूरा साल लेबर नहीं रख सकते और थोडे़ से समय के लिए काम करने वाली लेबर काफी ज्यादा दाम लेती है. इन सब विपरीत परिस्थितियों के बावजूद कांगड़ा चाय ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक नाम हासिल किया है. जो कि हिमाचल प्रदेश के लिए गर्व की बात है. टी बोर्ड ऑफ इंडिया पालमपुर अधिकारी अभिमन्यू शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि कांगड़ा चाय को यूरोपियन जीआई टैग मिला है जो कि कांगड़ा जिले सहित पूरे प्रदेश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है. इससे ने सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कांगड़ा चाय की पहचान मजबूत होगी बल्कि कांगड़ा में चाय उद्योग में लोगों का रुझान भी वापस से बढ़ने लगेगा. बता दें कि कांगड़ा चाय का निर्यात जर्मनी, फ्रांस , इंग्लैड में किया जाता है.
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