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स्क्रब टाइफस से बचाव के लिए एहतियात बरतना जरूरी: डॉ.विक्रम कटोच

बरसात के मौसम में स्क्रब टाइफस फैलने का खतरा अधिक होता है. ऐसे में हमें सावधानी बरतना चाहिए. जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. विक्रम कटोच ने बताया कि समय पर डॉक्टर को दिखाने पर इसका आसानी से इलाज संभव है. यह रोग एक आदमी से दूसरे को नहीं फैलता है.

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Published : Jun 8, 2021, 2:19 PM IST

धर्मशाला : प्रदेश में बरसात का मौसम आते ही स्क्रब टाइफस के मामले देखने को मिलते हैं. जिसे लेकर कांगड़ा स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी करनी शुरु कर दी है. जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. विक्रम कटोच ने इसके बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अब बरसात का मौसम आने वाला है, इसमें स्क्रब टाइफस फैलने का खतरा अधिक होता है. अगर लोगों को इसके बारे में जानकारी हो तो इससे समय रहते बचा जा सकता है.

कैसे फैलता है स्क्रब टाइफस ?

स्क्रब टाइफस एक रिकेटसिया नामक जीवाणु से फैलता है जो कि पिसुओं में पाया जाता है. संक्रमित पिस्सू, जंगली चूहों में पाए जाते हैं जो कि घरों के आस-पास उगी घास तथा खेतों में से घरों में आ जाते हैं. पिस्सू उन्हीं से घरों में फैल जाते हैं. संक्रमित पिस्सू स्वस्थ आदमी को काटता है और स्क्रब टाइफस फैलाता है.

स्क्रब टाइफस के लक्ष्ण

स्क्रब टाइफस वाले मरीज को 104 से 105 डिग्री तक बुखार होता है. जोड़ों में दर्द, गर्दन, बाजुओं के निचले भाग व कूल्हों में गिल्टियां होना इसके लक्षण होते हैं. उन्होंने बताया कि कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरन्त नजदीक के स्वाथ्य केन्द्र जाकर डॉक्टर को दिखाएं, अपनी मर्जी से दवा न खाएं.

ऐसे करें बचाव

घर के आस-पास घास या झाड़ियां न उगने दें तथा समय-समय पर सफाई करते रहें. शरीर को स्वच्छ रखें और हमेशा साफ कपड़े पहनें. आसपास जलजमाव बिल्कुल न होने दें. घर के अन्दर और आसपास कीटनाशक दवाओं का छिड़काव अवश्य करें. खेतों में काम करते समय अपने हाथ पैरों को अच्छे से ढ़क कर रखें.

डॉ. कटोच बताया कि समय पर डॉक्टर को दिखाने पर इसका आसानी से इलाज संभव है. यह रोग एक आदमी से दूसरे को नहीं फैलता है. स्क्रब टायफस का ज्यादा प्रकोप जुलाई से अक्टूबर महीने तक रहता है. इस मौसम में अधिकतर लोग खेतों में घास काटते हैं. इस कारण पिस्सू उन्हें काट लेता है, जिसे लोग गंभीरता से नहीं लेते हैं.

लोगों को किया जा रहा जागरुक

डॉ. कटोच का कहना है कि लोगों को स्क्रब टाइफस और अन्य जीवाणु तथा वायरस जनित रोगों से बचाव को लेकर शिक्षित एवं जागरूक करने पर बल दिया जा रहा है. उन्होंने इस लोकोन्मुखी प्रयास में सभी से सक्रिय भागीदारी तथा इन रोगों से बचाव के लिए एहतियात बरतने का आग्रह किया है.

ये भी पढे़ं: रक्षा मंत्री से मिले सीएम जयराम, सीमा पर चीन की 'करतूतों' के बारे में किया आगाह

धर्मशाला : प्रदेश में बरसात का मौसम आते ही स्क्रब टाइफस के मामले देखने को मिलते हैं. जिसे लेकर कांगड़ा स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी करनी शुरु कर दी है. जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. विक्रम कटोच ने इसके बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अब बरसात का मौसम आने वाला है, इसमें स्क्रब टाइफस फैलने का खतरा अधिक होता है. अगर लोगों को इसके बारे में जानकारी हो तो इससे समय रहते बचा जा सकता है.

कैसे फैलता है स्क्रब टाइफस ?

स्क्रब टाइफस एक रिकेटसिया नामक जीवाणु से फैलता है जो कि पिसुओं में पाया जाता है. संक्रमित पिस्सू, जंगली चूहों में पाए जाते हैं जो कि घरों के आस-पास उगी घास तथा खेतों में से घरों में आ जाते हैं. पिस्सू उन्हीं से घरों में फैल जाते हैं. संक्रमित पिस्सू स्वस्थ आदमी को काटता है और स्क्रब टाइफस फैलाता है.

स्क्रब टाइफस के लक्ष्ण

स्क्रब टाइफस वाले मरीज को 104 से 105 डिग्री तक बुखार होता है. जोड़ों में दर्द, गर्दन, बाजुओं के निचले भाग व कूल्हों में गिल्टियां होना इसके लक्षण होते हैं. उन्होंने बताया कि कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरन्त नजदीक के स्वाथ्य केन्द्र जाकर डॉक्टर को दिखाएं, अपनी मर्जी से दवा न खाएं.

ऐसे करें बचाव

घर के आस-पास घास या झाड़ियां न उगने दें तथा समय-समय पर सफाई करते रहें. शरीर को स्वच्छ रखें और हमेशा साफ कपड़े पहनें. आसपास जलजमाव बिल्कुल न होने दें. घर के अन्दर और आसपास कीटनाशक दवाओं का छिड़काव अवश्य करें. खेतों में काम करते समय अपने हाथ पैरों को अच्छे से ढ़क कर रखें.

डॉ. कटोच बताया कि समय पर डॉक्टर को दिखाने पर इसका आसानी से इलाज संभव है. यह रोग एक आदमी से दूसरे को नहीं फैलता है. स्क्रब टायफस का ज्यादा प्रकोप जुलाई से अक्टूबर महीने तक रहता है. इस मौसम में अधिकतर लोग खेतों में घास काटते हैं. इस कारण पिस्सू उन्हें काट लेता है, जिसे लोग गंभीरता से नहीं लेते हैं.

लोगों को किया जा रहा जागरुक

डॉ. कटोच का कहना है कि लोगों को स्क्रब टाइफस और अन्य जीवाणु तथा वायरस जनित रोगों से बचाव को लेकर शिक्षित एवं जागरूक करने पर बल दिया जा रहा है. उन्होंने इस लोकोन्मुखी प्रयास में सभी से सक्रिय भागीदारी तथा इन रोगों से बचाव के लिए एहतियात बरतने का आग्रह किया है.

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