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होटल मैनेजमेंट छोड़कर अपनाई खेती, पॉली हाउस में सब्जियां उगाकर हर माह लाखों की कमा रहे चेतन ठाकुर - पारंपरिक खेती

off season vegetable cultivation in Kangra: होटल मैनेजमेंट की डिग्री ली, चार साल बड़े-बड़े होटलों में काम किया, लेकिन रास कुछ न आया. घर लौट कर शुरू की किसानी और आज लाखों की आमदनी पा रहे कांगड़ा जिले के किसान चेतन ठाकुर. पारंपरिक खेती को छोड़कर चेतन ठाकुर ने पॉली हाउस में बेमौसमी सब्जियां लगाना शुरू किया और आज वह लाखों रुपयों की आमदनी कमा रहे हैं.

off season vegetable cultivation in Kangra
कांगड़ा में पॉली हाउस में की बेमौसमी सब्जियों की खेती
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 10, 2023, 10:58 AM IST

Updated : Dec 10, 2023, 1:40 PM IST

कांगड़ा में पॉली हाउस में बेमौसमी सब्जियों की खेती

कांगड़ा: हिमाचल प्रदेश के अधिकतर किसान-बागवान आज भी परंपरागत खेती कर रहे हैं, जोकि सारा साल मौसम पर निर्भर रहती है. वहीं, मौसम की बदलती परिस्थितियों के बाद अब किसानों का रुझान आधुनिक तकनीक से खेती करने की ओर बढ़ा है. ऑफ सीजन सब्जियों की बाजार में बढ़ती मांग और अच्छे दाम मिलने पर अब ग्रीनहाउस और पॉली हाउस जैसी तकनीक को अपनाकर किसान-बागवान बेमौसमी फल व सब्जियां उगा रहे हैं और उनसे अच्छा उत्पादन व मुनाफा भी कमा रहे हैं.

कांगड़ा के किसान ने लगाया पॉली हाउस: हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिए एकीकृत बागवानी विकास मिशन चलाया जा रहा है. जिसके तहत किसानों-बागवानों को पॉली हाउस लगाने के लिए 85 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जा रहा है. जिला कांगड़ा के इंदौरा ब्लॉक के इंदपुर से सम्बंध रखने वाले चेतन ठाकुर एक ऐसे ही किसान हैं, जिन्होंने इस योजना के तहत लाभ लेकर पॉली हाउस लगाया. जिससे वह बेमौसमी सब्जियों का अच्छा उत्पादन कर आज लाखों की कमाई कर रहे हैं.

होटल मैनेजमेंट से किसानी तक: चेतन ठाकुर ने बताया कि उन्होंने होटल मैनेजमेंट की डिग्री लेने के बाद बड़े-बड़े होटलों में चार साल तक काम किया, लेकिन वह अपने प्रदेश में ही अपना कारोबार शुरू करने के साथ अन्य लोगों को भी रोजगार उपलब्ध करवाना चाहते थे. उनके पिता कृषि विभाग से सेवानिवृत्त हुए हैं. जिसके कारण शुरू से ही चेतन शर्मा की खेतबाड़ी में गहरी दिलचस्पी रही है. अपने पिता से प्रेरणा लेकर चेतन ठाकुर ने फार्मिंग सेक्टर में ही अपना काम शुरू किया. जिसके बाद आज वह किसानी से ही लाखों की आमदनी कमा रहे हैं.

off season vegetable cultivation in Kangra
कांगड़ा में बेमौसमी सब्जियों की खेती

5 किसानों के साथ क्लस्टर किसानी: कृषि और बागवानी विभाग से मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद चेतन ठाकुर ने एकीकृत बागवानी विकास मिशन से लाभ लेकर एक एकड़ जमीन पर पॉली हाउस स्थापित लगा कर सब्जियां उगाना शुरू की. क्षेत्र के अन्य किसानों को भी चेतन ठाकुर ने इस संरक्षित खेती को करने को लेकर प्रेरित किया. जिसके चलते आज चेतन ठाकुर पांच अन्य किसान साथियों के साथ क्लस्टर बना कर चार एकड़ एरिया में पॉली हाउस में संरक्षित खेती कर रहे हैं. चेतन ठाकुर ने बताया कि बाकी किसानों के साथ क्लस्टर बना कर काम करने से उन सभी को सब्जियों को मंडियों तक पहुंचाने, बीज, खाद, उपकरण इत्यादि सामान लाने और ले जाने में पैसों की बचत के साथ-साथ खेती में अपना-अपना एक्सपीरियंस साझा करने में भी मदद मिलती है.

कृषि विभाग से मिली सब्सिडी: चेतन ठाकुर ने बताया कि पॉली हाउस लगाने में बागवानी विभाग द्वारा उन्हें 85 प्रतिशत सब्सिडी दी गई. इसके अलावा सोलह हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में स्वचलित सिंचाई सुविधा लगाने पर 80 प्रतिशत, पावर टिलर पर 50 प्रतिशत,ग्रेडिंग मशीन पर 2 लाख 50 हजार,वाटर स्टोरेज टैंक पर 50 प्रतिशत तथा अन्य कृषि उपकरणों पर अनुदान प्रदान किया गया है. उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा प्रदान की जा रही सब्सिडी और प्रशिक्षण के बिना संरक्षित खेती करना अत्यंत मुश्किल काम है. इसके साथ ही हर पांच साल बाद पॉली हाउस की शीट बदलने में भी सरकार द्वारा 80 प्रतिशत अनुदान दिया गया.

off season vegetable cultivation in Kangra
पीली शिमला मिर्च का उत्पादन

पारंपरिक खेती के मुकाबले ज्यादा मुनाफा: चेतन ठाकुर पॉली हाउस में फरवरी से सितंबर माह तक खीरा और अगस्त से जून के सीजन में लाल-पीली शिमला मिर्च का उत्पादन करते हैं. वह सीजन में दो एकड़ जमीन से सोलह सौ क्विंटल खीरा और 2 एकड़ जमीन से 500-500 क्विंटल लाल व पीली शिमला मिर्च का उत्पादन करते हैं. इसके अलावा सर्दियों के मौसम में पॉली हाउस के बीच की खाली जगह पर ब्रोकली और लैट्यूस (सलाद पत्ती) का उत्पादन करते हैं.
मौजूदा समय में चेतन ठाकुर और उनके किसान साथी पॉली हाउस में सब्जियां उगा कर सालाना कम से कम सात-सात लाख रुपये से अधिक का मुनाफा कमा रहे हैं, जो पारंपरिक खेती की तुलना में कई गुना ज्यादा है. वह स्वावलंबी बनने के साथ बारह और स्थानीय लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करवा रहे हैं. चेतन ठाकुर अपने व्यवसाय के क्षेत्र को निकट भविष्य में व्यापक स्तर पर बढ़ाना चाहते हैं. आज चेतन ठाकुर क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं.

पॉली हाउस में खेती के फायदे: पॉली हाउस के अंदर का मौसम जैसे तापमान, नमी और यहां तक कीटों की उपस्थिति आदि किसान के नियंत्रण में रहती है. जिससे कीटनाशकों और उर्वरकों का उपयोग कम होने के साथ इसकी देखभाल करना भी आसान हो जाता है. पॉली हाउस में उगाए गए फल, सब्जियां और पौधे ताजा रहते हैं. जिससे मार्केट में इसके अच्छे दाम मिलते हैं.

क्या कहते हैं बागवानी विभाग के उपनिदेशक: बागवानी विभाग के उपनिदेशक डॉ. कमलशील नेगी का कहना है कि इस योजना के तहत राज्य सरकार किसानों को पॉली हाउस लगाने के लिए 85 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान कर रही है. इसके अलावा सिंचाई सुविधा लगाने, पॉवर टिलर खरीदने, ग्रेडिंग मशीन की खरीद, वाटर स्टोरेज टैंक तथा अन्य कृषि उपकरणों पर 50 से 80 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान कर रही है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सूक्खु ने बागवानी और कृषि विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में नई-नई योजनाओं की शुरुआत की है. जिससे युवाओं को रोजगार के साथ-साथ अच्छी आमदनी भी होगी.

ये भी पढ़ें: बंजर भूमि से टूट चुकी थी उम्मीद, मौसमी ने बदली 24 किसानों की किस्मत, अब लाखों में होगी आमदनी!

कांगड़ा में पॉली हाउस में बेमौसमी सब्जियों की खेती

कांगड़ा: हिमाचल प्रदेश के अधिकतर किसान-बागवान आज भी परंपरागत खेती कर रहे हैं, जोकि सारा साल मौसम पर निर्भर रहती है. वहीं, मौसम की बदलती परिस्थितियों के बाद अब किसानों का रुझान आधुनिक तकनीक से खेती करने की ओर बढ़ा है. ऑफ सीजन सब्जियों की बाजार में बढ़ती मांग और अच्छे दाम मिलने पर अब ग्रीनहाउस और पॉली हाउस जैसी तकनीक को अपनाकर किसान-बागवान बेमौसमी फल व सब्जियां उगा रहे हैं और उनसे अच्छा उत्पादन व मुनाफा भी कमा रहे हैं.

कांगड़ा के किसान ने लगाया पॉली हाउस: हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिए एकीकृत बागवानी विकास मिशन चलाया जा रहा है. जिसके तहत किसानों-बागवानों को पॉली हाउस लगाने के लिए 85 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जा रहा है. जिला कांगड़ा के इंदौरा ब्लॉक के इंदपुर से सम्बंध रखने वाले चेतन ठाकुर एक ऐसे ही किसान हैं, जिन्होंने इस योजना के तहत लाभ लेकर पॉली हाउस लगाया. जिससे वह बेमौसमी सब्जियों का अच्छा उत्पादन कर आज लाखों की कमाई कर रहे हैं.

होटल मैनेजमेंट से किसानी तक: चेतन ठाकुर ने बताया कि उन्होंने होटल मैनेजमेंट की डिग्री लेने के बाद बड़े-बड़े होटलों में चार साल तक काम किया, लेकिन वह अपने प्रदेश में ही अपना कारोबार शुरू करने के साथ अन्य लोगों को भी रोजगार उपलब्ध करवाना चाहते थे. उनके पिता कृषि विभाग से सेवानिवृत्त हुए हैं. जिसके कारण शुरू से ही चेतन शर्मा की खेतबाड़ी में गहरी दिलचस्पी रही है. अपने पिता से प्रेरणा लेकर चेतन ठाकुर ने फार्मिंग सेक्टर में ही अपना काम शुरू किया. जिसके बाद आज वह किसानी से ही लाखों की आमदनी कमा रहे हैं.

off season vegetable cultivation in Kangra
कांगड़ा में बेमौसमी सब्जियों की खेती

5 किसानों के साथ क्लस्टर किसानी: कृषि और बागवानी विभाग से मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद चेतन ठाकुर ने एकीकृत बागवानी विकास मिशन से लाभ लेकर एक एकड़ जमीन पर पॉली हाउस स्थापित लगा कर सब्जियां उगाना शुरू की. क्षेत्र के अन्य किसानों को भी चेतन ठाकुर ने इस संरक्षित खेती को करने को लेकर प्रेरित किया. जिसके चलते आज चेतन ठाकुर पांच अन्य किसान साथियों के साथ क्लस्टर बना कर चार एकड़ एरिया में पॉली हाउस में संरक्षित खेती कर रहे हैं. चेतन ठाकुर ने बताया कि बाकी किसानों के साथ क्लस्टर बना कर काम करने से उन सभी को सब्जियों को मंडियों तक पहुंचाने, बीज, खाद, उपकरण इत्यादि सामान लाने और ले जाने में पैसों की बचत के साथ-साथ खेती में अपना-अपना एक्सपीरियंस साझा करने में भी मदद मिलती है.

कृषि विभाग से मिली सब्सिडी: चेतन ठाकुर ने बताया कि पॉली हाउस लगाने में बागवानी विभाग द्वारा उन्हें 85 प्रतिशत सब्सिडी दी गई. इसके अलावा सोलह हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में स्वचलित सिंचाई सुविधा लगाने पर 80 प्रतिशत, पावर टिलर पर 50 प्रतिशत,ग्रेडिंग मशीन पर 2 लाख 50 हजार,वाटर स्टोरेज टैंक पर 50 प्रतिशत तथा अन्य कृषि उपकरणों पर अनुदान प्रदान किया गया है. उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा प्रदान की जा रही सब्सिडी और प्रशिक्षण के बिना संरक्षित खेती करना अत्यंत मुश्किल काम है. इसके साथ ही हर पांच साल बाद पॉली हाउस की शीट बदलने में भी सरकार द्वारा 80 प्रतिशत अनुदान दिया गया.

off season vegetable cultivation in Kangra
पीली शिमला मिर्च का उत्पादन

पारंपरिक खेती के मुकाबले ज्यादा मुनाफा: चेतन ठाकुर पॉली हाउस में फरवरी से सितंबर माह तक खीरा और अगस्त से जून के सीजन में लाल-पीली शिमला मिर्च का उत्पादन करते हैं. वह सीजन में दो एकड़ जमीन से सोलह सौ क्विंटल खीरा और 2 एकड़ जमीन से 500-500 क्विंटल लाल व पीली शिमला मिर्च का उत्पादन करते हैं. इसके अलावा सर्दियों के मौसम में पॉली हाउस के बीच की खाली जगह पर ब्रोकली और लैट्यूस (सलाद पत्ती) का उत्पादन करते हैं.
मौजूदा समय में चेतन ठाकुर और उनके किसान साथी पॉली हाउस में सब्जियां उगा कर सालाना कम से कम सात-सात लाख रुपये से अधिक का मुनाफा कमा रहे हैं, जो पारंपरिक खेती की तुलना में कई गुना ज्यादा है. वह स्वावलंबी बनने के साथ बारह और स्थानीय लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करवा रहे हैं. चेतन ठाकुर अपने व्यवसाय के क्षेत्र को निकट भविष्य में व्यापक स्तर पर बढ़ाना चाहते हैं. आज चेतन ठाकुर क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं.

पॉली हाउस में खेती के फायदे: पॉली हाउस के अंदर का मौसम जैसे तापमान, नमी और यहां तक कीटों की उपस्थिति आदि किसान के नियंत्रण में रहती है. जिससे कीटनाशकों और उर्वरकों का उपयोग कम होने के साथ इसकी देखभाल करना भी आसान हो जाता है. पॉली हाउस में उगाए गए फल, सब्जियां और पौधे ताजा रहते हैं. जिससे मार्केट में इसके अच्छे दाम मिलते हैं.

क्या कहते हैं बागवानी विभाग के उपनिदेशक: बागवानी विभाग के उपनिदेशक डॉ. कमलशील नेगी का कहना है कि इस योजना के तहत राज्य सरकार किसानों को पॉली हाउस लगाने के लिए 85 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान कर रही है. इसके अलावा सिंचाई सुविधा लगाने, पॉवर टिलर खरीदने, ग्रेडिंग मशीन की खरीद, वाटर स्टोरेज टैंक तथा अन्य कृषि उपकरणों पर 50 से 80 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान कर रही है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सूक्खु ने बागवानी और कृषि विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में नई-नई योजनाओं की शुरुआत की है. जिससे युवाओं को रोजगार के साथ-साथ अच्छी आमदनी भी होगी.

ये भी पढ़ें: बंजर भूमि से टूट चुकी थी उम्मीद, मौसमी ने बदली 24 किसानों की किस्मत, अब लाखों में होगी आमदनी!

Last Updated : Dec 10, 2023, 1:40 PM IST
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