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चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय को देश भर में मिली 11वीं रैकिंग, कुलपति ने इन्हें दिया उपलब्धि का श्रेय

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Published : Jul 19, 2019, 10:46 AM IST

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने देश भर के सभी कृषि विश्वविद्यालयों में चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय को 11वीं रैकिंग दी है. कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरयाल ने इसका श्रेय विश्वविद्यालय के मेहनती शिक्षकों, गैर-शिक्षकों व विद्यार्थियों को दिया है.

चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय

धर्मशाला: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने देश भर के सभी कृषि विश्वविद्यालयों में चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय को 11वीं रैकिंग दी है. देश भर में 11वां रैंक पाकर कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरयाल ने खुशी जाहिर की और कहा कि इस उपलब्धि का श्रेय विश्वविद्यालय के मेहनती शिक्षकों, गैर-शिक्षकों व विद्यार्थियों को जाता है. जिनकी वजह से यह विश्वविद्यालय हर साल अपनी रैकिंग सुधारने में कामयाब रहा है.

कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरयाल ने बताया कि वर्ष 2016 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने विश्वविद्यालय को 23 वें, 2017 में 19 वें रैंक पर रखा था और अब यह कृषि विश्वविद्यालय 11वें स्थान पर अपनी जगह बनाने में कामयाब रहा है.

ये भी पढ़ें: जिला परिषद कुल्लू की त्रैमासिक बैठक में उठे जनहित के कई मुद्दे, सरकारी योजनाओं पर भी हुई चर्चा

कुलपति ने कहा कि देश के 75 कृषि विश्वविद्यालयों, मानित विश्वविद्यालयों और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थानों में इस विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक, अनुसंधान, प्रसार शिक्षा व आमदनी प्राप्त करने में बेहतर रहने पर 11वां स्थान हासिल किया. इसके साथ-साथ छात्रों ने भी इस विश्वविद्यालय पर विश्वास किया है और यहां आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या हर साल बढ़ रही है. बता दें कि 2016 में आवेदन करने वाले छात्रों की संख्या 9000 थी, जबकि 2017 में यह संख्या बढ़कर 17700 तक पहुंच गई.

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इसके अलावा प्रो. सरयाल ने बताया कि विश्वविद्यालय ने शून्य लागत प्राकृतिक खेती को प्रदेश में शुरू करके पूरे देश में पहल की है जिसे केंद्र सरकार ने भी प्रोत्साहित करने के लिए अपने बजट में स्थान दिया है. साथ ही राज्य सरकार का वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाने के लिए धन्यवाद प्रकट किया और कहा कि भविष्य में यह विश्वविद्यालय शिक्षा, अनुसंधान व प्रसार सेवाओं में और बेहतरी लाने को कृतसंकल्प हैं.

धर्मशाला: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने देश भर के सभी कृषि विश्वविद्यालयों में चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय को 11वीं रैकिंग दी है. देश भर में 11वां रैंक पाकर कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरयाल ने खुशी जाहिर की और कहा कि इस उपलब्धि का श्रेय विश्वविद्यालय के मेहनती शिक्षकों, गैर-शिक्षकों व विद्यार्थियों को जाता है. जिनकी वजह से यह विश्वविद्यालय हर साल अपनी रैकिंग सुधारने में कामयाब रहा है.

कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरयाल ने बताया कि वर्ष 2016 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने विश्वविद्यालय को 23 वें, 2017 में 19 वें रैंक पर रखा था और अब यह कृषि विश्वविद्यालय 11वें स्थान पर अपनी जगह बनाने में कामयाब रहा है.

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कुलपति ने कहा कि देश के 75 कृषि विश्वविद्यालयों, मानित विश्वविद्यालयों और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थानों में इस विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक, अनुसंधान, प्रसार शिक्षा व आमदनी प्राप्त करने में बेहतर रहने पर 11वां स्थान हासिल किया. इसके साथ-साथ छात्रों ने भी इस विश्वविद्यालय पर विश्वास किया है और यहां आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या हर साल बढ़ रही है. बता दें कि 2016 में आवेदन करने वाले छात्रों की संख्या 9000 थी, जबकि 2017 में यह संख्या बढ़कर 17700 तक पहुंच गई.

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इसके अलावा प्रो. सरयाल ने बताया कि विश्वविद्यालय ने शून्य लागत प्राकृतिक खेती को प्रदेश में शुरू करके पूरे देश में पहल की है जिसे केंद्र सरकार ने भी प्रोत्साहित करने के लिए अपने बजट में स्थान दिया है. साथ ही राज्य सरकार का वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाने के लिए धन्यवाद प्रकट किया और कहा कि भविष्य में यह विश्वविद्यालय शिक्षा, अनुसंधान व प्रसार सेवाओं में और बेहतरी लाने को कृतसंकल्प हैं.

Intro:धर्मशाला- चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय को भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् ने देश भर के सभी कृषि विश्वविद्यालयों में रैंकिंग पर 11वें स्थान पर रखा है। कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरयाल ने विश्वविद्यालय की रैंकिंग पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इस उपलब्धि का श्रेय विश्वविद्यालय के मेहनती शिक्षकों, गैर-शिक्षकों व विद्यार्थियों को जाता है और जिन्होंने ऐसी कार्यशैली सृजित की है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् ने विश्वविद्यालय को रैंकिंग में 23वें स्थान पर रखा था और वर्ष 2017 में यह विश्वविद्यालय 19वें रैंक पर पहुंचने में सफल हुआ था। लेकिन अब वर्ष 2018 में 16 जुलाई को प्राप्त सूचना के अनुसार विश्वविद्यालय का 11वें स्थान पर रहना विश्वविद्यालय के श्रेष्ठ कार्यशैली को इंगित करता है।


Body:उन्होंने विश्वविद्यालय समुदाय से कहा कि सफलता की इस दौड़ को 4 भी कायम रखें। कुलपति ने कहा कि देश के 75 कृषि विश्वविद्यालयों, मानित विश्वविद्यालयों तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के संस्थानों में इस विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक, अनुसन्धान, प्रसार शिक्षा व आमदनी प्राप्त करनेे में बेहतर रहने पर 11वां स्थान हासिल किया। कुलपति ने कहा कि विद्यार्थियों ने इस विश्वविद्यालय की शिक्षा में विश्वास प्रकट किया। यहां आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या वर्ष 2016 में 9000 थी जो वेटरीनरी व कृषि की 152 सीटों के लिए वर्ष 2017 में बढ़कर 17700 तक पहुंच गई। यह सब इस विश्वविद्यालय के उच्च अकादमिक स्तर तथा विद्यार्थियों द्वारा जूनियर फैलोशिप, सीनियर फैलोशिप, कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल की नैट परीक्षाओं व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् की प्रवेश परीक्षाओं जैसी राष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धाओं में भरपूर सफलता व विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी विभागों में नियुक्तियां प्राप्त करने के फलस्वरूप संभव हुआ है।
Conclusion:
प्रो. सरयाल ने कहा कि विश्वविद्यालय ने शून्य लागत प्राकृतिक खेती को प्रदेश में शुरू करके पूरे देश में पहल की है जिसे केन्द्र सरकार ने भी प्रोत्साहित करने के लिए अपने बजट में स्थान दिया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय भविष्य में शिक्षा, अनुसन्धान व प्रसार सेवाओं में और बेहतरी लाने को कृतसंकल्प है। कुलपति ने मुख्यमन्त्री तथा राज्य सरकार का भरपूर वितिय सहायता उपलब्ध करवाने हेतु धन्यवाद प्रकट किया है।
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