धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश में कोरोना कर्फ्यू के चलते जहां दुकानदारों को आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, जिला कांगड़ा में कुछ होटल व्यवसायी अपनी संपत्तियों को बेच खुद का खर्च निकालने के लिए मजबूर हो गए हैं. जिला कांगड़ा में कोरोना कर्फ्यू से टूरिज्म सेक्टर की हालत खस्ता हो चुकी है. कोविड काल के चलते पर्यटन उद्योग पूरी तरह से ठप है. पर्यटन व्यवसायियों के अनुसार सरकार से कोई राहत न मिलने के कारण होटल कारोबारियों के आर्थिक हालात काफी कमजोर हो गए हैं.
संपत्ति बेचने की तैयारी में 50 फीसदी होटल कारोबारी
होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष अश्वनी बांबा ने कहा कि धर्मशाला के 1 हजार से अधिक होटलों में से लगभग 50 फीसदी को बेचने की तैयारियां कर ली हैं. हालांकि संपत्ति की कीमतें भी पांच साल पहले की तुलना में 25 से 30 फीसदी कम हैं. अश्वनी ने बताया कि इस समय परिस्तिथियां ऐसी बन चुकी हैं कि होटल व्यवसायियों को अपनी संपत्ति बेचने के लिए मजबूर किया जा रहा है. उनके पास बैंक ऋण ( Bank Loan) चुकाने के लिए पैसे तक नहीं हैं.
सरकार ने नहीं की कोई वित्तीय मदद
अश्वनी बांबा ने सरकार से समर्थन की कमी पर अफसोस जताते हुए कहा कि राज्य के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में होटल उद्योग की ओर से लगभग 18 प्रतिशत योगदान देने के बावजूद भी सरकार ने उन्हें कोई वित्तीय सहायता नहीं दी है. होटल बंद हैं लेकिन सरकार टैक्स वसूल रही है. यहां तक कि प्रदूषण एवं पर्यटन विभागों के सालाना लाइसेंस नवीनीकरण शुल्क को भी माफ नहीं किया गया है.
आर्थिक मंदी से जूझ रहे हैं होटल कारोबारी
विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक जिला कांगड़ा में सबसे ज्यादा 3 हजार से ज्यादा होटल हैं. कोविड महामारी के चलते अब तक यहां करीब 50 हजार लोगों ने अपनी नौकरी खो दी है. कोरोना कर्फ्यू के चलते अब होटल कारोबारियों को अपनी संपत्तियों को बेच कर अपना खर्च निकालने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. हिमाचल में पर्यटन कारोबार ठप है, जिस कारण होटल कारोबारियों को आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ रहा है.
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