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मिनी हरिद्वार में पवित्र स्नान से बैसाखी मेला शुरू, पांडवों ने यहां बनाई थी स्वर्ग के लिए सीढ़ियां! - आस्था की डुबकी

कांगड़ा के ऐतिहासिक देहर खड्ड में बैसाख सक्रांति पर तकरीबन 10 हजार लोगों ने पवित्र स्नान किया. बता दें कि देहर खड्ड के पास हर साल 14 अप्रैल को जिला स्तरीय बैसाखी पर्व का आयोजन किया जाता है.

मिनी हरिद्वार में पवित्र स्नान
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Published : Apr 14, 2019, 3:17 PM IST

कांगड़ा: जिला के ज्वाली स्थित ऐतिहासिक देहर खड्ड में पवित्र स्नान के साथ जिला स्तरीय बैसाखी मेला शुरू हो गया है. छोटे हरिद्वार के नाम से विख्यात इस प्राचीन स्थल पर दूरदराज से आए लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई.

जवाली में सुबह 4 बजे ही दूरदराज से लोग वाहनों, कारों, स्कूटर, बाइक, बसों और पैदल पहुंचने शुरू हो गए थे. बैसाख सक्रांति पर तकरीबन 10 हजार लोगों ने स्नान किया. सुरक्षा के लिहाज से यहां पुलिस कर्मियों की तैनाती के साथ महिला सुरक्षा पर भी ध्यान दिया गया है.

महिलाओं के स्नान लिए विशेष टेंटनुमा स्नानागार बनाए गए हैं. वहीं ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए वाहन पार्किंग के स्थल भी बनाये गए हैं. बता दें कि देहर खड्ड के पास हर साल 14 अप्रैल को जिला स्तरीय बैसाखी पर्व का आयोजन किया जाता है. इस स्थान को मिनी हरिद्वार कह कर भी पुकारा जाता है.

किंवदंतियों के अनुसार द्वापर युग में अज्ञातवास के दौरान पांडव इस मनमोहक स्थल को देख यहां रुक गए थे. कहा जाता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहां पर स्वर्ग के लिए सीढ़ियों का निर्माण करना चाहा और इस कार्य को एक ही रात में पूरा करने का निर्णय लिया. स्वर्ग के लिए जब केवल अढ़ाई सीढ़ियां बननी शेष रह गईं, तो एक तेलिन ने सुबह होने की आवाज दे दी. इस कारण इस कार्य में विघ्न पड़ गया और सभी सीढ़ियां गिर गईं, केवल अढ़ाई सीढ़ियां ही शेष रहीं.

विघ्न पड़ जाने के कारण पांडव इस निर्माण कार्य को अधूरा छोड़ पश्चिम की ओर चले गए. तभी से इस स्थान को हरिद्वार के रूप में स्वीकारा जाता है. ये दंतकथा मिनी हरिद्वार की बगल में बने शिवमंदिर की दीवार पर भी लिखी हुई है. इसके साथ ही यहां धर्मराज का मंदिर भी बनाया गया है. मान्यता है कि बैसाखी के दिन यहां स्नान करना हरिद्वार में गंगा स्नान करने के बराबर है, इसलिए हर साल हजारों की तादाद में दूरदराज से लोग आज भी यहां स्नान करने के लिए आते हैं.

कांगड़ा: जिला के ज्वाली स्थित ऐतिहासिक देहर खड्ड में पवित्र स्नान के साथ जिला स्तरीय बैसाखी मेला शुरू हो गया है. छोटे हरिद्वार के नाम से विख्यात इस प्राचीन स्थल पर दूरदराज से आए लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई.

जवाली में सुबह 4 बजे ही दूरदराज से लोग वाहनों, कारों, स्कूटर, बाइक, बसों और पैदल पहुंचने शुरू हो गए थे. बैसाख सक्रांति पर तकरीबन 10 हजार लोगों ने स्नान किया. सुरक्षा के लिहाज से यहां पुलिस कर्मियों की तैनाती के साथ महिला सुरक्षा पर भी ध्यान दिया गया है.

महिलाओं के स्नान लिए विशेष टेंटनुमा स्नानागार बनाए गए हैं. वहीं ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए वाहन पार्किंग के स्थल भी बनाये गए हैं. बता दें कि देहर खड्ड के पास हर साल 14 अप्रैल को जिला स्तरीय बैसाखी पर्व का आयोजन किया जाता है. इस स्थान को मिनी हरिद्वार कह कर भी पुकारा जाता है.

किंवदंतियों के अनुसार द्वापर युग में अज्ञातवास के दौरान पांडव इस मनमोहक स्थल को देख यहां रुक गए थे. कहा जाता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहां पर स्वर्ग के लिए सीढ़ियों का निर्माण करना चाहा और इस कार्य को एक ही रात में पूरा करने का निर्णय लिया. स्वर्ग के लिए जब केवल अढ़ाई सीढ़ियां बननी शेष रह गईं, तो एक तेलिन ने सुबह होने की आवाज दे दी. इस कारण इस कार्य में विघ्न पड़ गया और सभी सीढ़ियां गिर गईं, केवल अढ़ाई सीढ़ियां ही शेष रहीं.

विघ्न पड़ जाने के कारण पांडव इस निर्माण कार्य को अधूरा छोड़ पश्चिम की ओर चले गए. तभी से इस स्थान को हरिद्वार के रूप में स्वीकारा जाता है. ये दंतकथा मिनी हरिद्वार की बगल में बने शिवमंदिर की दीवार पर भी लिखी हुई है. इसके साथ ही यहां धर्मराज का मंदिर भी बनाया गया है. मान्यता है कि बैसाखी के दिन यहां स्नान करना हरिद्वार में गंगा स्नान करने के बराबर है, इसलिए हर साल हजारों की तादाद में दूरदराज से लोग आज भी यहां स्नान करने के लिए आते हैं.

मिनी हरिद्वार में पवित्र स्नान से शुरू हुआ बैसाखी मेला, 10 हज़ार से अधिक लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी
कांगड़ा, 14 अप्रैल
जिला के ज्वाली स्थित ऐतिहासिक देहर खड्ड में पवित्र स्नान के साथ जिला स्तरीय बैसाखी मेला शुरू हो गया। छोटे हरिद्वार के नाम से विख्यात इस प्राचीन स्थल पर दूरदराज से आये लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई। जवाली में सुबह 4 बजे ही दूरदराज से लोग वाहनों, कारों, स्कूटर, मोटरसाइकिल, बसों व पैदल पहुंचने शुरू हो गए थे। बैसाख सक्रांति पर तकरीबन 10 हजार लोगों ने स्नान किया। सुरक्षा के लिहाज से यहां पुलिस कर्मियों की तैनाती के साथ महिला सुरक्षा पर भी ध्यान दिया गया है। महिलाओं के स्नान लिए विशेष टेंटनुमा स्नानागार बनाए गए हैं। वहीं ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए वाहन पार्किंग के स्थल भी बनाये गए हैं। बता दें कि देहर खड्ड के समीप हर साल 14 अप्रैल को जिला स्तरीय बैसाखी पर्व का आयोजन किया जाता है। इस स्थान को मिनी हरिद्वार कह कर भी पुकारा जाता है। किंवदंती है कि द्वापर युग में अज्ञातवास के दौरान पांडव इस मनमोहक स्थल को देख यहां रुक गए थे। कहा जाता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहां पर स्वर्ग के लिए सीढ़ियों का निर्माण करना चाहा और इस कार्य को एक ही रात में पूरा करने का निर्णय लिया। स्वर्ग के लिए जब केवल अढ़ाई सीढ़ियां बननी शेष रह गईं, तो एक तेलिन ने सुबह होने की आवाज दे दी। इस कारण इस कार्य में विघ्न पड़ गया और सभी सीढ़ियां गिर गईं, केवल अढ़ाई सीढ़ियां ही शेष रही। विघ्न पड़ जाने के कारण पांडव इस निर्माण कार्य को अधूरा छोड़ पश्चिम की ओर चले गए। तभी से इस स्थान को हरिद्वार के रूप में स्वीकारा जाता है। यह दंतकथा मिनी हरिद्वार की बगल में बने शिवमंदिर की दीवार पर भी लिखी हुई है। इसके साथ ही यहां धर्मराज का मंदिर भी बनाया गया है। मान्यता है कि बैसाखी के दिन यहां स्नान करना हरिद्वार में गंगा स्नान करने के बराबर है, इसलिए हर वर्ष हज़ारों की तादाद में दूरदराज से लोग आज भी स्नान करने के लिए आते हैं। 
विसुल
देहर खड्ड जहां लोग करते हैं पवित्र स्नान।
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