कांगड़ा: तिब्बतियों के सर्वोच्च धर्मगुरु 14वें दलाईलामा को गांधी मंडेला फाउंडेशन ने मैक्लोडगंज बौद्ध मंदिर में अपना पहला शांति पुरस्कार दिया. प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने तिब्बती धर्मगुरु को यह सम्मान प्रदान किया. दलाई लामा इस पुरस्कार के लिए फाउंडेशन का आभार जताते हुए शुभकामनाएं दी. (14th Dalai Lama) (Governor Rajendra Vishwanath Arlekar)
इस मौके पर दलाईलामा ने कहा कि वह दया, एकता और अहिंसा पर जोर देते हैं. करुणा और दया इंसान को शक्ति प्रदान करती है. मॉडर्न एजुकेशन (Modern Education) दिमाग को बल देती है लेकिन व्यक्ति करुणामय होकर शांत मन से कोई विचार करता है, तो निर्णय सही होता है. दलाईलामा ने कहा कि पीस आफ माइंड काफी महत्वपूर्ण है.
गांधी, मंडेला के बाद दलाईलामा शांतिदूत: राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कहा कि गांधी, मंडेला के बाद पूरे विश्व में कोई शांतिदूत है, तो वे तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा हैं. राज्यपाल ने कहा कि पूरे विश्व में शांति की जरूरत है लेकिन हथियार किसी समस्या का हल नहीं है. राज्यपाल शनिवार को मैक्लोडगंज में द गांधी मंडेला अवार्ड सेरेमनी में बतौर मुख्यातिथि शिरकत करते हुए बोल रहे थे. राज्यपाल ने कहा कि दलाईलामा को सम्मानित करना और उनका सान्निध्य पाना मेरे के लिए गौरव की बात है.
राज्यपाल अर्लेकर ने कहा कि वर्तमान में विश्व को शांति की आवश्यकता है. ऐसे में विश्व शांति के लिए यदि गांधी मंडेला फाउंडेशन का शांति अवार्ड इस जमाने दलाईलामा के अलावा किसी और को नहीं दिया जा सकता. दलाईलामा अहिंसा और करुणा का विचार रखते हैं.
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