पालमपुर: हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कोरोना महामारी से लड़ने के लिए केंद्र सरकार को सुझाव दिए हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना का सबसे बढ़िया इलाज है सभी लोगों को वैक्सीन लगाना. सबसे अधिक इजराइल ने टीका लगाया है, जिस वजह से वहां बीमारी कम हो गई है. यह कहा जा रहा है कि पेटेंट कानू के कारण स्वदेशी कंपनियां टीका नहीं बना पा रही हैं.
पूर्व सीएम ने कहा कि 2011-12 में वे संसद की स्थाई समिति के अध्यक्ष थे. कमेटी ने ब्रांडेड और जेनेरिक दवा उद्योग पर गहरा अध्ययन किया और सरकार को रिपोर्ट दी थी. वो एतिहासिक फैसला जिसके बाद से लाखों रुपये की दवाइयां हजार में मिलने लगी.
सरकार ने स्वयं नियमों का अध्ययन किया
शांता कुमार ने कहा कि कमेटी ने यह कहा था कि विदेशी बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियां पेटेंट के नाम पर देश को लूट रही हैं रिपोर्ट में कहा था कि वायर कम्पनी की कैंसर की एक दवाई 2 लाख 80 हजार रुपये में बिक रही थी, जिससे रोगी बहुत परेशान थे. उस समय की सरकार ने स्वयं नियमों का अध्ययन किया. उसके अनुसार किसी आपात स्थिति में सरकार स्वदेशी कंपनी को कंपलसरी लाइसेंस दे सकती है. उसी दवाई को बनाने का लाइसेंस हैदराबाद की नैटको कंपनी को दिया गया. जो दवाई 2 लाख 80 हजार में बिक रही थी, वही दवा उसी गुणवत्ता के साथ 8,800 रुपये में बिकने लगी.
ऐतिहासिक निर्णय में सरकार की जीत हुई
कम्पनी ने पेटेंट कंट्रोलर के पास मुकदमा किया. ऐतिहासिक निर्णय में सरकार की जीत हुई. उस के बाद कंपनी उच्च न्यायालय में गई. उच्च न्यायालय ने अपने ऐतिहासिक निर्णय में कहा था कि आपात स्थिति में सरकार को मानवीय अधिकार है और कानूनी अधिकार भी है.
प्रधानमंत्री की घोषणा आज तक नहीं हुई लागू
शांता कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सूरत में सार्वजनिक रूप से कहा था कि भारत एक कानून बना रहा है. जिसके द्वारा डाक्टरों को रोगी की पर्ची पर केवल जेनेरिक दवाई ही लिखनी होगी. उन्होंने कहा कि बहुराष्ट्रीय विदेशी कंपनियों के दबाव के कारण प्रधानमंत्री की घोषणा आज तक लागू नहीं हुई. आज की परिस्थिति उससे भी भयंकर है. सरकार अति शीघ्र टीका बनाने का भारतीय कम्पनियों को कंपलसरी लाइसेंस दें तो करोड़ों में उत्पादन होगा. सरकार ने आज तक इस बात का उत्तर नहीं दिया कि इतने बड़े भयंकर संकट में भी कंपलसरी लाइसेंस क्यों नहीं दिया जा रहा है.
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