पालमपुर/कांगड़ा: गलवान घाटी में भारत और चीन सेना के बीच हुई झड़प का विरोध करते हुए पूर्व सैनिक लीग पालमपुर ने केंद्र सरकार से तिब्बत की आजादी का मुद्दा यूएनओ में उठाने और तिब्बत की सरकार को मान्यता प्रदान करने की मांग भारत सरकार से उठाई है.
लीग अध्यक्ष सीडी सिंह गुलेरिया , प्रवक्ता कुलदीप राणा व सदस्य अश्वनी कुमार व्यास ने निहत्थे भारतीय सैनिकों पर चीन के हमले और हत्या करने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि तिब्बत की आजादी भारत के लिए ही नहीं संपूर्ण विश्व शांति के लिए जरूरी है.
भारत की सरहदों को सुरक्षित रखने के लिए चीन से तिब्बत की आजादी जरूरी
भारत की सरहदों को सुरक्षित रखने के लिए चीन से तिब्बत की आजादी ही एकमात्र विकल्प है. एक स्वतंत्र राष्ट्र तिब्बत को चीन ने जबरदस्ती हड़पा है व इस पर चीन का कोई अधिकार नहीं है. ऐसा करने से भारत की छवि संपूर्ण विश्व सहित छोटे राष्ट्रों में बनेगी.
पूर्व सैनिकों ने चीन की ओर से समय-समय पर भारत की भूमि पर कुचेष्टा रखने व हाल में हमारे सैनिकों के महान बलिदान पर कहा कि भारत हमेशा से छोटे राष्ट्रों का रक्षक रहा है व कभी भी किसी देश पर आज दिन तक पहले हमला नहीं किया. जबकि वीरता में हमारे सैनिक विश्व में हमेशा अग्रणी रहे हैं.
चीन ने हमें ललकारा है
अश्वनी कुमार व्यास ने कहा कि अब चीन ने हमें ललकारा है, लिहाजा इसका स्थाई हल तिब्बत की आजादी ही है. उन्होंने आगे कहा कि कैलाश मानसरोवर सदियों से हिंदुओं का धाम रहा है.
हमारे पूर्वजों से लेकर आज तक यह हिंदुओं की आस्था का केंद्र रहा है. चीन के हस्तक्षेप बाद आज हम अपने पूजा के हक खो चुके हैं. इस धार्मिक दृष्टि को भी हम तिब्बत को आजादी दिलाकर प्राप्त कर सकते हैं.
बौद्ध धर्म सभ्यता को चीन की कम्युनिस्ट सरकार दफन करने में लगी है
पूर्व सैनिकों ने चिंता जताई कि तिब्बत की बौद्ध धर्म सभ्यता को चीन की कम्युनिस्ट सरकार दफन करने में लगी है. लाखों तिब्बत समुदाय के लोगों की रोजाना हत्याएं हो रहीं हैं. लिहाजा, भारत ही नहीं, संपूर्ण विश्व को ही चीन के विरुद्ध खड़ा होना पड़ेगा.
सरकारों पर आरोप लगाया कि सबसे बड़े दुश्मन को आर्थिक दृष्टि में मजबूत करने में हम लगे हैं. भारत की सरकारों को झांसे में लेकर चीन की सरकार खरबों रुपये का आर्थिक लाभ प्रदान कर रही है. चीन इसी पैसे के बल पर अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाकर भारत ही नहीं, अपितु संपूर्ण विश्व के लिए भस्मासुर बन रहा है.
इसलिए भारत सरकार को चीन व इसके नागरिकों पर आर्थिक कार्यों पर पूर्णता प्रतिबंधित करें. मोदी सरकार को भी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तर्ज पर निर्णय लेकर सबको कर चीन के खिलाफ धावा बोलना होगा.
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