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मक्की की फसल पर नए कीट फाल आर्मी वर्म की दस्तक, कृषि अधिकारियों ने जांचे खेत

उपकृषि निदेशक डॉ. पीसी सैनी ने जानकारी देते हुए कहा कि परागपुर क्षेत्र के किसानों की ओर से कृषि विभाग के अधिअकरियों से संपर्क के बाद अधिकारीयों ने कीट ग्रसित मक्की के खेतों दौरा किया. इस दौरान मक्की की फसल की खेतों में जाकर जांच की गई और किसानों फसल को कीट से बचाने के बारे में जानकारी दी गई.

कांगड़ा
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Published : Jul 22, 2020, 7:57 PM IST

पालमपुर: जिला कांगड़ा के पालमपुर में उपकृषि निदेशक डॉ. पीसी सैनी ने जानकारी देते हुए कहा कि परागपुर क्षेत्र के किसानों की ओर से कृषि विभाग के अधिअकरियों से संपर्क के बाद अधिकारीयों ने कीट ग्रसित मक्की के खेतों दौरा किया.

इस दौरान कृषि विभाग के अधिकारियों ने 16 जुलाई और 21 जुलाई कांगड़ा के साथ अपर परागपुर, उपरली बढ़ल व नगल चौक के गांवों में लगभग 20 हेक्टेयर कृषि क्षेत्र में जांच और लगभग 40 किसानों इस कीट के नियंत्रण के बारे में जानकारी दी.

उप कृषि निदेशक, कांगड़ा डॉ. पीसी सैनी ने बताया कि इन अधिकारीयों ने पनयामल गांव के स्थानीय किसान की फसल का कृषि अधिकारीयों ने 16 जुलाई को खेतों का दौरा किया और कीट की पहचान व इसके आक्रमण का जायजा लिया. इन किसानों ने देसी मक्की व डिकालव 7074 किसम की बिजाइ की है.

वीडियो.

मक्की के पौधों में यह कीट मुख्य तना व पत्तों को खा कर नुक्सान पहुंचा रहा है. इन किसानों ने बताया कि पिछले दिन एक कीट नाशक “रोबोट” (इमामेक्टिन बेन्जोऐट) का छिडकाव किया था, जिस से इस कीट की सुंडियां मर गयी थी.

इसी तरह नगल चोक में भी कृषि अधिकारियों के साथ सयुंक्त दौरा किया. यहां के किसानों ने मक्की की किस्में कंचन 2052 गोल्ड, के 25 गोल्ड, पोलो, डिकालव 7074 और देसी किस्मों की बिजाई की है. इन किसानों ने कीट नाशक कलोरपाइरीफोस + साईपरमेथरिन का छिडकाव किया था, लेकिन सुंडियों का नियंत्रण इतना प्रभावशाली नहीं था.

डॉ. पीसी सैनी ने बताया कि कृषि अधिकारीयों ने 21 जुलाई को अप्पर परागपुर, उप्परली बढ़ल व नंगल चौक के किसानों के साथ खेतों का दौरा किया और पाया की इस गांव में भी कीट का प्रकोप शुरु हो गया है. इसलिए इस गांव के किसानों को भी कीट नियंत्रण संबधित जानकारी दी व कीट के प्रकोप को कम करने के लिए किसानों को जैविक दवाई, मित्र कीट व गंध ट्रैप भी दिए गए.

कृषि विभाग के अधिकारीयों ने कीट की जांच की और इस हमलावर कीट का नाम फॉल आर्मी वर्म बताया. जिस की मुख्य पहचान सुंडी के सिर पर उल्टा ˄ का निशान और शरीर के अंतिम हिस्से पर चार काले बिंदु जो कि आपस में बराबर दूरी पर होते हैं.

उप कृषि निदेशक ने किसानों को सलाह दी है कि इस कीट की रोकथाम के लिए किसान अपने खेतों में शुरू में ही 5% एनएसकेइ या अजेडीरेकटिन 1500 पीपीएम का 5 मिलि दवाई प्रति लीटर पानी में डाल कर छिडकाव करें.

इसके अतिरिक्त कलोरएट्रानीलीपरोल 0.4 मिलि प्रति लीटर पानी में या थायामिथोजेम 12.6% +लेम्डा साईहेलोथ्रिन 9.5% 0.25 मिलि प्रति लिटर पानी में या स्पाइनेटोरम 11.7% एस सी 0.5 मिली प्रति लीटर पानी में या इमामेक्टिन बेन्जोऐट 5% सज 0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल कर स्प्रे करें.

वहीं, इमामेक्टिन बेन्जोऐट 5% नाम की दवाई कृषि विभाग से लाइसेंस प्राप्त निजी कृषि विक्रय केन्द्रों में उपलब्ध है. अधिक जानकारी के लिए नजदीकी कृषि अधिकारी से संपर्क करें.

पढ़ें: CM जयराम के डिप्टी सेक्रेटरी की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव, मुख्यमंत्री हुए क्वारंटीन

पालमपुर: जिला कांगड़ा के पालमपुर में उपकृषि निदेशक डॉ. पीसी सैनी ने जानकारी देते हुए कहा कि परागपुर क्षेत्र के किसानों की ओर से कृषि विभाग के अधिअकरियों से संपर्क के बाद अधिकारीयों ने कीट ग्रसित मक्की के खेतों दौरा किया.

इस दौरान कृषि विभाग के अधिकारियों ने 16 जुलाई और 21 जुलाई कांगड़ा के साथ अपर परागपुर, उपरली बढ़ल व नगल चौक के गांवों में लगभग 20 हेक्टेयर कृषि क्षेत्र में जांच और लगभग 40 किसानों इस कीट के नियंत्रण के बारे में जानकारी दी.

उप कृषि निदेशक, कांगड़ा डॉ. पीसी सैनी ने बताया कि इन अधिकारीयों ने पनयामल गांव के स्थानीय किसान की फसल का कृषि अधिकारीयों ने 16 जुलाई को खेतों का दौरा किया और कीट की पहचान व इसके आक्रमण का जायजा लिया. इन किसानों ने देसी मक्की व डिकालव 7074 किसम की बिजाइ की है.

वीडियो.

मक्की के पौधों में यह कीट मुख्य तना व पत्तों को खा कर नुक्सान पहुंचा रहा है. इन किसानों ने बताया कि पिछले दिन एक कीट नाशक “रोबोट” (इमामेक्टिन बेन्जोऐट) का छिडकाव किया था, जिस से इस कीट की सुंडियां मर गयी थी.

इसी तरह नगल चोक में भी कृषि अधिकारियों के साथ सयुंक्त दौरा किया. यहां के किसानों ने मक्की की किस्में कंचन 2052 गोल्ड, के 25 गोल्ड, पोलो, डिकालव 7074 और देसी किस्मों की बिजाई की है. इन किसानों ने कीट नाशक कलोरपाइरीफोस + साईपरमेथरिन का छिडकाव किया था, लेकिन सुंडियों का नियंत्रण इतना प्रभावशाली नहीं था.

डॉ. पीसी सैनी ने बताया कि कृषि अधिकारीयों ने 21 जुलाई को अप्पर परागपुर, उप्परली बढ़ल व नंगल चौक के किसानों के साथ खेतों का दौरा किया और पाया की इस गांव में भी कीट का प्रकोप शुरु हो गया है. इसलिए इस गांव के किसानों को भी कीट नियंत्रण संबधित जानकारी दी व कीट के प्रकोप को कम करने के लिए किसानों को जैविक दवाई, मित्र कीट व गंध ट्रैप भी दिए गए.

कृषि विभाग के अधिकारीयों ने कीट की जांच की और इस हमलावर कीट का नाम फॉल आर्मी वर्म बताया. जिस की मुख्य पहचान सुंडी के सिर पर उल्टा ˄ का निशान और शरीर के अंतिम हिस्से पर चार काले बिंदु जो कि आपस में बराबर दूरी पर होते हैं.

उप कृषि निदेशक ने किसानों को सलाह दी है कि इस कीट की रोकथाम के लिए किसान अपने खेतों में शुरू में ही 5% एनएसकेइ या अजेडीरेकटिन 1500 पीपीएम का 5 मिलि दवाई प्रति लीटर पानी में डाल कर छिडकाव करें.

इसके अतिरिक्त कलोरएट्रानीलीपरोल 0.4 मिलि प्रति लीटर पानी में या थायामिथोजेम 12.6% +लेम्डा साईहेलोथ्रिन 9.5% 0.25 मिलि प्रति लिटर पानी में या स्पाइनेटोरम 11.7% एस सी 0.5 मिली प्रति लीटर पानी में या इमामेक्टिन बेन्जोऐट 5% सज 0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल कर स्प्रे करें.

वहीं, इमामेक्टिन बेन्जोऐट 5% नाम की दवाई कृषि विभाग से लाइसेंस प्राप्त निजी कृषि विक्रय केन्द्रों में उपलब्ध है. अधिक जानकारी के लिए नजदीकी कृषि अधिकारी से संपर्क करें.

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