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एक जिला-एक उत्पाद की अवधारणा को किया जाएगा प्रोत्साहित, बनाए जाएंगे कृषक उत्पादक संगठन - concept of one district one product

विपणन, प्रसंस्करण और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 'वन डिस्ट्रिक-वन प्रॉडक्ट' यानी कि 'एक जिला-एक उत्पाद' की अवधारणा को प्रोत्साहित करते हुए कृषक उत्पादक संगठनों का गठन किया जाएगा. कम से कम 100 सदस्यों के साथ कृषक उत्पादक संगठन बनाये जाएंगे.

one district one product
कृषक उत्पादक संगठन
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Published : Aug 11, 2020, 6:54 PM IST

धर्मशाला: विपणन, प्रसंस्करण और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 'वन डिस्ट्रिक-वन प्रॉडक्ट' यानी कि एक जिला-एक उत्पाद की अवधारणा को प्रोत्साहित करते हुए कृषक उत्पादक संगठनों का गठन किया जाएगा. कम से कम 100 सदस्यों के साथ कृषक उत्पादक संगठन बनाये जाएंगे.

प्रत्येक विकास खंड में औसतन 2 कृषक उत्पादक संगठन बनाए जाने का प्रयास किया जाना चाहिए. यह जानकारी एडीसी राघव शर्मा ने मंगलवार को उपायुक्त कार्यालय के सभागार में आयोजित नाबार्ड की कृषक उत्पादक संगठन निर्माण एवं संवर्द्धन योजना की जिला स्तरीय अनुप्रवर्तन समिति की प्रथम बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी.

एडीसी ने बताया कि जिला स्तरीय अनुप्रवर्तन समिति का मुख्य उद्देश्य कृषक उत्पादक संगठनों के विकास की प्रक्रिया और प्रगति को मॉनिटर करना तथा इस प्रक्रिया में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए सभी संभव प्रयास किया जाएगा.

वीडियो.

उन्होंने बताया कि कृषक उत्पाद संगठन की द्वारा व्यापक स्तर पर सेवाएं उपलब्ध करवाई जाती हैं और गतिविधियां थोक दरों पर गुणवत्ता उत्पादन के लिये बीज उर्वरक, कीटनाशक आदि इनपुट की आपूर्ति करना रहता है.

संगठन आवश्यकतानुसार प्रोडक्शन और पोस्ट प्रोडक्शन मशीनरी और उपकरण जैसे टिल्लर, कल्टीवेटर, स्प्रिंक्लेर सेट, कम्बाइन हार्वेस्टर आदि, कस्टम हाइरिंग माध्यम से उपलब्ध करवाते हैं और मूल्यवर्धन गतिविधियों जैसे सफाई, छंटाई, ग्रेडिंग, पैकिंग में भी सहयोग देते हैं.

शर्मा ने बताया की इसके अतिरिक्त कृषक उत्पाद संगठन उत्पाद के बारे में बाजार की जानकारी की सुविधा उपलब्ध करवाने, साझा लागत के आधार पर लोजिस्टिक सेवाएं उपलब्ध करना जैसे भंडारण, परिवहन, लोडिंग/अनलोडिंग और बाजार में उत्पाद के लिए बेहतर तरीके से मोल-भाव कर उसे बेहतर कीमत देने वाले मार्केटिंग चैनल को बेचने की सुविधा प्रदान करते हैं.

वर्तमान कृषक उत्पादक संगठन जिन्होंने भारत सरकार की किसी अन्य योजना में अभी तक लाभ प्राप्त नहीं किया है वे भी इस योजना के अन्तर्गत लाभ प्राप्त कर सकते हैं. प्रारभिक रूप से देश भर में 10 हजार नए कृषक उत्पादक संगठन आने वाले 5 वर्षों में बनाने के लिए तीन कार्यान्वयन एजेन्सियों की पहचान की गई हैं जिनमें नाबार्ड, एसएफएसी व एनसीडीसी प्रमुख हैं.

शर्मा ने बताया की इस योजना के अन्तर्गत 10000 कृषक उत्पादक संगठनों के निर्माण एवं संवर्धन पर कुल 6866 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है.

कम्युनिटी बेस्ड बिजनेस ऑर्गेनाइजेशन-प्रोडयूस क्लस्टर की पहचान, कम्यूनिटी मोबिलाइजेशन, बेसलाइन सर्वे, एफपीओ के रजिस्ट्रेशन, टेनिग कैपेसिटी बिल्डिग इत्यादि से लेकर इक्किटी ग्रांट और क्रेडिट गारंटी फैसिलिटी इत्यादि प्राप्त करने में कृषक उत्पादक संगठन की मदद करेगा.

कम्युनिटी बेस्ड व्यापार ऑर्गेनाइजेशन और इन्क्यूबेशन की लागत अधिकतम 25 लाख रुपये प्रति एफपीओ होगी जोकि 5 वर्ष की अवधि के लिए होगी. प्रत्येक कृषक उत्पादक संगठन को वित्तिय सहायता अधिकतम 18 लाख रुपये होगी जोकि उत्पादक संगठन के निर्माण से 3 वर्ष की अवधि के लिए रहेगी.

उन्होंने बताया कि कृषक उत्पादक संगठनों को इस योजना के अंतर्गत मैचिंग इक्किटी ग्रांट स्पोर्ट का भी प्रावधान किया गया है, जोकि 2000 रुपये प्रत्येक सदस्य होगी और अधिकतम 15 लाख प्रति कृषक उत्पादक संगठन रहेगी.

शर्मा ने बताया कि नाबार्ड के पास एक हजार करोड़ रुपये तथा एनसीडीसी के पास पांच सौ करोड़ रुपये की निधि से क्रेडिट गारेंटी फंड (सीजीएफ) स्थापित किया गया है ताकि एलिजिबल लैंडिंग इंस्टिटयूशन (ईएलआई) पात्र कृष उत्पाादक संगठनों को बिना कॉलेटराल के ऋण प्रदान कर सके.

राज्यों के सहकारी समितियों अधिनियम के तहत पंजीकृत कृषक उत्पादक संगठनों को एनसीडीसी और नाबार्ड के सीजीएफ से क्रडिट गारंटी सुविधा प्राप्त हो सकेगी. कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकृत कृषक उत्पादक संगठनों को नाबार्ड के सीजीएफ से क्रडिट गारंटी सुविधा प्राप्त हो सकेगी.

उन्होंने बताया कि कृषक उत्पादक संगठनों को एग्री इनपुट हेतु आवश्यक लाइसेंस जारी कर उनकी स्थिति को मजबूत बनाया जा सकता है. कुषि विभाग, पशुपालन विभाग, मत्स्य विभाग तथा उद्यानिकी विभाग द्वारा अपनी विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत वित्तिय तथा गैर वित्तिय सहायता प्रदान करने हेतु कृषक उत्पादक संगठनों को वरीयता प्रदान करना है.

शर्मा ने बताया की दुग्ध संघ द्वारा कृषक उत्पादक संगठनों को मिल्क पार्लर प्रदान करना, कृषक उत्पाादक संगठनों के वित्तपोषण को जिला अग्रणी बैंक द्वारा जिले की वार्षिक ऋण योजना में शामिल करना और बैंको को इसके लिए लक्ष्य प्रदान करना है.

धर्मशाला: विपणन, प्रसंस्करण और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 'वन डिस्ट्रिक-वन प्रॉडक्ट' यानी कि एक जिला-एक उत्पाद की अवधारणा को प्रोत्साहित करते हुए कृषक उत्पादक संगठनों का गठन किया जाएगा. कम से कम 100 सदस्यों के साथ कृषक उत्पादक संगठन बनाये जाएंगे.

प्रत्येक विकास खंड में औसतन 2 कृषक उत्पादक संगठन बनाए जाने का प्रयास किया जाना चाहिए. यह जानकारी एडीसी राघव शर्मा ने मंगलवार को उपायुक्त कार्यालय के सभागार में आयोजित नाबार्ड की कृषक उत्पादक संगठन निर्माण एवं संवर्द्धन योजना की जिला स्तरीय अनुप्रवर्तन समिति की प्रथम बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी.

एडीसी ने बताया कि जिला स्तरीय अनुप्रवर्तन समिति का मुख्य उद्देश्य कृषक उत्पादक संगठनों के विकास की प्रक्रिया और प्रगति को मॉनिटर करना तथा इस प्रक्रिया में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए सभी संभव प्रयास किया जाएगा.

वीडियो.

उन्होंने बताया कि कृषक उत्पाद संगठन की द्वारा व्यापक स्तर पर सेवाएं उपलब्ध करवाई जाती हैं और गतिविधियां थोक दरों पर गुणवत्ता उत्पादन के लिये बीज उर्वरक, कीटनाशक आदि इनपुट की आपूर्ति करना रहता है.

संगठन आवश्यकतानुसार प्रोडक्शन और पोस्ट प्रोडक्शन मशीनरी और उपकरण जैसे टिल्लर, कल्टीवेटर, स्प्रिंक्लेर सेट, कम्बाइन हार्वेस्टर आदि, कस्टम हाइरिंग माध्यम से उपलब्ध करवाते हैं और मूल्यवर्धन गतिविधियों जैसे सफाई, छंटाई, ग्रेडिंग, पैकिंग में भी सहयोग देते हैं.

शर्मा ने बताया की इसके अतिरिक्त कृषक उत्पाद संगठन उत्पाद के बारे में बाजार की जानकारी की सुविधा उपलब्ध करवाने, साझा लागत के आधार पर लोजिस्टिक सेवाएं उपलब्ध करना जैसे भंडारण, परिवहन, लोडिंग/अनलोडिंग और बाजार में उत्पाद के लिए बेहतर तरीके से मोल-भाव कर उसे बेहतर कीमत देने वाले मार्केटिंग चैनल को बेचने की सुविधा प्रदान करते हैं.

वर्तमान कृषक उत्पादक संगठन जिन्होंने भारत सरकार की किसी अन्य योजना में अभी तक लाभ प्राप्त नहीं किया है वे भी इस योजना के अन्तर्गत लाभ प्राप्त कर सकते हैं. प्रारभिक रूप से देश भर में 10 हजार नए कृषक उत्पादक संगठन आने वाले 5 वर्षों में बनाने के लिए तीन कार्यान्वयन एजेन्सियों की पहचान की गई हैं जिनमें नाबार्ड, एसएफएसी व एनसीडीसी प्रमुख हैं.

शर्मा ने बताया की इस योजना के अन्तर्गत 10000 कृषक उत्पादक संगठनों के निर्माण एवं संवर्धन पर कुल 6866 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है.

कम्युनिटी बेस्ड बिजनेस ऑर्गेनाइजेशन-प्रोडयूस क्लस्टर की पहचान, कम्यूनिटी मोबिलाइजेशन, बेसलाइन सर्वे, एफपीओ के रजिस्ट्रेशन, टेनिग कैपेसिटी बिल्डिग इत्यादि से लेकर इक्किटी ग्रांट और क्रेडिट गारंटी फैसिलिटी इत्यादि प्राप्त करने में कृषक उत्पादक संगठन की मदद करेगा.

कम्युनिटी बेस्ड व्यापार ऑर्गेनाइजेशन और इन्क्यूबेशन की लागत अधिकतम 25 लाख रुपये प्रति एफपीओ होगी जोकि 5 वर्ष की अवधि के लिए होगी. प्रत्येक कृषक उत्पादक संगठन को वित्तिय सहायता अधिकतम 18 लाख रुपये होगी जोकि उत्पादक संगठन के निर्माण से 3 वर्ष की अवधि के लिए रहेगी.

उन्होंने बताया कि कृषक उत्पादक संगठनों को इस योजना के अंतर्गत मैचिंग इक्किटी ग्रांट स्पोर्ट का भी प्रावधान किया गया है, जोकि 2000 रुपये प्रत्येक सदस्य होगी और अधिकतम 15 लाख प्रति कृषक उत्पादक संगठन रहेगी.

शर्मा ने बताया कि नाबार्ड के पास एक हजार करोड़ रुपये तथा एनसीडीसी के पास पांच सौ करोड़ रुपये की निधि से क्रेडिट गारेंटी फंड (सीजीएफ) स्थापित किया गया है ताकि एलिजिबल लैंडिंग इंस्टिटयूशन (ईएलआई) पात्र कृष उत्पाादक संगठनों को बिना कॉलेटराल के ऋण प्रदान कर सके.

राज्यों के सहकारी समितियों अधिनियम के तहत पंजीकृत कृषक उत्पादक संगठनों को एनसीडीसी और नाबार्ड के सीजीएफ से क्रडिट गारंटी सुविधा प्राप्त हो सकेगी. कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकृत कृषक उत्पादक संगठनों को नाबार्ड के सीजीएफ से क्रडिट गारंटी सुविधा प्राप्त हो सकेगी.

उन्होंने बताया कि कृषक उत्पादक संगठनों को एग्री इनपुट हेतु आवश्यक लाइसेंस जारी कर उनकी स्थिति को मजबूत बनाया जा सकता है. कुषि विभाग, पशुपालन विभाग, मत्स्य विभाग तथा उद्यानिकी विभाग द्वारा अपनी विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत वित्तिय तथा गैर वित्तिय सहायता प्रदान करने हेतु कृषक उत्पादक संगठनों को वरीयता प्रदान करना है.

शर्मा ने बताया की दुग्ध संघ द्वारा कृषक उत्पादक संगठनों को मिल्क पार्लर प्रदान करना, कृषक उत्पाादक संगठनों के वित्तपोषण को जिला अग्रणी बैंक द्वारा जिले की वार्षिक ऋण योजना में शामिल करना और बैंको को इसके लिए लक्ष्य प्रदान करना है.

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