धर्मशालाः आगामी विधान सभा चुनावों को लेकर हिमाचल प्रदेश में सर्वाधिक विधानसभा सीटों वाले जिला कांगड़ा में भाजपा ने किलेबंदी शुरू कर दी है.धर्मशाला में 17 से 19 फरवरी को होने वाले कार्यसमिति की बैठक जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का भाग लेंगे. सभी की नजरें इस पर गड़ गई हैं.
विधानसभा चुनावों को लेकर चर्चा
जानकारी के अनुसार इस बैठक में प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व प्रदेश भाजपा के सभी बड़े नेता भाग लेंगे ताकि प्रदेश के सबसे बड़े 15 विधानसभा क्षेत्रों वाले जिला कांगड़ा में भाजपा सरकार के मिशन रपीट की दीवार को अभी से मजबूत कर लिया जाए. भाजपा सरकार के मिशन रपीट की बात करें तो पुनः सरकार बनाने के लिए 50 सीटों का आंकड़ा इसी जिले पर टिका हुआ है.
कांगड़ा के किले को जीतने के लिए भाजपा ने की बिसात बिछानी शुरु
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप के लगातार कांगड़ा के दौर व भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं संग चल रहा बैठकों का दौर इसी और इशारा करता है कि जिला कांगड़ा के किले को जीतने के लिए भाजपा ने अभी से मोर्चा संभाल लिया है. धर्मशाला में होने जा रही भाजपा की इस बैठक को लेकर सभी नेताओं व कार्यकर्ताओं को उनकी जिम्मेदारियां भी सौंप दी गई हैं. ताकि इस प्रकार से इस बैठक को सफल बनाया जा सके.
2022 में हिमाचल में होने वाले आगामी विधान सभा चुनाव को लेकर भाजपा जिला कांगड़ा में अभी से अपनी पकड़ को मजबूत करना चाहती है ताकी पिछले विधान सभा चुनावों के मुकाबले और अधिक सीटें यहां से बटौरी जा सकें.
हिमाचल प्रदेश का सियासी दुर्ग है जिला कांगड़ा
बता दें कि सबसे अधिक 15 सीटों वाला जिला कांगड़ा हिमाचल प्रदेश का सियासी दुर्ग रहा है. जिले में पिछले दो दशक में जिस पार्टी ने यहां ज्यादा सीटें जीती हैं, प्रदेश में उसी पार्टी की सरकार बनी है.
इतिहास के झरोखे से
इतिहास के पन्नो को पलट कर देखा जाए तो सत्ता की सीढ़ी कांगड़ा से होकर गुजरती है. वर्ष 1998 के चुनाव में भाजपा ने 11 सीटें जीती थी और 2003 में कांग्रेस ने कांगड़ा किले में 11 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी. 2007 के चुनाव में भाजपा ने 9 और 2012 के चुनाव में कांग्रेस ने 9 सीटें जीती थी. 2007 के चुनाव तक कांगड़ा जिले में 16 विधानसभा क्षेत्र थे.
2012 के चुनाव से पहले पुनर्सीमांकन के चलते एक सीट कम हो गई है.अब कांगड़ा में 15 सीटें हैं. 1998 से लेकर 2012 तक विधानसभा चुनाव हुए. इसमें दो बार भाजपा और दो बार कांग्रेस की सरकारें बनीं.
वर्ष 2012 में यहीं से 10 सीटें जीतकर कांग्रेस सत्ता में पहुंची थी, जबकि 2017 में हुए विधान सभा चुनावों के दौरान भाजपा ने यहां से 11 सीटें जीत कर प्रदेश में अपनी सरकार बनाई थी, जबकि कांग्रेस के खाते में यहां से 4 सीटें ही आई थी.
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