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दलाई लामा का वारिस चुनने की प्रक्रिया में नहीं होनी चाहिए चीनी सरकार की कोई भूमिका - तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कार्यकाल के शुरुआत में ही यह साफ कर दिया है कि उनका प्रशासन चीन को लेकर किसी भी तरह से नरमी नहीं बरतेगा. निर्वासित तिब्बत सरकार के राष्ट्रपति डॉ. लोबसांग सांगे ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दो टूक शब्दों में कह दिया है कि तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के वारिस चुनने की प्रक्रिया में चीन हस्तक्षेप नहीं कर सकता और इसके लिए बकायदा कानून भी है.

There should be no role of Chinese government in choosing heir of Dalai Lama said american spokesperson
दलाई लामा का वारिस चुनने की प्रक्रिया.
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Published : Mar 11, 2021, 3:36 PM IST

धर्मशालाः अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कार्यकाल के शुरुआत में ही यह साफ कर दिया है कि उनका प्रशासन चीन को लेकर किसी भी तरह से नरमी नहीं बरतेगा. अब बाइडेन प्रशासन ने कहा है कि चीनी सरकार की तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा का वारिस चुनने की प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए.

अमेरिका के इस रुख से यह साफ हो गया है कि वह तिब्बत को लेकर चीन की जिनपिंग सरकार को आराम से नहीं बैठने देगा. वहीं, इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को लोसर त्यौहार को लेकर भी बधाई दी थी, जिसे लेकर चीन को मिर्ची लगना तय माना जा रहा था.

वीडियो.

ये भी पढ़ें: ठियोग में सड़क हादसा, 1 की मौत, 4 घायल

अमेरिका की चीन के दो टूक

निर्वासित तिब्बत सरकार के राष्ट्रपति डॉ. लोबसांग सांगे ने कहा कि 10 मार्च को तिब्बत में चीन की दमनकारी नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज उठाई थी. उन्होंने कहा कि उसी दिन अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दो टूक शब्दों में कह दिया है कि तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के वारिस चुनने की प्रक्रिया में चीन हस्तक्षेप नहीं कर सकता और इसके लिए बकायदा कानून भी है. फिर भी चीनी सरकार इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप करती है, तो अमेरिका सरकार चीन पर कार्रवाई कर सकती है.

दलाई लामा के वारिस चुनने के पक्ष में अमेरिका

अमेरिका विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने रोजाना होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि हमारा मानना है कि चीन की सरकार की तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा का वारिस चुनने की प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए. 25 साल से ज्यादा समय पहले पंचेन लामा के उत्तराधिकार की प्रक्रिया में बीजिंग का हस्तक्षेप, जिसमें पंचेन लामा को बचपन में गायब करना और फिर पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना सरकार द्वारा चुने गए उत्तराधिकारी को उनकी जगह देने की कोशिश करना धार्मिक स्वतंत्रता के घोर उल्लंघन को दर्शाता है.

चीन का न हो कोई हस्तक्षेप

बता दें कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दिसंबर में एक कानून पर हस्ताक्षर किए थे. इसमें तिब्बत में वाणिज्य दूतावास स्थापित करने और एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाने की बात की गई है, ताकि यह सुनिश्चत किया जा सके कि अगले दलाई लामा को सिर्फ तिब्बती बौद्ध समुदाय चुने और इसमें चीन का कोई हस्तक्षेप न हो. हालांकि, विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका के बयान के बावजूद चीन 14वें दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चुनाव में हस्तक्षेप करेगा.

ये भी पढ़ें: सीएम जयराम ने दी महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं, कोविड नियमों के पालन का किया आग्रह

धर्मशालाः अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कार्यकाल के शुरुआत में ही यह साफ कर दिया है कि उनका प्रशासन चीन को लेकर किसी भी तरह से नरमी नहीं बरतेगा. अब बाइडेन प्रशासन ने कहा है कि चीनी सरकार की तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा का वारिस चुनने की प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए.

अमेरिका के इस रुख से यह साफ हो गया है कि वह तिब्बत को लेकर चीन की जिनपिंग सरकार को आराम से नहीं बैठने देगा. वहीं, इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को लोसर त्यौहार को लेकर भी बधाई दी थी, जिसे लेकर चीन को मिर्ची लगना तय माना जा रहा था.

वीडियो.

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अमेरिका की चीन के दो टूक

निर्वासित तिब्बत सरकार के राष्ट्रपति डॉ. लोबसांग सांगे ने कहा कि 10 मार्च को तिब्बत में चीन की दमनकारी नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज उठाई थी. उन्होंने कहा कि उसी दिन अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दो टूक शब्दों में कह दिया है कि तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के वारिस चुनने की प्रक्रिया में चीन हस्तक्षेप नहीं कर सकता और इसके लिए बकायदा कानून भी है. फिर भी चीनी सरकार इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप करती है, तो अमेरिका सरकार चीन पर कार्रवाई कर सकती है.

दलाई लामा के वारिस चुनने के पक्ष में अमेरिका

अमेरिका विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने रोजाना होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि हमारा मानना है कि चीन की सरकार की तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा का वारिस चुनने की प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए. 25 साल से ज्यादा समय पहले पंचेन लामा के उत्तराधिकार की प्रक्रिया में बीजिंग का हस्तक्षेप, जिसमें पंचेन लामा को बचपन में गायब करना और फिर पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना सरकार द्वारा चुने गए उत्तराधिकारी को उनकी जगह देने की कोशिश करना धार्मिक स्वतंत्रता के घोर उल्लंघन को दर्शाता है.

चीन का न हो कोई हस्तक्षेप

बता दें कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दिसंबर में एक कानून पर हस्ताक्षर किए थे. इसमें तिब्बत में वाणिज्य दूतावास स्थापित करने और एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाने की बात की गई है, ताकि यह सुनिश्चत किया जा सके कि अगले दलाई लामा को सिर्फ तिब्बती बौद्ध समुदाय चुने और इसमें चीन का कोई हस्तक्षेप न हो. हालांकि, विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका के बयान के बावजूद चीन 14वें दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चुनाव में हस्तक्षेप करेगा.

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