नूरपुर: कोविड-19 के चलते लॉकडाउन के दौरान बाहर से आए व्यक्ति व कोरोना संक्रमित की पहचान करने में असमर्थ पंचायत प्रधानों एवं सचिवों पर एफआईआर और उन्हें पदमुक्त करने के सरकार के फैसले पर कांग्रेस नेता अजय महाजन ने पुनर्विचार करने की मांग की है.
महाजन ने कहा कि इस संकट की घड़ी में पंचायत प्रधान और सचिव भी अपना कर्तव्य बखूबी निभा रहे हैं. ऐसे में इन्हें शाबाशी देकर और अधिक संघर्ष के लिए प्रेरित करना चाहिए न कि उन्हें हतो-उत्साहित करना चाहिए. महाजन के अनुसार बाहरी राज्यों से आने वाले व्यक्तियों के लिए गाड़ियों के पास अधिकारियों की ओर से जारी किए जाते है और प्रधानों के पास इसकी कोई भी जानकारी उपलब्ध नही है. प्रधानों के पास ऐसा कोई संसाधन नहीं है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि कौन सा व्यक्ति बाहर से आया है.
विधायक अजय महाजन ने कहा कि पंचायत प्रधान एक छोटी इकाई है और सीमित संसाधन है. यहां तक कि इनको कर्फ्यू पास तक कि सुविधा नहीं हैं, जिससे यह अपने कार्यक्षेत्र में जा सकें. उन्होंने कहा कि प्रशासन और पुलिस के मौजूद होते हुए बाहर से आने वाले व्यक्ति जगह-जगह छिपकर अपने घरों तक पहुंच रहे हैं. ऐसे में पंचायत प्रधान अपनी पूरी पंचायत की निगरानी अकेले कैसे कर पाएगा. ऐसी स्थिति में पंचायत प्रधान दोषी कैसे ठहराए जा सकते है.
महाजन ने कहा कि प्रधान अपनी पंचायत में गरीब लोगों एवं प्रवासी मजदूरों को अपने और समर्थ लोगों के सहयोग से राशन पहुंचाकर प्रशासन व सरकार का महत्वपूर्ण सहयोग कर रहे हैं, जिसके लिए उनकी पीठ थपथपानी चाहिए न कि उन्हें हतो उत्साहित करना चाहिए. जिला अध्यक्ष ने सरकार से अपील की कि प्रशासन, पुलिस एवं स्वास्थ्य के फील्ड स्टाफ की तरह पंचायत प्रधानों को भी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं, जिसमें संकट की घड़ी में वह लोग भी सरकार की मदद के लिए आगे बढ़कर काम करते रहें. महाजन ने सरकार से उन लोगों पर सख्त कारवाई करने की मांग की जो बाहर से आने पर अपनी जानकारी छिपा रहे हैं और अवैध तरीके से प्रदेश की सीमाओं में घुसकर आम जनता के लिए खतरा बढ़ा रहे हैं.