धर्मशाला: उप निदेशक बागवानी आर.एस.नेगी ने जिला के बागवानों को जानकारी प्रदान करते हुए कहा कि कोहरे के कारण होने वाले नुकसान से बचने के लिए पौधों पर पानी का छिड़काव किया जाए. उन्होंने बताया कि सर्दी के मौसम में मैदानी क्षेत्रों में कोहरा पड़ना आम बात है. लेकिन कोहरे की वजह से पौधों पर पड़ने वाले प्रभाव को रोकना आवश्यक होता है. कोहरे का प्रभाव बेहतर प्रबंधन से कम किया जा सकता है. जिसमें पौधों को पहुंचने वाले नुकसान को कम किया जा सके.
फल और पौधों के लिये नुकसानदायक है कोहरा
जिला कांगड़ा में आम, पपीता, नीम्बू प्रजाति के फलों इत्यादि पर कोहरे के कारण प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. सर्दी के मौसम में कोहरे के चलते हवा में मौजूद नमी बर्फ के कण बन जाते हैं और कम तापमान की वजह से पौधों की कोशिकाएं फट जाती हैं. कोहरे के प्रभाव से फल खराब हो जाता हैं व फूल झड़ने लगते हैं. कई बार आने वाले वर्षों में भी फलदार पौधे कम पैदावार देते हैं. पपीता, आम आदि में पौधों पर कोहरे का प्रभाव अधिक पाया जाता है. सब्जियों पर भी इसका असर पड़ता है, जिससे कभी-कभी शत-प्रतिशत सब्जी की फसल नष्ट हो जाती है.
कोहरे से प्रभावित क्षेत्रों में ये पौधे न लगाएं
उन्होंने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों में जैसे-जैसे रात के समय भूमि की सतह ठण्डी होती जाती है, वैसे-वैसे ठण्डी हवा निम्न क्षेत्र या घाटी की तरफ चलती जाती है और गर्म हवा ऊपर उठती जाती है. इस प्रकार के कोहरे से मैदानी क्षेत्र ठण्डे कोहरे की चादर से ढक जाते हैं. उन्होंने बताया कि फलदार पौधे मुख्यतः आम, पपीता व नींबू कोहरे से ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में न लगाएं.
कोहरे से प्रभावित क्षेत्रों में ये पौधे लगाएं
कोहरे वाले क्षेत्रों में अनार, अमरूद, पीकान इत्यादि के पौधे लगाने चाहिये. उन्होंने बताया कि छोटे पौधों को घास या सरकण्डें से ढक देना चाहिए तथा दक्षिण-पश्चिम दिशा में धूप के लिए खुला रखना चाहिए. पौधों में पोटाश खाद देने से उसकी कोहरा सहने की क्षमता बढ़ती है तथा सर्दियों से पहले या सर्दियों के दिनों में पौधों में नाइट्रोजन खाद न डालें और फल पौधों की नर्सरियों को कोहरे से बचाने के लिए घास या छायादार जाली से ढक देना चाहिए.
फसल बीमा योजना के अन्तर्गत अपने फल-पौधों का बीमा करवाएं
बागवानी विभाग जिला कांगड़ा के उपनिदेशक आर. एस. नेगी ने बताया कि नए बागीचों की स्थापना के लिए अपने नजदीकी विषय विवाद विशेषज्ञ, उद्यान विकास अधिकारी अथवा उद्यान विस्तार अधिकारी से सलाह लें. इसके साथ ही सरकार द्वारा चलाई जा रही फिर से गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना के अन्तर्गत अपने फल-पौधों का बीमा करवाएं ताकि बागवानों का उपज में होने वाली सम्भावित क्षति से होने वाले आर्थिक नुक्सान की भरपाई की जा सके.
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