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धर्मशाला विधानसभा सीट: इस बार 70.92 फीसदी मतदान, क्या OPS का मुद्दा बदलेगा नजीता?

धर्मशाला विधानसभा सीट पर इस बार भी बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर है. 2017 के विधानसभा चुनावों में 75.21 प्रतिशत मतदान हुआ था लेकिन इस बार 70.92 प्रतिशत ही मतदान हुआ है. इस चुनाव में ओपीएस बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है.

himachal assembly election 2022
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Published : Nov 15, 2022, 7:15 PM IST

धर्मशाला: धर्मशाला विधानसभा सीट की बात करें तो इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी ने बारी-बारी से सत्ता का सुख लिया है. इस बार भी कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों के बीच ही जंग देखने को मिल रही है. हालांकि, आम आदमी पार्टी चुनावी दंगल में कूदी तो जरूर लेकिन उसका जनाधार बनता हुआ नजर नहीं आया. वहीं, भाजपा से बागी हुए विपिन नेहरिया ने भी आजाद प्रत्याशी के तौर पर अपना भाग्य आजमाया है. (Congress candidate Sudhir Sharma).

वहीं, बात अगर कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार सुधीर शर्मा की कि जाए तो साल 2012 के विधानसभा चुनावों में स्वर्गीय वीरभद्र सिंह सुधीर शर्मा को बैजनाथ सीट से धर्मशाला लाए थे. सुधीर शर्मा को धर्मशाला विधानसभा सीट से चुनाव लड़वाया था, जिसमे 21,241 वोटों से सुधीर शर्मा ने जीत दर्ज की थी. उन्हें विधायक बनाया गया था. इस दौरान सुधीर शर्मा ने शहरी विकास मंत्री का दायित्व भी निभाया. लेकिन 2017 के विधानसभा चुनावों में सुधीर शर्मा को हार का मुंह देखना पड़ा था. (BJP candidate Rakesh Chowdhary)

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धर्मशाला विधानसभा सीट.

भाजपा ने इस बार राकेश चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है. राकेश चौधरी ने साल 2019 के उप चुनावों में आजाद प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इन उप चुनावों में भाजपा के उम्मीदवार विशाल नेहरिया ने जीत दर्ज की थी. इससे पहले भाजपा के उम्मीदवार राकेश चौधरी जदरंगल के पद्दर पंचायत के एक बार उप प्रधान व एक बार प्रधान के पद पर भी रह चुके हैं. राकेश चौधरी ठेकेदारी भी करते हैं. चौधरी होने के नाते वर्ष 2019 के हुए उप चुनावों में उन्हें ओबीसी समुदाय का भी साथ मिला था.

धर्मशाला में मतदान: 2017 के विधानसभा चुनावों में 75.21 प्रतिशत मतदान हुआ था लेकिन इस बार 70.92 प्रतिशत ही मतदान हुआ है. यानी इस बार पिछली बार के मुकाबले 5 फीसदी वोट प्रतिशत घटा है. 58,790 वोटरों ने अपने मत अधिकार का प्रयोग किया है, जिसमें 28815 पुरुष व 29974 महिलाएं है व एक थर्ड जेंडर ने अपना मतदान किया है.

ओपीएस का मुद्दा: विधानसभा चुनावों में ओपीएस का मुद्दा सबसे बड़ा मुद्दा उभर कर सामने आया है. भाजपा का कहना है कि अगर भाजपा सत्ता में आती है तो ओपीएस को बहाल कर दिया जाएगा. वहीं, कांग्रेस ने दावा किया है कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो पहली कैबिनेट की बैठक में ओपीएस को बहाल किया जाएगा. इस मुद्दे को लेकर भी भाजपा व कांग्रेस में जंग छिड़ी हुई थी. वही धर्मशाला में सीयू के मुद्दे को लेकर भी राजनीतिक रोटियां सेकी गईं हैं.

कांग्रेस के उम्मीदवार सुधीर शर्मा के समर्थन में मतदान करवाने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय महा सचिव रणदीप सुरजेवाला ने प्रचार किया. तो वहीं, भाजपा के उम्मीदवार राकेश चौधरी के समर्थन में भाजपा पार्टी के गृह मंत्री अमित शाह ने धर्मशाला के जोरावर स्टेडियम में आकर चुनाव प्रचार किया.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में 68 जगहों पर होगी मतगणना, स्ट्रॉन्ग रूम के साथ ही बनेंगे काउंटिंग सेंटर

धर्मशाला: धर्मशाला विधानसभा सीट की बात करें तो इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी ने बारी-बारी से सत्ता का सुख लिया है. इस बार भी कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों के बीच ही जंग देखने को मिल रही है. हालांकि, आम आदमी पार्टी चुनावी दंगल में कूदी तो जरूर लेकिन उसका जनाधार बनता हुआ नजर नहीं आया. वहीं, भाजपा से बागी हुए विपिन नेहरिया ने भी आजाद प्रत्याशी के तौर पर अपना भाग्य आजमाया है. (Congress candidate Sudhir Sharma).

वहीं, बात अगर कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार सुधीर शर्मा की कि जाए तो साल 2012 के विधानसभा चुनावों में स्वर्गीय वीरभद्र सिंह सुधीर शर्मा को बैजनाथ सीट से धर्मशाला लाए थे. सुधीर शर्मा को धर्मशाला विधानसभा सीट से चुनाव लड़वाया था, जिसमे 21,241 वोटों से सुधीर शर्मा ने जीत दर्ज की थी. उन्हें विधायक बनाया गया था. इस दौरान सुधीर शर्मा ने शहरी विकास मंत्री का दायित्व भी निभाया. लेकिन 2017 के विधानसभा चुनावों में सुधीर शर्मा को हार का मुंह देखना पड़ा था. (BJP candidate Rakesh Chowdhary)

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धर्मशाला विधानसभा सीट.

भाजपा ने इस बार राकेश चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है. राकेश चौधरी ने साल 2019 के उप चुनावों में आजाद प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इन उप चुनावों में भाजपा के उम्मीदवार विशाल नेहरिया ने जीत दर्ज की थी. इससे पहले भाजपा के उम्मीदवार राकेश चौधरी जदरंगल के पद्दर पंचायत के एक बार उप प्रधान व एक बार प्रधान के पद पर भी रह चुके हैं. राकेश चौधरी ठेकेदारी भी करते हैं. चौधरी होने के नाते वर्ष 2019 के हुए उप चुनावों में उन्हें ओबीसी समुदाय का भी साथ मिला था.

धर्मशाला में मतदान: 2017 के विधानसभा चुनावों में 75.21 प्रतिशत मतदान हुआ था लेकिन इस बार 70.92 प्रतिशत ही मतदान हुआ है. यानी इस बार पिछली बार के मुकाबले 5 फीसदी वोट प्रतिशत घटा है. 58,790 वोटरों ने अपने मत अधिकार का प्रयोग किया है, जिसमें 28815 पुरुष व 29974 महिलाएं है व एक थर्ड जेंडर ने अपना मतदान किया है.

ओपीएस का मुद्दा: विधानसभा चुनावों में ओपीएस का मुद्दा सबसे बड़ा मुद्दा उभर कर सामने आया है. भाजपा का कहना है कि अगर भाजपा सत्ता में आती है तो ओपीएस को बहाल कर दिया जाएगा. वहीं, कांग्रेस ने दावा किया है कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो पहली कैबिनेट की बैठक में ओपीएस को बहाल किया जाएगा. इस मुद्दे को लेकर भी भाजपा व कांग्रेस में जंग छिड़ी हुई थी. वही धर्मशाला में सीयू के मुद्दे को लेकर भी राजनीतिक रोटियां सेकी गईं हैं.

कांग्रेस के उम्मीदवार सुधीर शर्मा के समर्थन में मतदान करवाने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय महा सचिव रणदीप सुरजेवाला ने प्रचार किया. तो वहीं, भाजपा के उम्मीदवार राकेश चौधरी के समर्थन में भाजपा पार्टी के गृह मंत्री अमित शाह ने धर्मशाला के जोरावर स्टेडियम में आकर चुनाव प्रचार किया.

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