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हिमाचल को मिलता रहा सुषमा स्वराज का प्यार, 1989 में ज्वालामुखी पहुंचकर खूब किया था पार्टी का विस्तार

1989 में विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर में सुषमा स्वराज अपने कार्यकर्ताओं के साथ आई थी. सुषमा स्वराज ने यहां आकर संगठन के विस्तार पर चर्चा की थी. सुषमा स्वराज ज्वालामुखी में 2 दिन तक रुकी थी. इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के कई वरिष्ठ कार्यकर्ता मंदिर में सुषमा स्वराज से मिलने पहुंचे थे.

यह चित्र 1989 का है जब सुषमा स्वराज ज्वालामुखी मंदिर में आईं थी.
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Published : Aug 7, 2019, 7:55 PM IST

ज्वालामुखी: पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अब इस दुनिया में नहीं रहीं. अचानक दिल का दौरा पड़ने की वजह से वह इस दुनिया को छोड़कर चली गई.

बता दें कि 1989 में विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर में सुषमा स्वराज अपने कार्यकर्ताओं के साथ आई थी. उस समय भारतीय जनता पार्टी का विस्तार का युग था और कार्यकर्ताओं को जोड़ने का समय था. सुषमा स्वराज ने यहां आकर संगठन के विस्तार पर चर्चा की थी. सुषमा स्वराज ज्वालामुखी में 2 दिन तक रुकी थी. इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के कई वरिष्ठ कार्यकर्ता मंदिर में सुषमा स्वराज से मिलने पहुंचे थे.

स्थानीय भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता गया प्रसाद पाधा ने भाजपा वरिष्ठ नेत्री सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्होंने कहा कि सुषमा स्वराज ने अपने जीवन काल में राजनीति में आदर्श महिला राजनीतिज्ञ रही है. उन्होंने कहा कि हर एक कार्यकर्ता को अपने परिवार के सदस्य की भांति मानते हुए उस संघर्ष के दौर में एक विचार के प्रति प्रतिबद्धता सुषमा स्वराज की विशेषता थी.

वहीं स्थानीय भाजपा विधायक रमेश धवाला ने कार्यकर्ताओं सहित भाजपा वरिष्ठ नेत्री सुषमा स्वराज के आकस्मिक निधन पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए. रमेश धवाला ने कहा कि सुषमा स्वराज भारतीय राजनीति के कद्दावर नेताओं मे से एक थी. उन्होंने महिलाओं को बताया कि कैसे राजनीतिक घराने से आए बिना ही राजनीति में पैर जमाया जाता है.

बता दें कि हरियाणा के छोटे से कॉलेज से पढ़ी सुषमा स्वराज लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ती चली गई. वह दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी और आखिर में उन्होंने देश के विदेश मंत्री के तौर पर सेवाएं दी. सुषमा स्वराज के राजनीतिक जीवन की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से हुई थी.

छात्र राजनीति के समय से ही सुषमा स्वराज काफी अच्छी प्रवक्ता थी. वर्ष 1977 में उन्हें मात्र 25 वर्ष की आयु में हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था. उन्होंने अंबाला छावनी विधानसभा क्षेत्र से हरियाणा विधानसभा के लिए विधायक का चुनाव जीता था.

1977 से 79 तक वह राज्य की श्रम मंत्री रहीं. 80 के दशक में भाजपा के गठन के समय में वे पार्टी में शामिल हो गईं थी. 1987 व 1990 में भी वह अंबाला छावनी से विधायक चुनीं गई. महज 27 वर्ष की उम्र में वह हरियाणा में भाजपा की अध्यक्ष बन गईं थी. सुषमा स्वराज ने जो योगदान भारतीय राजनीति को दिया, उसकी पूर्ति होना लगभग मुश्किल है. वह महिलाओं के लिए भारतीय राजनीति में हमेशा एक आइकॉन रहेंगी.

ये भी पढ़े: सुषमा स्वराज का हिमाचल से था गहरा नाता, काम के प्रति अपनी कर्मठता के लिए उनकी थी अलग पहचान

ज्वालामुखी: पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अब इस दुनिया में नहीं रहीं. अचानक दिल का दौरा पड़ने की वजह से वह इस दुनिया को छोड़कर चली गई.

बता दें कि 1989 में विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर में सुषमा स्वराज अपने कार्यकर्ताओं के साथ आई थी. उस समय भारतीय जनता पार्टी का विस्तार का युग था और कार्यकर्ताओं को जोड़ने का समय था. सुषमा स्वराज ने यहां आकर संगठन के विस्तार पर चर्चा की थी. सुषमा स्वराज ज्वालामुखी में 2 दिन तक रुकी थी. इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के कई वरिष्ठ कार्यकर्ता मंदिर में सुषमा स्वराज से मिलने पहुंचे थे.

स्थानीय भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता गया प्रसाद पाधा ने भाजपा वरिष्ठ नेत्री सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्होंने कहा कि सुषमा स्वराज ने अपने जीवन काल में राजनीति में आदर्श महिला राजनीतिज्ञ रही है. उन्होंने कहा कि हर एक कार्यकर्ता को अपने परिवार के सदस्य की भांति मानते हुए उस संघर्ष के दौर में एक विचार के प्रति प्रतिबद्धता सुषमा स्वराज की विशेषता थी.

वहीं स्थानीय भाजपा विधायक रमेश धवाला ने कार्यकर्ताओं सहित भाजपा वरिष्ठ नेत्री सुषमा स्वराज के आकस्मिक निधन पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए. रमेश धवाला ने कहा कि सुषमा स्वराज भारतीय राजनीति के कद्दावर नेताओं मे से एक थी. उन्होंने महिलाओं को बताया कि कैसे राजनीतिक घराने से आए बिना ही राजनीति में पैर जमाया जाता है.

बता दें कि हरियाणा के छोटे से कॉलेज से पढ़ी सुषमा स्वराज लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ती चली गई. वह दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी और आखिर में उन्होंने देश के विदेश मंत्री के तौर पर सेवाएं दी. सुषमा स्वराज के राजनीतिक जीवन की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से हुई थी.

छात्र राजनीति के समय से ही सुषमा स्वराज काफी अच्छी प्रवक्ता थी. वर्ष 1977 में उन्हें मात्र 25 वर्ष की आयु में हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था. उन्होंने अंबाला छावनी विधानसभा क्षेत्र से हरियाणा विधानसभा के लिए विधायक का चुनाव जीता था.

1977 से 79 तक वह राज्य की श्रम मंत्री रहीं. 80 के दशक में भाजपा के गठन के समय में वे पार्टी में शामिल हो गईं थी. 1987 व 1990 में भी वह अंबाला छावनी से विधायक चुनीं गई. महज 27 वर्ष की उम्र में वह हरियाणा में भाजपा की अध्यक्ष बन गईं थी. सुषमा स्वराज ने जो योगदान भारतीय राजनीति को दिया, उसकी पूर्ति होना लगभग मुश्किल है. वह महिलाओं के लिए भारतीय राजनीति में हमेशा एक आइकॉन रहेंगी.

ये भी पढ़े: सुषमा स्वराज का हिमाचल से था गहरा नाता, काम के प्रति अपनी कर्मठता के लिए उनकी थी अलग पहचान

Intro:जब 1989 को ज्वालाजी मन्दिर में आईं थी सुषमा स्वराज

दो दिन तक रुकीं थी यहां ज्वालाजी में
कार्यकर्ताओ के साथ किया था सबांदBody:
ज्वालामुखी, 8 अगस्त (नितेश): ज्वालामुखी मंदिर में 1989 में सुषमा स्वराज आई थी और कार्यकर्ताओं के साथ उस समय संगठन के विस्तार पर उन्होंने चर्चा की थी।
इस दौरान भारतीय जनता पार्टी का विस्तार का युग था और कार्यकर्ताओं को जोड़ने का समय था। इस इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के कई वरिष्ठ कार्यकर्ता मंदिर में सुषमा स्वराज से मिलने पहुंचे थे। वह यहां 2 दिन तक रुकी थी। स्थानीय भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता गया प्रसाद पाधा ने कहा कि वर्तमान भारतीय राजनीति में आदर्श महिला राजनीतिज्ञ जो मान मर्यादा सुषमा स्वराज ने अपने जीवन काल में स्थापित की हैं वह विलक्षण है। हर एक कार्यकर्ता को अपने परिवार के सदस्य की भांति मानते हुए उस संघर्ष के दौर में एक विचार के प्रति प्रतिबद्धता सुषमा स्वराज की विशेषता थी। आज गया प्रसाद पाधा ने भाजपा वरिष्ठ नेत्री श्रीमती सुषमा स्वराज जी के आकस्मिक निधन पर उन्हें श्रद्धा सुमन श्रद्धांजलि अर्पित की।


सुषमा स्वराज के निधन से भाजपा परिवार का प्रत्येक सदस्य शोकाकुल और स्तब्ध है : स्थानीय विधायक
इधर, स्थानीय भाजपा विधायक रमेश धवाला द्वारा आज अपने कार्यकर्ताओं सहित भाजपा वरिष्ठ नेत्री सुषमा स्वराज जी के आकस्मिक निधन पर उन्हें श्रद्धा सुमन श्रद्धांजलि अर्पित की गई उनके आकस्मिक निधन से भाजपा परिवार का प्रत्येक सदस्य शोकाकुल और स्तब्ध है।
उन्होंने कहा सुषमा स्वराज भारतीय राजनीति के कद्दावर नेताओं मे से एक थीं। उन्होंने महिलाओं को बताया कि कैसे राजनीतिक घराने से आए बिना ही राजनीति में पैर जमाया जाता है। हरियाणा के छोटे से कॉलेज से पढ़ीं स्वराज लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ती चली गईं। वह दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं और आखिर में उन्होंने देश के विदेश मंत्री के तौर पर सेवाएं दीं। सुषमा स्वराज के राजनीतिक जीवन की शुरुआत भाजपा की ही छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से हुई थी। छात्र राजनीति के समय से ही वह काफी अच्छी प्रवक्ता थीं। वर्ष 1977 में उन्हें मात्र 25 वर्ष की आयु में हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। उन्होंने अंबाला छावनी विधानसभा क्षेत्र से हरियाणा विधानसभा के लिए विधायक का चुनाव जीता था। 1977 से 79 तक वह राज्य की श्रम मंत्री रहीं। 80 के दशक में भाजपा के गठन के वक्त ही वह पार्टी में शामिल हो गईं थीं। 1987 व 1990 में भी वह अंबाला छावनी से विधायक चुनीं गईं। महज 27 वर्ष की उम्र में वह हरियाणा में भाजपा की अध्यक्ष बन गईं थीं। सुषमा स्वराज ने जो योगदान भारतीय राजनीति को दिया, उसकी पूर्ति होना लगभग मुश्किल है। वह महिलाओं के लिए भारतीय राजनीति में हमेशा एक आइकॉन रहेंगी। उन्होंने कहा कि आज उनकी याद में पूरा देश रो रहा है।

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यह चित्र 1989 का है जब सुषमा स्वराज ज्वालामुखी मंदिर में आईं थी। ब्यूरो
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