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फसल पर टूटा पीले रतुए का कहर, कृषि विभाग अलर्ट

हमीरपुर में फसलों पर पाले की मार के बाद अब पीले रतुए ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी है. इस बीमारी की चपेट में आकर गेहूं की फसल पीली पड़ चुकी है. जिससे किसानों को उनकी फसले खराब होने का डर सता रहा है.

yellow rust on crop
फसल पर टूटा पीले रतुए का कहर
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Published : Feb 25, 2020, 4:25 PM IST

हमीरपुर: जिला भर में गेहूं की फसल पीले रतुए की चपेट में आ गई है. आलम यह है कि इस बीमारी की चपेट में आकर गेहूं की फसल पीली पड़ चुकी है. फसल पर टूटा पीले रतुआ का कहर देखकर कृषि विभाग की टीमें पूरी तरह अलर्ट हो गई है. अब किसानों की फसलों को इस बीमारी से बचाने के लिए कृषि विभाग खुद खेतों में उतर आया है.

कृषि विभाग की तरफ से टीमें गठित कर पीले रतुए को खत्म करने के लिए दवाई का स्प्रे किया जा रहा है. विभाग की मानें तो पीला रतुआ रोग नादौन ब्लॉक, बिझड़ी ब्लॉक, हमीरपुर ब्लॉक और भोरंज ब्लॉक में फैल चुका है. फसल को लगी इस बीमारी की गंभीरता को देखते हुए कृषि विभाग की टीमें किसानों को लगातार जागरूक कर रही हैं, ताकि फसल को नुकसान से बचाया जा सके.

वीडियो रिपोर्ट

बता दें कि फसल को लगी इस बीमारी वाले खेत में जाने से किसान के कपड़े भी पीले पड़ रहे हैं. विभाग की मानें तो पीला रतुआ रोग देखते ही किसान प्रॉपीकोनाजोल टिल्ट 25 ईसी, टेबुकोनाजोल फॉलिकर 25 ईसी और ट्राईडिमफॉन (बैलिटॉन) 25 डब्ल्यूपी का 0.1 फीसदी घोल बनाकर छिड़काव करें.

कृषि विभाग के मुताबिक पीले रतुए ग्रसित फसलों पर दूसरा छिड़काव 15 से 20 दिनों के बाद करें. एक बीघा जमीन के लिए 60 मिली ग्राम दवा 60 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव किया जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें: रायसन में टोल प्लाजा के विरोध में सड़कों पर उतरे लोग, कुल्लू-मनाली मार्ग हुआ बंद

हमीरपुर: जिला भर में गेहूं की फसल पीले रतुए की चपेट में आ गई है. आलम यह है कि इस बीमारी की चपेट में आकर गेहूं की फसल पीली पड़ चुकी है. फसल पर टूटा पीले रतुआ का कहर देखकर कृषि विभाग की टीमें पूरी तरह अलर्ट हो गई है. अब किसानों की फसलों को इस बीमारी से बचाने के लिए कृषि विभाग खुद खेतों में उतर आया है.

कृषि विभाग की तरफ से टीमें गठित कर पीले रतुए को खत्म करने के लिए दवाई का स्प्रे किया जा रहा है. विभाग की मानें तो पीला रतुआ रोग नादौन ब्लॉक, बिझड़ी ब्लॉक, हमीरपुर ब्लॉक और भोरंज ब्लॉक में फैल चुका है. फसल को लगी इस बीमारी की गंभीरता को देखते हुए कृषि विभाग की टीमें किसानों को लगातार जागरूक कर रही हैं, ताकि फसल को नुकसान से बचाया जा सके.

वीडियो रिपोर्ट

बता दें कि फसल को लगी इस बीमारी वाले खेत में जाने से किसान के कपड़े भी पीले पड़ रहे हैं. विभाग की मानें तो पीला रतुआ रोग देखते ही किसान प्रॉपीकोनाजोल टिल्ट 25 ईसी, टेबुकोनाजोल फॉलिकर 25 ईसी और ट्राईडिमफॉन (बैलिटॉन) 25 डब्ल्यूपी का 0.1 फीसदी घोल बनाकर छिड़काव करें.

कृषि विभाग के मुताबिक पीले रतुए ग्रसित फसलों पर दूसरा छिड़काव 15 से 20 दिनों के बाद करें. एक बीघा जमीन के लिए 60 मिली ग्राम दवा 60 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव किया जाना चाहिए.

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