हमीरपुर: दिवाली त्योहार पर हमीरपुर में बनी बिना घी और तेल की मिठाइयां पूरे प्रदेश में अपनी अलग पहचान बना चुकी है. हिमाचल प्रदेश के नादौन विधानसभा स्थित पंचायत भरमोटी खुर्द में न्यू आजीविका स्वयं सहायता समूह की महिलाएं बिना तेल और घी से पपीते की मिठाइयां बना रही है. साल 2016 में शुरू हुए इस स्वयं सहायता समूह में केवल पांच महिलाओं से कारोबार करती थी, जहां आज सौ से ज्यादा महिलाएं जुड़ चुकी है और हर माह प्रति महिला आठ से दस हजार रुपये की आमदनी भी कमा रही है. वहीं, साल भर में स्वयं सहायता समूह द्वारा 18 से 20 लाख रुपये का कारोबार कर रही हैं. आंवले की बर्फी, पपीता के पेडे, लौकी की कैंडी, कद्दू की बर्फी के अलावा तरह-तरह के आचार भी यहां बनाए जा रहे हैं. जिन्हें खाकर हर कोई तारीफ करते हुए नहीं थकता है.
समूह की महिलाओं द्वारा बनाई गई मिठाई की मिठास हमीरपुर तक ही सीमित नहीं रही है, बल्कि मिठाई की डिमांड हिमाचल के बाहर, पंजाब, दिल्ली, सूरजकुंड उतराखंड में भी है. न्यू आजिविका स्वयं सहायता समूह की सदस्यों द्वारा छोटी सी जगह पर मिठाइयां बनाने का काम किया जाता है. जहां महिलाएं दिन रात एक करके स्वादिष्ट और पौष्टिक मिठाइयां तैयार करती हैं. इस तरह की मिठाइयां सेहत के लिए बहुत ही लाभदायक है, क्योंकि ज्यादातर मिठाइयां फलों से तैयार की जाती है.
न्यू आजिविका स्वंय सहायता समूह की अध्यक्ष रीना चंदेल ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र में प्रशिक्षण लेने के बाद फलों से मिठाईयों के अलावा अचार, चटनी बनाने के बारे में बताया गया था. इसके बाद लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए प्रोडक्ट बनाने तैयार किए. उन्होंने बताया कि यहां बिना घी और तेल के मिठाइयों को तैयार किया जाता है. जिन्हें लोग भी बेहद पंसद करते है. उन्होंने बताया कि पपीते, आंबला, लौकी, कददू की वर्फी सेहत के लिए लाभदायक हैं. ये मिठाइयां कोरोना काल में शरीर को इम्यूनिटी बढ़ाने काम भी करता है.
रीना चंदेल ने बताया पिछले साल दिवाली पर्व पर उन्होंने 14 क्विंटल पपीते से बनाई हुई मिठाइयां सप्लाई की थी, इस बार साढ़े 16 क्विंटल की डिमांड पहुंच चुकी है. न्यू आजीविका स्वयं सहायता समूह को प्रदेश भर में प्रथम स्थान मिला है. इसके अलावा स्वयं सहायता समूह को प्रदेश उद्योग विभाग द्वारा दूसरा स्थान दिया गया है, जिस कारण उन्हें 75 हजार रुपये की नकद राशि भी मिली है. यही नहीं, मलाणा पावर कॉरपोरेशन की तरफ से उन्हें 19 लाख रुपये की मशीनरी भी प्रदान की गई है, ताकि अपने कार्य को और बढ़ावा दे सकें. गौरतलब है कि न्यू आजिविका स्वयं सहायता समूह भरमोटी खुर्द की महिलाओं द्वारा आत्मनिर्भर भारत के तहत किए जा रहे इस तरह के काम को देखकर हर कोई प्रभावित होता है और दूसरे लोगों को भी स्वरोजगार अपनाने के लिए प्रेरित करता है.