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पहले सूखे की मार, फिर बारिश हुई बार-बार, हमीरपुर जिले में 70% कम हुई गेहूं की पैदावार

हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर में इस बार गेहूं की फसल को बारिश ने बर्बाद कर दिया. पहले सूखे जैसे हालात रहे और जब बारिश हुई तो वो भी तबाही लेकर ही आई. पढ़ें पूरी खबर...

wheat crop in hamirpur
हमीरपुर जिले में कम हुई गेहूं की पैदावार.
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Published : May 17, 2023, 10:01 PM IST

Updated : May 17, 2023, 10:54 PM IST

हमीरपुर जिले में कम हुई गेहूं की पैदावार.

हमीरपुर: जिला हमीरपुर में बेमौसम बारिश और सूखे से गेहूं की पैदावार महज 25 से 30 प्रतिशत तक सिमट गई है. 70 प्रतिशत पैदावार पहले सूखे और बाद में बेमौसम बारिश के कारण बर्बाद हो गई. फसल की कटाई के बाद अब जिला कृषि विभाग पैदावार के अंतिम आंकड़ों के लिए एक बार फिर फील्ड सर्वे में जुटा है, लेकिन अभी तक जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक महज 25 से 30 प्रतिशत पैदावार किसान ले पाए हैं.

हमीरपुर जिले में गेहूं की अधिकतर खेती बारिश पर निर्भर है. ऐसे में इस बार बिजाई के बाद बारिश ना होने के चलते सूखे की मार किसानों को झेलनी पड़ी थी. 40 से 60 प्रतिशत गेहूं सूखे की मार के वजह से ही तबाह हो गई थी, जबकि इसके बाद बेमौसम बारिश के कारण 10 से 15 प्रतिशत फसल बर्बाद हुई है. 10 प्रतिशत गेहूं की पैदावार तो समय पर कटाई ना होने की वजह से खेतों में ही सड़कर काली पड़ गई है. फसल के साथ ही थोड़ी भी काले रंग की हो गई है जो कि पशुओं के खाने लायक नहीं है.

बेमौसमी बारिश की मार से इस बार निचले हिमाचल के किसानों को गेहूं के उत्पादन में बहुत कम पैदावार होने से चिंता बढ़ी है. बता दें कि जिला हमीरपुर में 30 हजार हैक्टेयर भूमि पर गेहूं उत्पादन किया जाता है, लेकिन इस बार गेहूं फसल में केवल मात्र 25 प्रतिशत तक ही उत्पादन हो पाया है. बेमौसमी बारिशों के होने से पिछले बीस सालों बाद इस तरह किसानों को गेहू की फसल के उत्पादन होने से दिक्कतें झेलनी पडी है. वहीं, पशुओं के लिए चारा भी काला होने से पशुपालक भी चिंता से जूझ रहे हैं. अगर कृषि विभाग के विशषज्ञों की मानें तो बारिश की वजह से ऐसा हुआ है, लेकिन अगले सीजन से पहले किसानों को जागरूक करके इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए काम किया जाएगा.

75,000 परिवार किसान करते हैं गेहूं की खेती, पिछले साल 35% कम हुई थी पैदावार: 30,000 हेक्टेयर में हमीरपुर जिले में गेहूं की खेती की जाती है. एक हेक्टेयर में 19 क्विंटल पैदावार की उम्मीद होती है, जबकि इस बार 7 से 8 क्विंटल पैदावार प्रति हेक्टेयर किसानों को प्राप्त हुई है, जबकि पिछले साल यह पैदावार 13 से 14 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी. पिछले साल 30 से 35% कम पैदावार देखने को मिली थी, जबकि इस बार तो 25 से 30% पैदावार ही किसानों को प्राप्त हुई है. हमीरपुर जिले में 75,000 किसान परिवार गेहूं की खेती 30,000 हेक्टेयर भूमि में कर रहे हैं.

'इस बार तूड़ी भी काली निकली': धरोग गांव के किसान ने बताया कि करीब बीस सालों बाद इस तरह का मौसम हुआ है और गेहूं के दानों के साथ साथ तूड़ी भी काली ही निकली है. उन्होंने कहा कि फसल पकने के साथ कटाई के समय भी बारिश हुई है और केवल मात्र 25 प्रतिशत ही गेहूं का उत्पादन हो सका है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि किसानों की ऐसी स्थिति में मदद करे.

सरकार से मदद की गुहार: एक अन्य किसान करतार सिंह ने बताया कि गेहूं की फसल के लिए सारा परिश्रम धूल में मिल गया है और बारिश होने से गेहूं अंकुरित होने से नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि इस बार गेहूं की फसल में कोई फायदा नहीं मिला है. वहीं, किसान प्यार चंद ने बताया कि बारिशों के होने से गेहूं की फसल को संभालने का समय ही नहीं मिल पाया है और सरकार को चाहिए कि किसानों की सुध ली जाए और हर संभव मदद की जाए.

वहीं, जिला कृषि अधिकारी अनूप कतना ने माना कि बारिशों के होने से गेहूं की फसल खराब हुई है. उन्होंने बताया कि जिले भर में 30 हैक्टेयर भूमि पर गेहूं बिजाई की गई थी और अधिकतर जगहों पर फसल खराब हुई है. कृषि अधिकारी अनूप कतना ने कहा कि बारिश की वजह से इस बार गेहूं की फसल में एक वायरस लग गया था जिससे कुछ फसल खराब हुई है. उन्होंने कहा कि दोबारा से ऐसा न हो इसके लिए विभाग अपने स्तर पर अभियान चलाकर किसानों को जागरूक करने का काम करेगा.

Read Also- Himachal Weather Update: इस दिन तक खराब रहेगा मौसम, आसमानी बिजली गिरने की भी संभावना

हमीरपुर जिले में कम हुई गेहूं की पैदावार.

हमीरपुर: जिला हमीरपुर में बेमौसम बारिश और सूखे से गेहूं की पैदावार महज 25 से 30 प्रतिशत तक सिमट गई है. 70 प्रतिशत पैदावार पहले सूखे और बाद में बेमौसम बारिश के कारण बर्बाद हो गई. फसल की कटाई के बाद अब जिला कृषि विभाग पैदावार के अंतिम आंकड़ों के लिए एक बार फिर फील्ड सर्वे में जुटा है, लेकिन अभी तक जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक महज 25 से 30 प्रतिशत पैदावार किसान ले पाए हैं.

हमीरपुर जिले में गेहूं की अधिकतर खेती बारिश पर निर्भर है. ऐसे में इस बार बिजाई के बाद बारिश ना होने के चलते सूखे की मार किसानों को झेलनी पड़ी थी. 40 से 60 प्रतिशत गेहूं सूखे की मार के वजह से ही तबाह हो गई थी, जबकि इसके बाद बेमौसम बारिश के कारण 10 से 15 प्रतिशत फसल बर्बाद हुई है. 10 प्रतिशत गेहूं की पैदावार तो समय पर कटाई ना होने की वजह से खेतों में ही सड़कर काली पड़ गई है. फसल के साथ ही थोड़ी भी काले रंग की हो गई है जो कि पशुओं के खाने लायक नहीं है.

बेमौसमी बारिश की मार से इस बार निचले हिमाचल के किसानों को गेहूं के उत्पादन में बहुत कम पैदावार होने से चिंता बढ़ी है. बता दें कि जिला हमीरपुर में 30 हजार हैक्टेयर भूमि पर गेहूं उत्पादन किया जाता है, लेकिन इस बार गेहूं फसल में केवल मात्र 25 प्रतिशत तक ही उत्पादन हो पाया है. बेमौसमी बारिशों के होने से पिछले बीस सालों बाद इस तरह किसानों को गेहू की फसल के उत्पादन होने से दिक्कतें झेलनी पडी है. वहीं, पशुओं के लिए चारा भी काला होने से पशुपालक भी चिंता से जूझ रहे हैं. अगर कृषि विभाग के विशषज्ञों की मानें तो बारिश की वजह से ऐसा हुआ है, लेकिन अगले सीजन से पहले किसानों को जागरूक करके इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए काम किया जाएगा.

75,000 परिवार किसान करते हैं गेहूं की खेती, पिछले साल 35% कम हुई थी पैदावार: 30,000 हेक्टेयर में हमीरपुर जिले में गेहूं की खेती की जाती है. एक हेक्टेयर में 19 क्विंटल पैदावार की उम्मीद होती है, जबकि इस बार 7 से 8 क्विंटल पैदावार प्रति हेक्टेयर किसानों को प्राप्त हुई है, जबकि पिछले साल यह पैदावार 13 से 14 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी. पिछले साल 30 से 35% कम पैदावार देखने को मिली थी, जबकि इस बार तो 25 से 30% पैदावार ही किसानों को प्राप्त हुई है. हमीरपुर जिले में 75,000 किसान परिवार गेहूं की खेती 30,000 हेक्टेयर भूमि में कर रहे हैं.

'इस बार तूड़ी भी काली निकली': धरोग गांव के किसान ने बताया कि करीब बीस सालों बाद इस तरह का मौसम हुआ है और गेहूं के दानों के साथ साथ तूड़ी भी काली ही निकली है. उन्होंने कहा कि फसल पकने के साथ कटाई के समय भी बारिश हुई है और केवल मात्र 25 प्रतिशत ही गेहूं का उत्पादन हो सका है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि किसानों की ऐसी स्थिति में मदद करे.

सरकार से मदद की गुहार: एक अन्य किसान करतार सिंह ने बताया कि गेहूं की फसल के लिए सारा परिश्रम धूल में मिल गया है और बारिश होने से गेहूं अंकुरित होने से नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि इस बार गेहूं की फसल में कोई फायदा नहीं मिला है. वहीं, किसान प्यार चंद ने बताया कि बारिशों के होने से गेहूं की फसल को संभालने का समय ही नहीं मिल पाया है और सरकार को चाहिए कि किसानों की सुध ली जाए और हर संभव मदद की जाए.

वहीं, जिला कृषि अधिकारी अनूप कतना ने माना कि बारिशों के होने से गेहूं की फसल खराब हुई है. उन्होंने बताया कि जिले भर में 30 हैक्टेयर भूमि पर गेहूं बिजाई की गई थी और अधिकतर जगहों पर फसल खराब हुई है. कृषि अधिकारी अनूप कतना ने कहा कि बारिश की वजह से इस बार गेहूं की फसल में एक वायरस लग गया था जिससे कुछ फसल खराब हुई है. उन्होंने कहा कि दोबारा से ऐसा न हो इसके लिए विभाग अपने स्तर पर अभियान चलाकर किसानों को जागरूक करने का काम करेगा.

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Last Updated : May 17, 2023, 10:54 PM IST
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