हमीरपुर: जिला हमीरपुर में कोरोना काल के बाद अब दोबारा से वाहनों से पासिंग शुरू हो गयी है. हालांकि सरकार ने देश-प्रदेश में लॉकडाउन की वजह से सभी वाहनों को की पासिंग अवधि बढ़ा कर 31 मार्च 2021 तक बढ़ा दी थी. अब कोरोना के मामले हिमाचल में कम होने की वजह से अब फिर से पासिंग शुरू की गई है.
पासिंग के समय इन चीजों की होती है बारीकि से जांच
आरटीओ हमीरपुर वीरेंद्र शर्मा का कहना है कि गाड़ियों के फिटनेस यातायात विभाग का रूटीन कार्य है और इसे निरंतर किया जाता है. इस कार्य के दौरान कागजी कार्रवाई के साथ ही गाड़ी की बारीकी से जांच भी की जाती है. वाहनों की पासिंग के समय टायर, चेसिस, लाइट, साइड मिरर, इंडिकेटर्स और वाइपर चेक किए जाते हैं.
पारदर्शिता के लिए की जाती है वीडियोग्राफी
अगर किसी वाहन में किसी तरह की कमी पायी जाती है तो उसे दुरुस्त करने के लिए कहा जाता है. वहीं, पारदर्शिता बनाये रखने के लिए पासिंग के वक्त वीडियोग्राफी भी की जा रही है ताकि किसी भी तरह से कोई दिक्क्त आने पर उस पर नजर रखी जा सके और भविष्य में किसी तरह की आपत्ति होने पर उसके प्रमाण प्रस्तुत किये जा सके.
सेंकेंड हैंड गाड़ियों की जांच प्रक्रिया ज्यादा जटिल
हालांकि जिला में जिन वाहनों की रजिस्ट्रेशन हिमाचल प्रदेश की होती है, उन्हें पासिंग के लिए जयादा लंबे समय से नहीं गुजरना पड़ता है. जबकि हिमाचल के बाहर रजिस्टर्ड गाड़ियों को एक लंबी प्रक्रिया के साथ गुजरना पड़ता है. जिन गाड़ियों की दिल्ली या चंडीगढ़ या फिर किसी अन्य राज्य में रजिस्ट्रेशन की गई होती है, उन वाहनों की फिटनेस के साथ-साथ चेसिस और इंजन नंबर की भी जांच की जाती है.
पासिंग से पहले पूरी करनी पड़ती है सभी कागजी कार्रवाई
गाड़ियों की पासिंग करवाने आए लोगों ने बताया कि वाहन की पासिंग करवाने से पहले बहुत सी औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती है. कमर्शियल गाड़ी की पासिंग के लिए ग्रीन टैक्स, गुड्स टैक्स, पॉल्यूशन सर्टिफिकेट आदि सब तैयार होना चाहिए. पासिंग के लिए आने से पहले गाड़ी को पूरी तरह से रंग करवाना पड़ता है और साथ में इंजन की सर्विस भी करवानी पड़ती है.
एमवीआई हमीरपुर विनोद का कहना है कि पासिंग के वक्त यहां ध्यान रखा जाता है कि कागजी कार्रवाई पूरी की गई है या नहीं. कमर्शियल और पर्सनल व्हीकल की पासिंग के लिए अलग अलग नियम तय किए गए हैं. इसके अलावा स्कूल बस या अन्य पैसेंजर व्हीकल के लिए बारीकि से जांच की जाती है.
स्कूल बसों या पैसेंजर व्हीकल की अलग से होती है जांच
अधिकारियों ने बताया कि पासिंग के समय स्कूल बसों की अलग से जांच की जाती है. बसों को खुद चला कर चेक किया जाता है. हैंड ब्रेक की भी जांच की जाती है. यहां तक कि स्कूल बसों के छतों से लीकेज भी चेक की जाती है. स्कूल बसों में फायर एक्सटिंगयूशर और सेफ्टी किट भी सुनिश्चित की जाती है ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति में उसका उपयोग की जी सके.
प्रशासन के पास नहीं आया कोई बड़ा मामला
हमीरपुर जिला में पिछले एक साल में यातायात विभाग के पास कोई ऐसा बड़ा मामला या कोई दुर्घटना सामने नहीं आई है, जो गाड़ी की फिटनेस की वजह से पेश आई हो. पुलिस की तरफ से किसी भी प्रकार की अनियमिता के चलते गाड़ियों के चालान किए जाते हैं. इसके लिए थाना स्तर पर पुलिस टीमें काम कर रही हैं.
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