हमीरपुर: 32 वर्षों से भाजपा का गढ़ रहे भोरंज विधानसभा क्षेत्र की जनता भी 8 दिसंबर का इंतजार कर रही है. इस विधानसभा क्षेत्र में हमीरपुर जिला के अन्य विधानसभा क्षेत्रों के मुकाबले मतदान प्रतिशत में अधिक बढ़ोतरी देखने को मिली है. जिले में सबसे अधिक इस विधानसभा क्षेत्र में 3% बढ़ोतरी इस बार मतदान में हुई है, जबकि इसमें सर्विस बैलट के वोट जोड़ना बाकी है. भोरंज में डॉक्टर अनिल धीमान के बागी तेवरों का नतीजा यह रहा कि भाजपा को सीटिंग विधायक कमलेश कुमारी का भोरंज से टिकट काटना पड़ा. डॉ अनिल धीमान को भाजपा ने टिकट तो थमा दिया लेकिन यहां पर बगावत फिर पार्टी के मुसीबत बन गई.
भोरंज विधानसभा का मतदान प्रतिशत: इस बार भोरंज विधानसभा सीट पर 68.55 प्रतिशत मतदान देखने को मिला है. भोरंज के 101 मतदान केंद्रों पर इस बार क्षेत्र के 68.55 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. क्षेत्र के कुल 81,179 में से 55,650 मतदाताओं ने वोट डाले. इनमें से 30,766 महिलाएं और 24,884 पुरुष मतदाता शामिल हैं. साल 2017 के आम चुनाव में भोरंज विधानसभा क्षेत्र में कुल 65.87 प्रतिशत मतदान हुआ था. इस बार यहां मतदान में 2.68 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई. इस विधानसभा क्षेत्र के भकेरा बूथ पर 61.50% मतदान देखने को मिला है, इस विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक मतदान बगवाड़ा बूथ नंबर दो पर 75.15% मतदान देखने को मिला है.
32 बरस से भाजपा का किला है भोरंज: हमीरपुर जिला की भोरंज विधानसभा क्षेत्र में भाजपा लगातार सात विधानसभा चुनावों में जीत का परचम लहराया है. यहां पर अब तक के इतिहास में एक दफा हुए उपचुनाव में भाजपा ने ही बाजी मारी है. भोरंज विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को सात आम चुनाव और एक उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. यहां पर साल 1990 से 2017 तक भाजपा ने लगातार आठ दफा जीत हासिल की है. इन आठ जीत में सात जीत दिवंगत भाजपा नेता पूर्व शिक्षा मंत्री आईडी धीमान और उनके बेटे अनिल धीमान के नाम है. साल 2017 में आईडी धीमान के विधायक रहते देहांत होने पर उनके बेटे को भाजपा ने चुनावी मैदान में उतारा और जीत हासिल की. इसके बाद 2017 में भाजपा ने टिकट बदला और महिला नेता कमलेश कुमारी पर दांव चलते हुए फिर जीत का परचम लहराया है, यहां कांग्रेस की गुटबाजी के चलते भाजपा ने आसानी से जीत हासिल की है.
एससी वर्ग के लिए आरक्षित इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के गुरू दिवंगत पूर्व शिक्षा मंत्री आईडी धीमान ने छह दफा लगातार जीत हासिल करने का रिकार्ड है. इस सीट पर पिछले तीन दशकों यानि 32 वर्षों से भाजपा का कब्जा है. इन 32 वर्षों में कांग्रेस को इस सीट पर लगातार सात चुनाव और एक उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. कांग्रेस को यहां पर अंतिम दफा 1985 में धर्म सिंह ने जीत दिलाई थी. 81,179 में से 55,650 मतदाताओं ने वोट डाले. इनमें से 30,766 महिलाएं और 24,884 पुरुष मतदाता शामिल हैं. 1544 पुरूष सर्विस वोटर और 34 महिला सर्विस वोटर भी शामिल हैं.
भोरंज क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे: भोरंज विधानसक्षा क्षेत्र में बस स्टैंड का मुद्दा लंबे समय से बना हुआ है. इसके साथ ही अस्पताल की बेहरत सुविधा के लिए भी भोरंज के लोग सरकार से मांग कर रहे है. क्षेत्र में पानी की समस्या भी लगातार बनी हुई है. ऐसे में हर बार प्रत्याशी पानी की समस्या का समाधान कराने का मुद्दा लेकर जनता के पास पहुंचते हैं.
धीमान परिवार का दबदबा: कांग्रेस के प्रत्याशी सुरेश कुमार तीन हार के बाद जीत की तलाश में जनसंघ के जमाने से बीजेपी की विचारधारा का दबदबा रहा है. भाजपा के गठन से पहले कांग्रेस ने 1972 और 1982 में यहां पर जीत हासिल की थी. भारतीय जनसंघ ने 1967 में अमर सिंह को टिकट देकर इस सीट पर जीत का परचम लहरा दिया था और बाद में जनता पार्टी के प्रत्याशी अमर सिंह ने 1977 में इस सीट पर जीत हासिल की थी.
कुल मिलाकर 1967 से अबतक 11 चुनावों और एक उपचुनाव में से कांग्रेस यहां पर महज तीन चुनावों में जीत हासिल की है. साल 1990 से लेकर 2012 तक पूर्व शिक्षा मंत्री आईडी धीमान इस सीट पर लगातर 6 दफा विधायक चुने गए. भाजपा का दबदबा इस सीट पर तीन दशकों से कायम है. कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश कुमार 3 दफा यहां पर हार का सामना कर चुके हैं. कांग्रेस पार्टी ने उन्हें चौथी बार चुनावी मैदान में उतारा है. वह हिमाचल कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू के करीबी माने जाते हैं. ऐसे में उनकी हार और जीत का प्रभाव निश्चित तौर पर सुखविंदर सिंह सुक्खू के राजनीतिक करियर पर भी पड़ेगा.
धूमल और अनुराग ठाकुर का क्षेत्र है भोरंज: पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का भोरंज गृह विधानसभा क्षेत्र है. पिता धूमल और पुत्र अनुराग भी इस विधानसभा क्षेत्र से ही ताल्लुक रखते हैं. हालांकि, धूमल परिवार ने एक भी दफा इस सीट से चुनाव नहीं लड़ा है. साल 2012 में इस विधानसभा क्षेत्र का नाम मेवा से बदल कर भोरंज कर दिया गया था.
मेवा से भोरंज बनने तक धीमान का जलवा, नहीं जीता कोई निर्दलीय: पूर्व शिक्षा मंत्री आईडी धीमान ने इस सीट पर लगातर छह दफा जीत हाासिल कर रिकार्ड कायम किया है. साल 1990 में उन्होंने रिकार्ड 11,924 मतांतर से जीत हाासिल की जो अभी तक रिकार्ड है. हालांकि सबसे कम मतों से जीत हासिल करने का रिकार्ड में आईडी धीमान के नाम ही है. साल 1990 में 11,924 मतों से जीतने वाले आईडी धीमान तीन साल बाद 1993 में महज 447 मतों से जीत हासिल कर पाये थे. धीमान के यह रिकार्ड अभी तक कायम हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में अभी तक कोई निर्दलीय जीत हासिल नहीं कर पाया है. विधानसभा के डिलिमिटेशन के बाद मेवा सीट को भोरंज नाम से जाने जाना लगा.
संघ से ताल्लुक रखते हैं निर्दलीय प्रत्याशी पवन कुमार: भोरंज विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के महामंत्री को जिला परिषद चुनाव में हराने वाले पवन कुमार भाजपा के समीकरण बिगाड़ सकते हैं. पवन कुमार ने हाल ही में पंचायतीराज चुनावों में भाजपा हमीरपुर के महामंत्री अभय वीर लवली को मात दी थी. भाजपा की तरफ से यहां पर पूर्व विधायक डॉ अनिल धीमान को चुनावी मैदान में उतारा गया है. हालांकि माना जा रहा है कि वो भाजपा की जीत में निश्चित तौर पर रोड़ा बनेंगे. कांग्रेस के प्रत्याशी सुरेश कुमार लगातार चौथी बार कांग्रेस के टिकट पर यहां चुनाव लड़ रहे हैं. यहां पर कांग्रेस के लिए भी गुटबाजी बड़ी चुनौती होगी लेकिन सीधे तौर पर यहां पर कांग्रेस में बगावत नजर नहीं आ रही है.
ये भी पढे़ं: हिमाचल में 68 जगहों पर होगी मतगणना, स्ट्रॉन्ग रूम के साथ ही बनेंगे काउंटिंग सेंटर