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यहां बेसहारा पशुओं से बढ़ रही सड़क दुर्घटनाएं, लोगों ने प्रशासन से लगाई मदद की गुहार - हमीरपुर में सड़क दुर्घटनाएं

हमीरपुर में बेसहारा पशु यातायात को भी प्रभावित कर रहे हैं जिससे सड़क घटनाएं होती हैं और ट्रैफिक की भी समस्या हो जाती है. इसके साथ ही यहां कई लोगों द्वारा रात के अंधेरे में गाड़ियों में भर कर बेसहारा पशुओं को सुनसान जगह और जंगलों में छोड़ा जाता है.

बेसहारा पशु
बेसहारा पशु
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Published : Oct 11, 2020, 1:19 PM IST

भोरंज: हमीरपुर जिला के उपमंडल भोरंज के ग्रामीण क्षेत्रों में बेसहारा पशुओं की समस्या से लोग परेशान हैं. इन ग्रामीण क्षेत्रों में गाय, बैल, कुत्ते, बंदर आदि बेसहारा पशु रिहायशी इलाकों में घूमते नजर आते हैं. लोगों का कहना है कि अगर जल्द इस समस्या का निदान नहीं किया गया तो इसके कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं.

बेसहारा पशु यातायात को भी प्रभावित करते हैं जिससे सड़क घटनाएं होती हैं और ट्रैफिक की भी समस्या हो जाती है. इसके साथ ही यहां कई लोगों द्वारा रात के अंधेरे में गाड़ियों में भर कर बेसहारा पशुओं को सुनसान जगह और जंगलों में छोड़ा जाता है. वहीं, लोगों का कहना है कि बेसहारा पशुओं की समस्या से निदान के लिए शासन को सख्ती के साथ इन पशुओं को गौशाला में डालना चाहिए.

बेसहारा पशु
बेसहारा पशु से किसान परेशान.

ग्रामीणों का कहना है कि बेसहारा आवारा पशुओं को छोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिये ताकि वे अपने पालतू पशुओं को आवारा न छोड़े. साथ-साथ घनी आबादी वाले क्षेत्रों में पालतू पशुओं की संख्या पर भी सीमा होनी चाहिए. रेडियो, टेलिविजन, समाचार पत्र आदि संचार के साधनों के माध्यम से लोगों में इस समस्या के प्रति जागरूकता फैलाना चाहिए.

क्षेत्र के कई गांवों में इन दिनों किसान वर्ग आवारा पशुओं से परेशान हैं. एक तो मौसम की मार ऊपर से बेसहारा पशुओं के कारण फसलों को नुकसान हो रहा है. इन दिनों पशुओं की संख्या का आकड़ा दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. क्षेत्र भर से गुजरने वाली सड़कों पर जहां ये पशु दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. वहीं, खेतों में खड़ी फसलों को भी नुकसान पहुंचाने से भी बाज नहीं आते. अवसर मिलते ही ये बेसहारा पशु खेतों में खड़ी फसलों में घुस जाते हैं और फसलों को खराब कर देते हैं.

खेतों में खड़ी फसल के लिए यह बेसहारा पशु नुकसान दायक साबित हो रहे हैं तो किसानों के लिए परेशानी का कारण बने हुए हैं. वहीं, फसलों के बचाव के लिए पहरा भी देना पड़ता है. ऐसे समय में खेत में किसान अकेला होता है जबकि ये बेसहारा पशु झुंड में आकर खेतों में घुस जाते हैं और किसानों पर हमला तक करने में नहीं चूकते. ताकि खेतों में खड़ी फसलों के नुकसान से बचाया जा सके और किसानों के सामने आर्थिक संकट खड़ा न हो.

भोरंज उपमंडल की कडोहता, धमरोल, नगरोटा आदि में पंचायत में लावारिश पशुओं की संख्या तीन सौ के आसपास पहुंच गई है.दिन के समय लावारिस पशु सुनैहल व सीर खड्ड में रह रहे हैं और शाम ढलते ही रिहायशी मकानों के पास पहुंच रहे हैं. लोगों ने बेसहारा पशुओं को रास्ते पर छोड़ देने वालों पर शिकंजा कसने की मांग की है.

भोरंज के व्यपार मण्डल के प्रधानों के प्रधान अरुण कुमार अरोड़ा का कहना है कि जल्द इन बेसहारा पशुओं को छोड़ने वालों पर शिकंजा न कसा गया तो किसान खेती छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे अब तो लोगों पर भी बेसहारा पशु हमला करने से बाज नहीं आ रहे हैं. पिछले दिनों आधा दर्जन लोग पशुओं के कारण घायल हो चुके हैं.

ये भी पढ़ें - हमीरपुर के 42 वर्षीय व्यक्ति की कोरोना से मौत, टांडा अस्पताल में तोड़ा दम

भोरंज: हमीरपुर जिला के उपमंडल भोरंज के ग्रामीण क्षेत्रों में बेसहारा पशुओं की समस्या से लोग परेशान हैं. इन ग्रामीण क्षेत्रों में गाय, बैल, कुत्ते, बंदर आदि बेसहारा पशु रिहायशी इलाकों में घूमते नजर आते हैं. लोगों का कहना है कि अगर जल्द इस समस्या का निदान नहीं किया गया तो इसके कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं.

बेसहारा पशु यातायात को भी प्रभावित करते हैं जिससे सड़क घटनाएं होती हैं और ट्रैफिक की भी समस्या हो जाती है. इसके साथ ही यहां कई लोगों द्वारा रात के अंधेरे में गाड़ियों में भर कर बेसहारा पशुओं को सुनसान जगह और जंगलों में छोड़ा जाता है. वहीं, लोगों का कहना है कि बेसहारा पशुओं की समस्या से निदान के लिए शासन को सख्ती के साथ इन पशुओं को गौशाला में डालना चाहिए.

बेसहारा पशु
बेसहारा पशु से किसान परेशान.

ग्रामीणों का कहना है कि बेसहारा आवारा पशुओं को छोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिये ताकि वे अपने पालतू पशुओं को आवारा न छोड़े. साथ-साथ घनी आबादी वाले क्षेत्रों में पालतू पशुओं की संख्या पर भी सीमा होनी चाहिए. रेडियो, टेलिविजन, समाचार पत्र आदि संचार के साधनों के माध्यम से लोगों में इस समस्या के प्रति जागरूकता फैलाना चाहिए.

क्षेत्र के कई गांवों में इन दिनों किसान वर्ग आवारा पशुओं से परेशान हैं. एक तो मौसम की मार ऊपर से बेसहारा पशुओं के कारण फसलों को नुकसान हो रहा है. इन दिनों पशुओं की संख्या का आकड़ा दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. क्षेत्र भर से गुजरने वाली सड़कों पर जहां ये पशु दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं. वहीं, खेतों में खड़ी फसलों को भी नुकसान पहुंचाने से भी बाज नहीं आते. अवसर मिलते ही ये बेसहारा पशु खेतों में खड़ी फसलों में घुस जाते हैं और फसलों को खराब कर देते हैं.

खेतों में खड़ी फसल के लिए यह बेसहारा पशु नुकसान दायक साबित हो रहे हैं तो किसानों के लिए परेशानी का कारण बने हुए हैं. वहीं, फसलों के बचाव के लिए पहरा भी देना पड़ता है. ऐसे समय में खेत में किसान अकेला होता है जबकि ये बेसहारा पशु झुंड में आकर खेतों में घुस जाते हैं और किसानों पर हमला तक करने में नहीं चूकते. ताकि खेतों में खड़ी फसलों के नुकसान से बचाया जा सके और किसानों के सामने आर्थिक संकट खड़ा न हो.

भोरंज उपमंडल की कडोहता, धमरोल, नगरोटा आदि में पंचायत में लावारिश पशुओं की संख्या तीन सौ के आसपास पहुंच गई है.दिन के समय लावारिस पशु सुनैहल व सीर खड्ड में रह रहे हैं और शाम ढलते ही रिहायशी मकानों के पास पहुंच रहे हैं. लोगों ने बेसहारा पशुओं को रास्ते पर छोड़ देने वालों पर शिकंजा कसने की मांग की है.

भोरंज के व्यपार मण्डल के प्रधानों के प्रधान अरुण कुमार अरोड़ा का कहना है कि जल्द इन बेसहारा पशुओं को छोड़ने वालों पर शिकंजा न कसा गया तो किसान खेती छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे अब तो लोगों पर भी बेसहारा पशु हमला करने से बाज नहीं आ रहे हैं. पिछले दिनों आधा दर्जन लोग पशुओं के कारण घायल हो चुके हैं.

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