हमीरपुर: बरस 1758 में कांगड़ा-हमीरपुर रियासत की सबसे खूबसूरत इमारत सुजानपुर में बनी थी. कटोच गढ़ को कटोच वंश के राजा अभय चंद ने बनाया था. लेकिन सुजानपुर नगर बसाने और यहां किले की पहल का श्रेय कटोच वंश के शासक रहे राजा संसार चंद को जाता है.
इतिहासकार बताते हैं कि ब्रिटिश हुकूमत में राजा संसार चंद ने सुजानपुर को अपनी राजधानी बनाया था और इस किले में अपने परिवार के साथ रहे थे.
किले के भीतर ही राजा संसार चंद ने साल 1804 में गौरी शंकर मंदिर का निर्माण भी करवाया और किले के ऊपरी भाग में कटोच वंश की कुलदेवी का मंदिर भी स्थित है. बता दें कि महल में 12 दरवाजे थे जिस कारण इसे बारादरी के नाम से भी जाना जाता था.
कहा जाता है कि ये 12 दरवाजे राजा संसार चंद ने 12 राजाओं के सम्मान में बनवाए थे और इसी बारादरी में बैठकर राजा संसार चंद अपनी सल्तनत के मसलों पर पहाड़ी रियासतों के राजाओं से चर्चा किया करते थे. बेशक ये किला आज खंडहर बन चुका है, लेकिन जर्जर हो चुकी दीवारें आज भी राजसी ठाठ बाठ का एहसास करवा देती हैं.
टीहरा किले की खासियत और संरक्षण
इस ऐतिहासिक किले के चौगान मैदान में वर्तमान समय में राष्ट्र स्तरीय होली उत्सव मनाया जाता है. लेकिन अनदेखी के शिकार इस किले में आज वो रियासती रंग देखने को नहीं मिलते, जिसके साथ इस मेले की शुरुआत की गई थी.
अगर किले को संरक्षित किए जाने की बात की जाए तो कुछ साल पहले भारत सरकार ने लिए प्रयास शुरू किए थे. लाखों रुपये खर्च कर खुदाई करके किले के उन भागों को भी मिट्टी और मलबे से बाहर निकाला जो दफन हो गए थे, लेकिन अब 4 बरस से काम लगभग बंद है और किले का कुछ हिस्सा तो जंगल में तब्दील हो चुका है.
साल 1905 में आए भयंकर भूकंप के बाद ये किला 80 फीसदी से अधिक अपना अस्तित्व खो चुका है, लेकिन किले के बीच स्थित गौरी शंकर और कटोच वंश की कुलदेवी का मंदिर अभी भी अपने पुराने स्वरूप में है.
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