हमीरपुर: देवभूमि हिमाचल में हमीरपुर जिला को यूं ही वीरभूमि नहीं कहा जाता है. देश के लिए दर्जनों शहादत देने वाले जिला के हर तीसरे से चौथे घर से कोई ना कोई युवा देश की सेवा में जुटा है. ऐसे परिवार भी हैं जिनकी तीसरी पीढ़ी अब सेना में जाने की तैयारी है. आज हम आपको एक ऐसे ही परिवार से रूबरू करवाएंगे.
हम बात कर रहे हैं हमीरपुर जिला के अंदराल, ऊहल गांव के शहीद सैनिक दिनेश कुमार के परिवार की. अपने कैप्टन पिता भूप सिंह के नक्शे कदम पर चलकर देश सेवा के लिए भारतीय सेना में भर्ती हुए दिनेश कुमार ने सर्वोच्च शहादत देकर जिला और प्रदेश का नाम रोशन किया है तो वहीं उनके बड़े भाई राकेश कुमार की सेना से अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं.
शहीद दिनेश कुमार वर्ष 1994 में पिता की सेवानिवृत्ति के तीन साल बाद पंजाब रेजिमेंट में भर्ती हुए. उनके भाई राकेश कुमार भी सेना से वर्ष 2009 में सेवानिवृत्त हुए. सेवानिवृत्त हवलदार राकेश कुमार कहते हैं कि उनके छोटे भाई शहीद दिनेश ने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए देश सेवा का जज्वा लिए भारतीय सेना ज्वाइन की थी. दो वर्ष बाद 17 जून 1999 को वह मातृभूमि की रक्षा करते हुए शहीद हुए. उन्होंने कहा कि वह भी उस सिगनल रेजिमेंट में कारगिल सेक्टर में ही तैनात थे. इसी दौरान उनके भाई बटालिक सेक्टर में चोर बटला पोस्ट पर तैनात थे और यह पोस्ट पाकिस्तान के बेहद करीब थी हिंदुस्तान और पाकिस्तान के पोस्ट एकदम आमने सामने थी और इसी दौरान गोलीबारी में उनके भाई दिनेश शहीद हो गए थे. ड्यूटी के दौरान ही उनके प्लाटून कमांडर को यह मैसेज मिला तो उन्होंने तुरंत यह कहकर उन्हें भेजा कि भाई को गंभीर चोटें लगी हैं. जब वह बटालिक सेक्टर में पहुंचे तो भाई के शहीद होने की जानकारी मिली.
19 जून को अपने शहीद भाई के शव के साथ वह घर आए. 20 जून को उनके भाई के शव का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. उन्होंने कहा कि शहीदों की शहादत को याद कर आज भी आंसू छलकते हैं. उनके पिता कैप्टन भूप सिंह वर्तमान में घर पर ही रहते हैं. अब इस परिवार की तीसरी पीढ़ी शहीद दिनेश कुमार के भतीजे और सेवानिवृत्त हवलदार राकेश कुमार का नौवीं क्लास में पढ़ने वाला बेटा शिवम भी सेना में भर्ती होने की तैयारी कर रहा है. राकेश की मानें तो अभी से दादा सेवानिवृत्त कैप्टन भूप सिंह से प्रेरणा लेकर शिवम सेना में जाने की बात कहता है.
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