हमीरपुर: नादौन के डायरिया प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग की विशेषज्ञों की टीम ने बीमारी फैलने के कारणों को पता लगाने के लिए साइंटिफिक स्टडी शुरू कर दी है. स्वास्थ्य विभाग की रैपिड रिस्पांस टीम, मेडिकल कॉलेज नेरचौक, टांडा, हमीरपुर और स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञों की एक ज्वाइंट टीम ने प्रभावित क्षेत्रों और पेयजल योजनाओं का वीरवार को जॉइंट इंस्पेक्शन किया.
कुनाह खड्ड में पहुंचकर टीम ने पेयजल योजना के स्त्रोत और इर्द-गिर्द के एरिया को भी जांचा है. इस टीम ने प्रभावित गांव का भी दौरा किया तथा यहां पर कैंप लगाकर डायरिया से पीड़ित लोगों की जांच की. दरअसल, बड़े स्तर पर क्षेत्र में लोगों के बीमार होने के बाद स्वास्थ्य विभाग कारणों का पता लगाने के लिए इस तरह की स्टडी करता है.
नादौन के 3 दर्जन से अधिक गांव में 1,000 से अधिक लोग डायरिया की चपेट में आ चुके है. इस बड़े आउटब्रेक के बाद स्वास्थ्य विभाग ने बीमारी के कारणों का पता लगाने के लिए शिमला, नेरचौक और हमीरपुर के विशेषज्ञों की टीम को जिम्मा सौंपा है. यह टीम अपनी जांच से रिपोर्ट को प्रदेश स्वास्थ्य विभाग को शिमला में सौंपेगी. जांच रिपोर्ट के बाद ही पेयजल योजना के पानी के दूषित होने और लोगों के बीमार होने की वजह का पता चल पाएगा.
विशेषज्ञ टीम के सदस्य डॉ. सौरभ का कहना है कि नेरचौक मेडिकल कॉलेज से वह यहां पर उच्च अधिकारियों के निर्देशों पर पहुंचे हैं. उनके साथ स्वास्थ्य विभाग के अन्य विशेषज्ञ और मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के डॉक्टर भी हैं. उन्होंने कहा कि बीमारी किस वजह से फैली, इन कारणों का पता लगाने के लिए विभाग और प्रशासन का सहयोग करने का भरपूर प्रयास किया जाएगा. उन्होंने कहा कि गांव में जाकर कैंप भी लगाया गया है और प्रभावित लोगों की जांच भी की गई है.
बड़ा आउटब्रेक होने पर RRT टीम करती है साइंटिफिक स्टडी: बड़ा आउटब्रेक होने यानी एक क्षेत्र में सैकड़ों लोगों के बीमार होने पर बीमारी के कारणों का पता लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग साइंटिफिक स्टडी करता है. बीमारी के कारणों का पता लगाने के लिए यह साइंटिफिक स्टडी की जाती है. हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य विभाग की रैपिड रिस्पांस टीम इस कार्य को करती है.
यह टीम डायरिया के मामले में पानी के दूषित होने के साइंटिफिक कारणों का पता लगाएगी. विशेषज्ञों की इस टीम ने जल शक्ति विभाग से डायरिया से प्रभावित तीन पेयजल योजनाओं के क्षेत्रों का नक्शा भी मांगा है, लेकिन अभी तक टीम को यह नक्शा नहीं मिल पाया है. दरअसल इस नक्शे के माध्यम से जल के दूषित होने की संभावनाओं की बारीकी से जांच की जाएगी.
टांडा मेडिकल कॉलेज से आई टीम ने मरीजों के स्टूल सैंपल भी लिए: टांडा मेडिकल कॉलेज से मौके पर पहुंची टीम ने विशेषज्ञों के साथ मिलकर डायरिया से पीड़ित मरीजों के स्टूल सैंपल भी लिए हैं. इन सैंपलों की जांच के बाद बीमारी के कारणों का पता चल पाएगा. हालांकि, यह एक जल जनित रोग है, फिर भी साइंटिफिक स्टडी के दौरान बीमारी के सटीक कारण जानने के लिए विशेषज्ञ कार्य कर रहे हैं. जल्द ही तमाम पहलुओं पर जांच रिपोर्ट तैयार कर स्वास्थ्य विभाग को सौंपी जाएगी.
बीमारी फैलने के छठे दिन भी रिपोर्ट का इंतजार: जल शक्ति विभाग और स्वास्थ्य विभाग द्वारा 25 सैंपल पेयजल योजना और ग्रामीणों के घरों से लिए गए हैं. 5 दिन पहले यह सैंपल लिए गए थे, लेकिन अभी तक न तो स्वास्थ्य विभाग के सैंपल की रिपोर्ट आई है और न ही जल शक्ति विभाग को रिपोर्ट मिली है. स्वास्थ्य विभाग ने जांच के लिए सैंपल मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में दिए हैं. जबकि जल शक्ति विभाग द्वारा यह सैंपल जांच के लिए चंडीगढ़ भेजे गए हैं. मुख्य चिकित्सा अधिकारी हमीरपुर डॉ. आरके अग्निहोत्री का कहना है कि मेडिकल कॉलेज में सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं और रिपोर्ट का भी इंतजार है. उन्होंने कहा कि वीरवार को 6 लोग डायरिया से पीड़ित पाए गए हैं. अब तक 1005 मरीज इस बीमारी की चपेट में आए हैं.
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