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हमीरपुर में 'सोने की खेती', 200 ग्राम केसर निकलने के बाद किसान के हौसले बुलंद

जाहू पंचायत के निवासी दिनेश शर्मा ने केसर की खेती घर के आंगन में शुरू की है. दिनेश शर्मा ने बताया कि अभी तक 150 से 200 ग्राम केसर निकल चुका है. जिससे उनका हौसला और बुलंद हुआ है.

saffron cultivation in  Jahu panchayat
हमीरपुर में 'सोने की खेती'
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Published : May 16, 2020, 1:19 PM IST

हमीरपुर: जिला के भोरंज उपमंडल की जाहू पंचायत के निवासी दिनेश शर्मा ने केसर की खेती घर के आंगन में शुरू की है. दिनेश ने पठानकोट से केसर के बीज लाकर गेंहू की फसल के साथ अपने घर में बनी क्यारियों में बीज दी. नियमित रूप से केसर के पौधों की देखभाल करके अमेरिकन किस्म का केसर अपनी घर की क्यारियों में उगाने में पूर्ण सफलता हासिल की है.

दिनेश शर्मा ने बताया कि अभी तक 150 से 200 ग्राम केसर निकल चुका है. इससे उनका हौसला और बुलंद हुआ है. उनका कहना है कि केसर की खेती के लिए कड़ी मेहनत की जरूरत नहीं है, बल्कि पशुओं से बचाने की एक चुनौती है. उनका कहना है कि केसर की खेती का सफल प्रयोग होने के बाद अब वह 12 से 15 मरले भूमि में केसर की खेती करेंगे.

saffron cultivation in  Jahu panchayat
फूलों से निकला केसर

दिनेश शर्मा का कहना है कश्मीरी केसर की कीमत एक से डेढ़ लाख रुपये किलो होती है, लेकिन अमेरिकन प्रजाति के केसर की कीमत प्रति किलो 75 से 80 हजार रुपये है. प्रदेश के निचले क्षेत्र में केसर की खेती को अधिक सख्या में किया जा सकता है. प्रदेश के निचले क्षेत्र के जलवायु केसर की खेती के लिये उपयुक्त है.

आयुर्वेदिक विभाग के डॉ. विजेंद्र सिंह का कहना है कि केसर एक औषधीय पौधा है. केसर के इस्तेमाल से हृदय से संबंधित रोग नहीं होते. अगर बेरोजगार युवा केसर की खेती करे तो उनकी आर्थिक स्थिति में बेहद सुधार हो सकता है.

ये भी पढ़ें: यहां सड़क के लिए वर्षों से तरस रहे ग्रामीण, मरीजों को चारपाई पर लेकर जाना पड़ता है अस्पताल

हमीरपुर: जिला के भोरंज उपमंडल की जाहू पंचायत के निवासी दिनेश शर्मा ने केसर की खेती घर के आंगन में शुरू की है. दिनेश ने पठानकोट से केसर के बीज लाकर गेंहू की फसल के साथ अपने घर में बनी क्यारियों में बीज दी. नियमित रूप से केसर के पौधों की देखभाल करके अमेरिकन किस्म का केसर अपनी घर की क्यारियों में उगाने में पूर्ण सफलता हासिल की है.

दिनेश शर्मा ने बताया कि अभी तक 150 से 200 ग्राम केसर निकल चुका है. इससे उनका हौसला और बुलंद हुआ है. उनका कहना है कि केसर की खेती के लिए कड़ी मेहनत की जरूरत नहीं है, बल्कि पशुओं से बचाने की एक चुनौती है. उनका कहना है कि केसर की खेती का सफल प्रयोग होने के बाद अब वह 12 से 15 मरले भूमि में केसर की खेती करेंगे.

saffron cultivation in  Jahu panchayat
फूलों से निकला केसर

दिनेश शर्मा का कहना है कश्मीरी केसर की कीमत एक से डेढ़ लाख रुपये किलो होती है, लेकिन अमेरिकन प्रजाति के केसर की कीमत प्रति किलो 75 से 80 हजार रुपये है. प्रदेश के निचले क्षेत्र में केसर की खेती को अधिक सख्या में किया जा सकता है. प्रदेश के निचले क्षेत्र के जलवायु केसर की खेती के लिये उपयुक्त है.

आयुर्वेदिक विभाग के डॉ. विजेंद्र सिंह का कहना है कि केसर एक औषधीय पौधा है. केसर के इस्तेमाल से हृदय से संबंधित रोग नहीं होते. अगर बेरोजगार युवा केसर की खेती करे तो उनकी आर्थिक स्थिति में बेहद सुधार हो सकता है.

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