हमीरपुर: एजुकेशन हब कहे जाने वाले हमीरपुर जिला में प्रशासन और अग्निशमन विभाग के साथ ही कोचिंग सेंटर संचालकों की लापरवाही मासूम जिंदगियों पर भारी पड़ सकती है. हालात ऐसे हैं कि यहां पर न तो प्रशासन ही आग से बचाव और सुरक्षा प्रबंधों को लेकर संजीदा है और न ही अग्निशमन विभाग.
कोचिंग सेंटरों में आग को लेकर कोई सार्थक कदम नहीं उठा रहे हैं. तंग गलियों वाले हमीरपुर शहर में दर्जनों निजी स्कूल कॉलेज और कोचिंग सेंटर चल रहे हैं. बता दें कि नेशनल बिल्डिंग कोड के तहत सरकारी और गैर सरकारी भवनों को अग्निशमन विभाग से अनुमति लेना जरूरी होता है, लेकिन कोचिंग सेंटर संचालकों को इसकी जानकारी तक विभाग की तरफ से नहीं दी गई.
हालात ऐसे हैं कि अग्निशमन विभाग और प्रशासन के पास इसके आंकड़े तक नहीं है कि शहर में कितने कोचिंग सेंटर चल रहे हैं. वहीं, अगर कोचिंग सेंटर संचालकों की बात की जाए तो यहां लापरवाही का आलम तो यह है कि इन कोचिंग सेंटर तक पहुंचने के लिए रास्ता भी सही नहीं है बेहद ही तंग सीढ़ियों और रास्ते वाले इन कोचिंग सेंटर तक पैदल पहुंचना भी किसी चुनौती से कम नहीं है.
फायर ब्रिगेड की गाड़ी का यहां तक पहुंचना मुश्किल ही नहीं बिल्कुल नामुमकिन है. अगर फायर हाइडेंट की बात की जाए तो शहर में सिर्फ 9 हाइडेंट हैं मानकों के अनुसार 100 से 200 मीटर की दूरी पर शहर में हाइडेंट होना जरूरी है, लेकिन साधनों की कमी आईपीएच और अग्निशमन विभाग पर भी भारी पड़ रही है. 11 वार्ड वाले हमीरपुर शहर में सिर्फ 9 हाइडेंट होना आपात स्थिति में बड़ी अनहोनी को न्योता दे रहा है.
अग्निशमन अधिकारी हमीरपुर राजेंद्र चौधरी ने कहा कि सूरत में हुए भयानक अग्निकांड के बाद हमीरपुर शहर में चल रहे कोचिंग सेंटर की जानकारी जुटाई जा रही है. नियमों के अनुसार कोचिंग सेंटर संचालकों को निर्देश जारी किए गए हैं.
बता दें कि गुजरात के सुरत में एक कोचिंग सेंटर में आग लग जाने से यहां छात्र-छात्राओं समेत 23 की मौत हो गई थी. सुरत के इस कोटिंग सेंटर में आग से बचाव और सुरक्षा प्रबंध पर्याप्त नहीं थे जिस कारण छात्रों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. वहीं, फायर ब्रिगेड की भी इस हादसे में लापरवाही सामने आई थी.
अगर आप अपने बच्चों को किसी भी कोचिंग सेंटर में पढ़ाई के लिए भेज रहे हैं तो ये आपका फर्ज बनता है कि आप उस सेंटर की अच्छी तरह से जांच-पड़ताल कर लें.
कितना सुरक्षित हैं कोचिंग सेंटर
- दमकल वाहन के पहुंचने का मार्ग है या नहीं.
- आग लगने से बचाव कार्य के लिए समुचित स्थान और व्यवस्था आवश्यक है.
- इमारत के चोरों ओर एमओएस खुला है या नहीं.
- प्रवेश द्वार की चौड़ाई 4.50 मीटर है या नहीं.
- अधिक ऊंचे भवनों में फायर फाइटिंग संबंधी उपकरण उपलब्ध एवं चालू हों, पानी का टैंक भरने की व्यवस्था हो.
- आपातकालीन निकास द्वार की सुविधा है या नहीं.
- बिल्डिंग में बिजली की फिटिंग ठीक है, तार खुले तो नहीं हैं.
- इमरजेंसी गेट, सीढ़ियां, हॉल के बाहर पैसेज की व्यवस्था, फायर एक्जिट व्यवस्था, वेंटिलेशन है.
- आग बुझाने के उपकरण, फोम, बालू रेत, की बल्टी, पानी की व्यवस्था है या नहीं.
- ऑटोमैटिक फायर अलार्म, बाहर निकलने के लिए इमरजेंसी लाइट, इंडिकेटर संकेत है या नहीं.
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