हमीरपुर: किसने कहा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने इस्तीफा दिया है. सब सुनी सुनाई बातें हैं. हिमाचल भाजपा के अध्यक्ष सुरेश कश्यप के इस्तीफे के सवाल पर राज्यसभा सांसद इंदु गोस्वामी ने यह जवाब दिया है. ठाकुर राम सिंह इतिहास शोध संस्थान नेरी में दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस में बतौर मुख्य अतिथि पहुंची राज्यसभा सांसद इंदु गोस्वामी ने मीडिया कर्मियों से रूबरू होते हुए सवाल के जवाब में कहा कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का इस्तीफा उनके ध्यान में नहीं है. अभी भी सुरेश कश्यप ही हिमाचल भाजपा के अध्यक्ष हैं.
प्रदेश अध्यक्ष के पद के लिए दावेदारी के सवाल पर इंदु गोस्वामी ने कहा कि वह पार्टी के कार्यकर्ता हैं. प्रदेश और केंद्र का नेतृत्व मिलकर यह तय करेगा. गोस्वामी ने कहा कि उनसे बड़े और परिपक्व नेता भी हिमाचल में भाजपा के पास हैं. आपको बता दें कि नेरी शोध संस्थान में यह नेशनल कॉन्फ्रेंस आयोजित की जा रही दो दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस का विषय पश्चिमी उत्तर भारत की अनुसूचित जनजातियों का समाज और पर्यावास और अर्थव्यवस्था है.
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राष्ट्र स्तरीय परिसंवाद में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गुजरात और राजस्थान मध्य प्रदेश जम्मू कश्मीर पूर्वोत्तर भारत व हिमाचल के विभिन्न विश्वविद्यालयों व संस्थाओं के विद्वान अपने शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे. गौरतलब है कि शोध संस्थान में हर साल राष्ट्रीय स्तर के कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जाता है जिसमें देशभर के विषय विशेषज्ञ अपने लघु शोध पत्र एवं पूर्ण शोधपत्र करते हैं.
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर सत प्रकाश ने की. मुख्य अतिथि इंदु गोस्वामी ने कहा कि जब भाजपा के सरकार केंद्र और राज्यों में रही है तो अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए कार्य किया गया है. वाजपेयी सरकार में तो अनुसूचित जनजाति के उत्थान के लिए मंत्रालय का गठन भी किया गया था. देश में जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी है तब से अनुसूचित जनजाति का युग शुरू हुआ है. उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि एक आदिवासी महिला देश की राष्ट्रपति हैं. 70 से अधिक विद्वानों ने लघु शोध पत्र एवं 20 पूर्ण शोध पत्र संस्थान को प्राप्त हुए.
शोध संस्थान नेरी के निदेशक डॉ. चेतराम गर्ग ने बताया कि उत्तर पश्चिम भारत जिसे हम सप्त सिंधु क्षेत्र के नाम से जानते हैं, में रहने वाले जनजातीय समाज के विविध पक्षों को जानने व समझने के लिये यह आयोजन किया जा रहा है. राष्ट्रीय परिसंवाद के लिए 70 से अधिक विद्वानों ने लघु शोध पत्र एवं 20 पूर्ण शोध पत्र संस्थान के पास पहुंच गए हैं.
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