हमीरपुर: प्रदेश की जनता सदी की अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी से गुजर रही है. प्रदेश का कोई भी जिला, तहसील, पंचायत या गांव आपदा के इस त्रासदी से नहीं बच पाया है. एसे में इस त्रासदी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने और विशेष पैकेज की मांग पूरे प्रदेश की जनता कर रही है. यह मांग इसलिए उठ रहा है, ताकि कर्ज में डूबे प्रदेश के आपदा प्रभावित लोगों को हर संभव मदद मिल सके. दरअसल, सरकार ने लोगों को राहत देने के लिए ऑनलाइन आरएमएस सिस्टम विकसित किया है. इस आरएमएस पोर्टल पर जाकर आम आदमी पटवार घर में आए बिना मोबाइल के द्वारा आपदा से हुए नुकसान का ब्योरा देकर राहत राशि के लिए आवेदन कर सकता है.
दरअसल, आवेदन करने वाले व्यक्ति को आपदा की जानकारी इस पोर्टल पर देनी होती है और यह जानकारी एक क्लिक पर संबंधित पटवारी के पास पहुंच जाएगी. पटवारी इस सूचना पर एक या दो घंटे के भीतर त्वरित कार्रवाई कर मौके का जायजा लेकर रिपोर्ट तैयार करेगा. मौके पर हुए नुकसान के आधार पर पटवारी तुरंत फौरी अथवा अंतरिम राहत जारी करेगा. यह अंतरिम राहत कुल मुआवजे का तीस प्रतिशत हो सकता है.
पटवारी स्तर से शुरू होती है राहत प्रक्रिया: प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान के लिए लोगों को राहत देने की सरकारी तंत्र की प्रक्रिया राजस्व विभाग के पटवारी स्तर से शुरू होती है. लोगों के अधिकतर नुकसान मुआवजे के निपटारे एसडीएम स्तर पर कर लिए जाते हैं. आपदा से हुए लगभग हर तरह के नुकसान का मुआवजा राजस्व विभाग के माध्यम से जारी होता है. वहीं, मकान, दुकान, डंगा, सुरक्षा दीवार के नुकसान से लेकर खेत के बह जाने, घर अथवा दुकान का सामान बर्बाद होने और इंसानों और पशुओं की मौत पर मुआवजा इस प्रक्रिया के तहत ही दिया जाता है. प्रदेश सरकार की तरफ से हर तरह के नुकसान के लिए मुआवजा राशि की नियमावली तय की गई है.
यह है मुआवजा राशि की नियमावली: आपदा में इंसान की मौत होने पर चार लाख की राहत राशि परिजनों को दी जाती है. अपादा में इंसान के घायल होने पर 40 से 60 प्रतिशत विकलांगता पर 74 हजार की राहत राशि दी जाती है, जबकि 60 प्रतिशत से अधिक विकलांगता पर ढाई लाख की राहत राशि दी जाती है. वहीं, गंभीर चोट लगने और अस्पताल में एक सप्ताह से अधिक समय तक दाखिल रहने पर 16 हजार, सामान्य चोट लगने और अस्पताल में एक सप्ताह से कम समय तक दाखिल रहने पर 5400 की राहत राशि दी जाती है, जबकि दुर्घटना अथवा आपदा प्रभावितों को अस्पताल में उपचार पूरी तरह से निशुल्क दिया जाता है.
प्राकृतिक आपदा में जमीन बह जाने पर भी मुआवजा: आपदा के दौरान जमीन के बह जाने पर सरकार की ओर मुआवजा दिया जाता है. कृषि भूमि में सिल्ट आ जाने पर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 18000 हजार का मुआवजा दिया जाता है, यह 2200 रूपये से कम नहीं होता है. भू-स्खलन या नदी से जमीन बह जाने पर 47000 प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवजा दिया जाता है. फसल के 75 फीसदी नुकसान पर प्रति बीघा 300 रूपये, 75 फीसदी से अधिक नुकसान पर 500 रूपये प्रति बीघा राहत राशि दी जाती है.
पशुओं की मौत पर मुआवजा: भैंस, गाय, उंट, याक की मौत पर 37,500, बकरी, भेड़, सुअर की मौत पर 4000, घोड़े की मौत पर 32000 हजार, गधे, खच्चर की मौत पर बीस हजार की राहत राशि दी जाती है. मुर्गा पालन में प्रति मुर्गे की मौत पर 100 रूपये मदद दी जाती है. मछुआरों को सरकार की तरफ से बोट का नुकसान होने पर 6000 रूपये, नेट के क्षतिग्रस्त होने पर 3000, पूरी तरह से क्षतिग्रस्त बोट के लिए 15 हजार और नेट के पूरी तरह से बर्बाद होने पर चार हजार रूपये की राहत राशि दी जाती है.
हैंडी क्राफ्ट और हैंडलूम केे कारीगरों को अलग राहत राशि: आपदा से नुकसान होने पर हैंडीक्राफट और हैंडलूम के कारीगरों को अलग से राहत राशि दी जाती है. उपकरणों को बदलने के लिए 5000 रूपये और कच्चे माल के लिए 5000 हजार की राहत राशि दी जाती है.
घरों के नुकसान पर अब यह है संशोधित राहत राशि: घर के पूरी तरह से क्षतिग्रस्त होने पर कच्चे और पक्के मकान का मैदानी क्षेत्र में एक लाख बीस हजार और पहाड़ी क्षेत्र में एक लाख तीस हजार मुआवजा दिया जाता है. घर को 15 प्रतिशत से कम नुकसान होने पक्के मकान का 12,500 और कच्चे मकान की 10 हजार रूपये राहत राशि दी जाती है. व्यवसायिक संस्थानों, घराट को नुकसान होने पर 10 हजार, दुकानों को नुकसान होने पर 25 हजार की राहत राशि दी जाती है. गौशला के ढह जाने पर 10 हजार की राहत राशि दी जाती है. प्राकृतिक आपदा के कारण घर में कपड़े, अनाज, या जरूरी सामान के बर्बाद होने पर प्रभावित परिवार को 15 हजार की राहत दी जाती है.
मोबाइल से आवेदन करें है या फोन कॉल पर पटवारी को सूचित करें: डिजीटल युग के दौर में मोबाइल के जरिये भी आपदा की जानकारी एक क्लिक पर पटवारी तक पहुंचाई जा सकती है. आपदा में कई दफा ऑनलाइन आवेदन करना संभव न हो उस स्थिति सामान्य तौर पर फोन कॉल के जरिये पटवारी को सूचना दी जा सकती है. आरएमएस यानि रेवन्यू मेनेजमेंट सिस्टम से आवेदन करने पर विभागीय अधिकारियों की निगरानी अधिक बनी रहती है. आवेदन चाहे ऑनलाइन हो या फोन कॉल के माध्यम से पटवारी मौके पर आकर नुकसान प्रक्ररण तैयार करेगा और उसकी के मुताबिक मुआवजा और फौरी राहत दी जाती है.
आरएमएस पोर्टल पर ऑनलाइन कैसे करें आवेदन: जिला राजस्व अधिकारी हमीरपुर जस पाल ने कहा कि आपदा की स्थिति में एक फोन कॉल भी काफी होती है, लेकिन मोबाइल के जरिये आरएमएस पोर्टल से आवेदन करने पर निगरानी करना अधिक बेहतर होता है. पोर्टल से पारदर्शिता अधिक होती है. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन आवेदन करने के लिए गूगल सर्च इंजन में Rms.hp.gov.in टाइप करे अप्लाई ऑप्शन जाकर आवेदन किया जा सकता है.
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