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Union Budget 2023: पहाड़ों में रेल के सफर का सपना क्या मोदी सरकार कर पाएगी पूरा ?, हिमाचल के लोगों ने बांधी उम्मीदें

हिमाचल में भारतीय रेल यातायात का विचार नहीं बन पाई है. सुजानपुर में 2014 में हुई रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने के बाद रेलवे विस्तार के जरिए लोगों को रेल का सपना दिखाया था, लेकिन 9 साल बाद भी यह सपना पूरा नहीं हो पाया है. ऐसे में एक बार फिर केंद्रीय बजट 2023 से हिमाचल के लोगों को उम्मीद जगी है कि प्रदेश में रेलवे विस्तार को गति मिलेगी. (budget 2023 expectations) (Railway expansion in Himachal) (Union budget 2023) (Railway Project in Himachal)

budget 2023 expectations
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Published : Jan 27, 2023, 9:02 PM IST

हिमाचल के लोगों को बजट से उम्मीदें

हमीरपुर: भाजपा के दिग्गज नेताओं की दिल्ली में वर्तमान में धमक है. भाजपा में छोटे से राज्य हिमाचल के नेताओं को बड़े पदों पर जिम्मा संभालने का मौका मिला है. ऐसे में हिमाचल के लोगों की उम्मीदें इस बार के केंद्र सरकार के बजट से कुछ खास है. केंद्र की एनडीए सरकार के आगामी बजट से इस बार हिमाचल को अधिक उम्मीदें तब है जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी हिमाचल से आते हैं और दो बड़े मंत्रालयों का जिम्मा भी हिमाचल के ही युवा नेता अनुराग ठाकुर संभाल रहे हैं. देश की आजादी के बाद हिमाचल प्रदेश में रेलवे का कोई खास विस्तार नहीं हो पाया है. ब्रिटिश काल की रेलवे लाइन भी सही ढंग से संरक्षित नहीं हो पाई हैं. ब्रिटिश काल में ही हिमाचल प्रदेश के कई क्षेत्रों तक रेलवे लाइन पहुंच गई थी लेकिन आजादी के बाद रेलवे के विस्तार में पहाड़ चढ़ने में रेल का इंजन लगातार हांफता रहा है. अब तक की सरकारों में पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में रेल विस्तार की योजनाओं को अधिक महत्व नहीं दिया गया है.

2014 में पीएम मोदी ने दिखाया था सपना: केंद्र में भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही हिमाचल की उम्मीदें बढ़ गई थी क्योंकि 2014 के चुनावों में प्रचार के दौरान ही हिमाचल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेलवे विस्तार का सपना हिमाचली लोगों को दिखाया था. सुजानपुर में 2014 में हुई रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सड़क दुर्घटनाओं में लोगों की मौत का हवाला देते हुए सत्ता में आने के बाद रेलवे विस्तार के जरिए लोगों को रेल का सपना दिखाया था, लेकिन 9 साल बाद भी यह सपना पूरा नहीं हो पाया है. हिमाचल के लोगों को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिखाया गया पहाड़ों में रेल के सफर का सपना भाजपा सरकार के दूसरे कार्यकाल में जमीन पर उतरेगा.

रेलवे महज हेरिटेज तक ही सीमित, यातायात का साधन नहीं बना: पहाड़ी राज्य हिमाचल में ब्रिटिश काल में विकसित हुए रेलवे ट्रैक अब हेरिटेज बन गए हैं. देश में अब तक की सरकारें हिमाचल के लिए रेलवे विस्तार को लेकर अधिक रुचि नहीं जता पाई हैं. यही वजह है कि हिमाचल प्रदेश में यातायात का मुख्य साधन अभी तक सड़क मार्ग ही है. हिमाचल प्रदेश में कालका-शिमला रेल मार्ग को यूनेस्को ने धरोहर की सूची में शामिल किया है, इसे हेरिटेज ट्रैक भी कहा जाता है. हिमाचल के अन्य जिलों मंडी, कांगड़ा, ऊना, सोलन और बिलासपुर के कुछ हिस्सों में रेलवे विस्तार की संभावनाएं हैं. चलिए सिलसिलेवार तरीके से अब तक हिमाचल में हुए रेलवे के विस्तार और रेल परियोजना पर चर्चा कर लेते हैं...

भानुपल्ली बिलासपुर-बेरी न्यू ब्रॉडगेज: भानुपल्ली बिलासपुर मनाली लेह रेलवे मार्ग हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी रेल लाइन प्रोजेक्ट साबित हो सकता है. फिलहाल इस रेलवे लाइन को बिलासपुर जिले के बरमाणा तक निर्मित किया जा रहा है. हालांकि लेह तक इस रेलवे लाइन की दूरी 475 किलोमीटर है, जिसके लिए इंटरनेशनल एजेंसी ने सैटेलाइट इमेज प्रणाली के जरिए 1 दर्जन से अधिक सर्वे करवाए हैं. प्रथम चरण में इस रेलवे लाइन का निर्माण बिलासपुर जिले तक किया जा रहा है. 2008-09 में स्वीकृत रेल लाइन, भानुपल्ली-बिलासपुर-बेरी रेल लाइन भानुपल्ली (आनंदपुर साहिब, रूपनगर, पंजाब के पास) से बेरी (बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश) तक 63.1 किमी लंबी होगी. इस रेलवे लाइन का प्रथम चरण हिमाचल प्रदेश में 49.2 किमी और पंजाब में 13.9 किमी है. इस परियोजना की कुल लागत 2,967 करोड़ है, जिसका 25% राज्य- हिस्सेदारी और 75% भारत सरकार का है. एसडीएम बिलासपुर द्वारा 20 किमी तक के लिए आवश्यक लगभग 95% भूमि का मुआवजा किया गया है. रेल लाइन के शेष हिस्से के लिए जमीन अधिग्रहण की बातचीत चल रही है.

चंडीगढ़-बद्दी नई ब्रॉडगेज लाइन: हिमाचल प्रदेश के औद्योगिक केंद्र बद्दी को चंडीगढ़ से जोड़ने के लिए चंडीगढ़-बद्दी ब्रॉडगेज लाइन परियोजना को 2007-08 में मंजूरी दी गई थी. रेल मंत्रालय, भारत सरकार ने अधिसूचना दिनांक 6 अधिसूचना द्वारा इस रेलवे लाइन को एक विशेष रेलवे परियोजना के रूप में अधिसूचित किया है. यह रेल लाइन 27.95 किमी लंबी होगी, जिसमें 3.055 किमी का हिस्सा हिमाचल प्रदेश में और शेष 24.89 किमी का हिस्सा हरियाणा में होगा. परियोजना की कुल लागत 1672.70 करोड़, 50% राज्य के हिस्से और 50% भारत सरकार के हिस्से के साथ. हिमाचल प्रदेश सरकार ने अब तक 47 करोड़ रुपये जारी किए हैं. भारतीय रेलवे ने अब तक 187.64 करोड़ रुपये का खर्च किया है.

ऊना-हमीरपुर नई ब्रॉडगेज लाइन: ऊना- हमीरपुर नई ब्रॉडगेज लाइन 2017-18 में स्वीकृत हुई है.ऊना- हमीरपुर नई लाइन 54.1 किमी लंबी है. परियोजना की कुल लागत रु. डीपीआर के अनुसार 5,821.47 करोड़ है. भूमि अधिग्रहण पर कुल 832.49 करोड़ रुपये खर्च प्रस्तावित है. भारत सरकार चाहती है कि हिमाचल प्रदेश सरकार परियोजना की 50% लागत (लगभग 2910.735 करोड़ रुपए) वहन करे. हिमाचल प्रदेश सरकार परियोजना की 50% लागत साझा करने के लिए सहमत नहीं हुई है. इस रेलवे लाइन के लिए अभी तक बजट का कोई खास प्रावधान नहीं किया गया है.

नंगल बांध-तलवाड़ा नई ब्रॉडगेज लाइन: 1981-82 में स्वीकृत, नंगल बांध तलवाड़ा नई ब्रॉडगेज लाइन परियोजना पर 2,100 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. रेलवे लाइन पर भारत सरकार ही 100% खर्च वहन कर रही है. रेल लाइन 83.74 किलोमीटर लंबी है, जिसमें 62 किलोमीटर हिमाचल और बाकी पंजाब में है. 60 किमी ट्रैक पर काम पहले ही पूरा हो चुका है और अम्ब-अंदौरा तक यातायात के लिए खोल दिया गया है, हिमाचल प्रदेश में दौलतपुर चौक तक संरेखण का निरीक्षण किया गया है.

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हिमाचल के लोगों को बजट से उम्मीदें

हमीरपुर: भाजपा के दिग्गज नेताओं की दिल्ली में वर्तमान में धमक है. भाजपा में छोटे से राज्य हिमाचल के नेताओं को बड़े पदों पर जिम्मा संभालने का मौका मिला है. ऐसे में हिमाचल के लोगों की उम्मीदें इस बार के केंद्र सरकार के बजट से कुछ खास है. केंद्र की एनडीए सरकार के आगामी बजट से इस बार हिमाचल को अधिक उम्मीदें तब है जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी हिमाचल से आते हैं और दो बड़े मंत्रालयों का जिम्मा भी हिमाचल के ही युवा नेता अनुराग ठाकुर संभाल रहे हैं. देश की आजादी के बाद हिमाचल प्रदेश में रेलवे का कोई खास विस्तार नहीं हो पाया है. ब्रिटिश काल की रेलवे लाइन भी सही ढंग से संरक्षित नहीं हो पाई हैं. ब्रिटिश काल में ही हिमाचल प्रदेश के कई क्षेत्रों तक रेलवे लाइन पहुंच गई थी लेकिन आजादी के बाद रेलवे के विस्तार में पहाड़ चढ़ने में रेल का इंजन लगातार हांफता रहा है. अब तक की सरकारों में पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में रेल विस्तार की योजनाओं को अधिक महत्व नहीं दिया गया है.

2014 में पीएम मोदी ने दिखाया था सपना: केंद्र में भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही हिमाचल की उम्मीदें बढ़ गई थी क्योंकि 2014 के चुनावों में प्रचार के दौरान ही हिमाचल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेलवे विस्तार का सपना हिमाचली लोगों को दिखाया था. सुजानपुर में 2014 में हुई रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सड़क दुर्घटनाओं में लोगों की मौत का हवाला देते हुए सत्ता में आने के बाद रेलवे विस्तार के जरिए लोगों को रेल का सपना दिखाया था, लेकिन 9 साल बाद भी यह सपना पूरा नहीं हो पाया है. हिमाचल के लोगों को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिखाया गया पहाड़ों में रेल के सफर का सपना भाजपा सरकार के दूसरे कार्यकाल में जमीन पर उतरेगा.

रेलवे महज हेरिटेज तक ही सीमित, यातायात का साधन नहीं बना: पहाड़ी राज्य हिमाचल में ब्रिटिश काल में विकसित हुए रेलवे ट्रैक अब हेरिटेज बन गए हैं. देश में अब तक की सरकारें हिमाचल के लिए रेलवे विस्तार को लेकर अधिक रुचि नहीं जता पाई हैं. यही वजह है कि हिमाचल प्रदेश में यातायात का मुख्य साधन अभी तक सड़क मार्ग ही है. हिमाचल प्रदेश में कालका-शिमला रेल मार्ग को यूनेस्को ने धरोहर की सूची में शामिल किया है, इसे हेरिटेज ट्रैक भी कहा जाता है. हिमाचल के अन्य जिलों मंडी, कांगड़ा, ऊना, सोलन और बिलासपुर के कुछ हिस्सों में रेलवे विस्तार की संभावनाएं हैं. चलिए सिलसिलेवार तरीके से अब तक हिमाचल में हुए रेलवे के विस्तार और रेल परियोजना पर चर्चा कर लेते हैं...

भानुपल्ली बिलासपुर-बेरी न्यू ब्रॉडगेज: भानुपल्ली बिलासपुर मनाली लेह रेलवे मार्ग हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी रेल लाइन प्रोजेक्ट साबित हो सकता है. फिलहाल इस रेलवे लाइन को बिलासपुर जिले के बरमाणा तक निर्मित किया जा रहा है. हालांकि लेह तक इस रेलवे लाइन की दूरी 475 किलोमीटर है, जिसके लिए इंटरनेशनल एजेंसी ने सैटेलाइट इमेज प्रणाली के जरिए 1 दर्जन से अधिक सर्वे करवाए हैं. प्रथम चरण में इस रेलवे लाइन का निर्माण बिलासपुर जिले तक किया जा रहा है. 2008-09 में स्वीकृत रेल लाइन, भानुपल्ली-बिलासपुर-बेरी रेल लाइन भानुपल्ली (आनंदपुर साहिब, रूपनगर, पंजाब के पास) से बेरी (बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश) तक 63.1 किमी लंबी होगी. इस रेलवे लाइन का प्रथम चरण हिमाचल प्रदेश में 49.2 किमी और पंजाब में 13.9 किमी है. इस परियोजना की कुल लागत 2,967 करोड़ है, जिसका 25% राज्य- हिस्सेदारी और 75% भारत सरकार का है. एसडीएम बिलासपुर द्वारा 20 किमी तक के लिए आवश्यक लगभग 95% भूमि का मुआवजा किया गया है. रेल लाइन के शेष हिस्से के लिए जमीन अधिग्रहण की बातचीत चल रही है.

चंडीगढ़-बद्दी नई ब्रॉडगेज लाइन: हिमाचल प्रदेश के औद्योगिक केंद्र बद्दी को चंडीगढ़ से जोड़ने के लिए चंडीगढ़-बद्दी ब्रॉडगेज लाइन परियोजना को 2007-08 में मंजूरी दी गई थी. रेल मंत्रालय, भारत सरकार ने अधिसूचना दिनांक 6 अधिसूचना द्वारा इस रेलवे लाइन को एक विशेष रेलवे परियोजना के रूप में अधिसूचित किया है. यह रेल लाइन 27.95 किमी लंबी होगी, जिसमें 3.055 किमी का हिस्सा हिमाचल प्रदेश में और शेष 24.89 किमी का हिस्सा हरियाणा में होगा. परियोजना की कुल लागत 1672.70 करोड़, 50% राज्य के हिस्से और 50% भारत सरकार के हिस्से के साथ. हिमाचल प्रदेश सरकार ने अब तक 47 करोड़ रुपये जारी किए हैं. भारतीय रेलवे ने अब तक 187.64 करोड़ रुपये का खर्च किया है.

ऊना-हमीरपुर नई ब्रॉडगेज लाइन: ऊना- हमीरपुर नई ब्रॉडगेज लाइन 2017-18 में स्वीकृत हुई है.ऊना- हमीरपुर नई लाइन 54.1 किमी लंबी है. परियोजना की कुल लागत रु. डीपीआर के अनुसार 5,821.47 करोड़ है. भूमि अधिग्रहण पर कुल 832.49 करोड़ रुपये खर्च प्रस्तावित है. भारत सरकार चाहती है कि हिमाचल प्रदेश सरकार परियोजना की 50% लागत (लगभग 2910.735 करोड़ रुपए) वहन करे. हिमाचल प्रदेश सरकार परियोजना की 50% लागत साझा करने के लिए सहमत नहीं हुई है. इस रेलवे लाइन के लिए अभी तक बजट का कोई खास प्रावधान नहीं किया गया है.

नंगल बांध-तलवाड़ा नई ब्रॉडगेज लाइन: 1981-82 में स्वीकृत, नंगल बांध तलवाड़ा नई ब्रॉडगेज लाइन परियोजना पर 2,100 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. रेलवे लाइन पर भारत सरकार ही 100% खर्च वहन कर रही है. रेल लाइन 83.74 किलोमीटर लंबी है, जिसमें 62 किलोमीटर हिमाचल और बाकी पंजाब में है. 60 किमी ट्रैक पर काम पहले ही पूरा हो चुका है और अम्ब-अंदौरा तक यातायात के लिए खोल दिया गया है, हिमाचल प्रदेश में दौलतपुर चौक तक संरेखण का निरीक्षण किया गया है.

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