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कचरे से बनेगी खाद! डॉ. राजेश कुमार करेंगे शोध

करियर प्वाइंट विश्वविद्यालय के जूलॉजी विभाग में कार्यरत डॉ. राजेश कुमार को पर्यावरण, साईंस एवं प्रोद्योगिकी विभाग हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से रिसर्च प्रोजेक्ट दिया गया है. जिसमें मंदिरों के कचरे से खाद एवं अन्य गुणकारी उत्पाद बनाए जाएंगे. साथ ही मंदिरों में चढ़ने वाली फूल मालाएं, हवन सामग्री, फल-फूल इतयादि के वैज्ञानिक प्रबंधन में सहायता मिलेगी.

doctor rajesh kumar from hamirpur
doctor rajesh kumar from hamirpur
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Published : Apr 11, 2020, 7:28 PM IST

हमीरपुरः पर्यावरण, साईंस एवं प्रोद्योगिकी विभाग हिमाचल प्रदेश सरकार शिमला द्वारा करियर प्वाइंट विश्वविद्यालय के जूलॉजी विभाग में कार्यरत डॉ. राजेश कुमार को मेजर रिसर्च प्रोजेक्ट आवंटित किया गया है. इस प्रोजेक्ट के लिए अप्रूवल प्राप्त हो गया है.

प्रोजेक्ट का कार्य लॉकडाउन समाप्त होने के बाद ही शुरू किया जाएगा. इस रिसर्च प्रोजेक्ट के तहत मंदिरों के कचरे से खाद एवं अन्य गुणकारी उत्पाद बनाए जाएंगे. जिससे कि मंदिरों में चढ़ने वाली फूल मालाएं, हवन सामग्री, फल-फूलों के वैज्ञानिक प्रबंधन में सहायता मिलेगी.

प्रोजेक्ट के प्रिंसिपल इन्वेस्टीगेटर डॉ. राजेश ने बताया कि इस कार्य की प्ररेणा उन्हें प्रो. ओम प्रकाश अग्रवाल पूर्व कुलपति जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर से मिली जो कि उनके पीएचडी मार्गदर्शक भी हैं.

डॉ. राजेश कुमार के इस प्रोजेक्ट में कार्य करने के लिए 2 रिसर्च फेलो की भी मंजूरी मिली है. उनके अनुसार वातावरण को स्वच्छ रखने और स्वच्छ भारत मिशन को साकार करने में मंदिरों के कचरे को वैज्ञानिक विधि द्वारा सुनियोजित किया जाना आवश्यक है.

डॉ. राजेश ने बताया कि प्रोजेक्ट को अंतिम प्रारूप देने में करियर प्वाइंट विश्वविद्याल के कुलपति प्रो. केएस वर्मा ने भी तकनीकि सहयोग दिया है.

डॉ. राजेश पहले भी हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा मेजर प्रोजेक्ट पर कार्य कर चुके हैं और वर्तमान समय में भारत सरकार के इनोवेशन स्कीम के तहत 2 अन्य प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे हैं. विवि प्रशासन ने डॉ. राजेश को उनकी इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है.

पढ़ेंः भाजपा विधायक ने लॉकडाउन में भीड़ के बीच मनाया जन्मदिन, वीडियो वायरल

हमीरपुरः पर्यावरण, साईंस एवं प्रोद्योगिकी विभाग हिमाचल प्रदेश सरकार शिमला द्वारा करियर प्वाइंट विश्वविद्यालय के जूलॉजी विभाग में कार्यरत डॉ. राजेश कुमार को मेजर रिसर्च प्रोजेक्ट आवंटित किया गया है. इस प्रोजेक्ट के लिए अप्रूवल प्राप्त हो गया है.

प्रोजेक्ट का कार्य लॉकडाउन समाप्त होने के बाद ही शुरू किया जाएगा. इस रिसर्च प्रोजेक्ट के तहत मंदिरों के कचरे से खाद एवं अन्य गुणकारी उत्पाद बनाए जाएंगे. जिससे कि मंदिरों में चढ़ने वाली फूल मालाएं, हवन सामग्री, फल-फूलों के वैज्ञानिक प्रबंधन में सहायता मिलेगी.

प्रोजेक्ट के प्रिंसिपल इन्वेस्टीगेटर डॉ. राजेश ने बताया कि इस कार्य की प्ररेणा उन्हें प्रो. ओम प्रकाश अग्रवाल पूर्व कुलपति जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर से मिली जो कि उनके पीएचडी मार्गदर्शक भी हैं.

डॉ. राजेश कुमार के इस प्रोजेक्ट में कार्य करने के लिए 2 रिसर्च फेलो की भी मंजूरी मिली है. उनके अनुसार वातावरण को स्वच्छ रखने और स्वच्छ भारत मिशन को साकार करने में मंदिरों के कचरे को वैज्ञानिक विधि द्वारा सुनियोजित किया जाना आवश्यक है.

डॉ. राजेश ने बताया कि प्रोजेक्ट को अंतिम प्रारूप देने में करियर प्वाइंट विश्वविद्याल के कुलपति प्रो. केएस वर्मा ने भी तकनीकि सहयोग दिया है.

डॉ. राजेश पहले भी हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा मेजर प्रोजेक्ट पर कार्य कर चुके हैं और वर्तमान समय में भारत सरकार के इनोवेशन स्कीम के तहत 2 अन्य प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे हैं. विवि प्रशासन ने डॉ. राजेश को उनकी इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है.

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